पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
संदर्भ
- भारत के जहाज निर्माण उद्योग को स्वदेशी समुद्री इंजन निर्माण क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है ताकि तकनीकी बाधाओं से बचा जा सके और इसके समुद्री क्षेत्र को मजबूत किया जा सके, जो अभी भी विदेशी आपूर्तिकर्त्ताओं पर बहुत अधिक निर्भर है।
भारत का जहाज निर्माण उद्योग: वर्तमान स्थिति और विकास प्रवृत्तियाँ
- बाजार मूल्य में वृद्धि:
- उद्योग का मूल्यांकन 2022 में $90 मिलियन से बढ़कर 2024 में $1.12 बिलियन हो गया।
- 2033 तक $8 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान, जिसमें 60% की सुदृढ़ वार्षिक वृद्धिदर (CAGR) होगी।
- वैश्विक स्थिति:
- इस वृद्धि के बावजूद, भारत का वैश्विक जहाज निर्माण बाजार में केवल 0.06% भाग है।
- चीन, दक्षिण कोरिया और जापान मिलकर 94% बाजार पर नियंत्रण रखते हैं।
- विदेशी जहाजों पर निर्भरता:
- भारत समुद्री माल परिवहन पर वार्षिक रूप से लगभग $90 बिलियन व्यय करता है, जिसमें अधिकांश जहाज विदेशी कंपनियों के स्वामित्व में होते हैं।
- समुद्री इंजन निर्भरता:
- भारत में 6 MW से अधिक क्षमता वाले 90% समुद्री इंजन केवल पाँच वैश्विक OEMs (Original Equipment Manufacturers) से प्राप्त किए जाते हैं।
- ये इंजन केवल महँगे नहीं हैं, बल्कि तकनीकी रूप से सीमित भी हैं।
- भविष्य की योजना:
- भारत का लक्ष्य 2047 तक शीर्ष पाँच जहाज निर्माण राष्ट्रों में शामिल होना है।
- इसे रणनीतिक निवेश और नीति समर्थन द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।
भारतीय जहाज निर्माण उद्योग – इसे तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: 1. बड़े महासागरीय जहाज, जो अंतर्राष्ट्रीय और तटीय व्यापार के लिए निर्मित होते हैं। 2. मध्यम आकार के विशिष्ट जहाज, जैसे पोर्ट क्राफ्ट, मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर, अपतटीय जहाज, अंतर्देशीय जलयान और अन्य छोटे जहाज। 3. रक्षा/नौसेना जहाज और तटरक्षक पोत। भारत में प्रमुख शिपयार्ड और अनुसंधान एवं विकास सुविधाएँ – भारत में आठ सार्वजनिक क्षेत्र की जहाज निर्माण और मरम्मत कंपनियाँ कार्यरत हैं। – बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW): 1. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड, कोच्चि 2. हुगली कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड रक्षा मंत्रालय: – हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, विशाखापत्तनम – मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई – गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, कोलकाता – गोवा शिपयार्ड लिमिटेड, गोवा राज्य सरकार के नियंत्रण में: – वर्क्स लिमिटेड, कोलकाता – एलकॉक एशडाउन एंड कंपनी (गुजरात) लिमिटेड |
भारत की समुद्री इंजन निर्माण में चुनौतियाँ
- तकनीकी अंतर:
- आधुनिक समुद्री इंजन संपत्ति युक्त इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण इकाइयों (ECUs), बंद-स्रोत सॉफ़्टवेयर और बौद्धिक संपदा (IP) प्रतिबंधित घटकों के साथ आते हैं।
- इससे खरीद की निर्भरता बढ़ती है, और निदान, अद्यतन और रखरखाव में कठिनाई आती है।
- आयात निर्भरता:
- भारतीय वाणिज्यिक और नौसैनिक जहाजों में 6 MW से अधिक शक्ति वाले 90% इंजन जर्मनी, फिनलैंड, UK, USA एवं जापान से आयात किए जाते हैं।
- समुद्री इंजन जहाज की लागत का 15-20% होते हैं और इसके प्रदर्शन, उत्सर्जन और जीवनचक्र में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
- निर्यात नियंत्रण ढाँचे:
- यूरोपीय संघ दोहरे उपयोग विनियमन, अमेरिकी निर्यात प्रशासन विनियम (EAR) और जापान METI लाइसेंसिंग नियंत्रण के तहत राष्ट्र सुरक्षा कारणों से तत्काल प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
- डिजाइन क्षमता की कमी:
- आधुनिक समुद्री इंजन डिजाइन में प्रणोदन दक्षता, उत्सर्जन नियंत्रण, संरचनात्मक स्थायित्व और हाइब्रिड एकीकरण का संतुलन आवश्यक होता है।
- भारत में स्वदेशी डिजाइन क्षमताओं की कमी इसे गंभीर रूप से बाधित करती है।
- धातुकर्म सीमाएँ:
- उच्च-क्रोमियम स्टील, निकल-आधारित सुपरएलॉय और तापीय स्थिर मिश्रित सामग्री के बड़े पैमाने पर उत्पादन में भारत की सीमित क्षमता इसके एयरो-इंजन कार्यक्रमों को प्रभावित कर रही है।
भारत में समुद्री इंजन निर्माण को बढ़ावा देने हेतु सरकारी प्रयास
- जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति (SBFAP):
- विशिष्ट जहाजों के निर्माण के लिए 30% तक की सब्सिडी।
- ₹200 करोड़ से कम लागत वाले जहाजों को भारतीय शिपयार्ड से खरीदने की अनिवार्यता।
- संरचना दर्जा:
- शिपयार्ड को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया गया है, जिससे उन्हें सस्ती दीर्घकालिक पूंजी मिलती है।
- पहले इनकार का अधिकार (RoFR):
- भारतीय शिपयार्ड को सरकारी निविदाओं में प्राथमिकता मिलती है।
- संघ बजट 2025:
- ₹25,000 करोड़ का समुद्री विकास कोष।
- आवश्यक आयात पर सीमा शुल्क छूट।
- बड़े जहाजों के लिए संरचना दर्जा।
- स्वदेशी इंजन पहल:
- अप्रैल 2025 में, भारतीय नौसेना ने किर्लोस्कर ऑयल इंजन लिमिटेड को ₹270 करोड़ स्वदेशी 6 MW मध्यम-गति डीजल इंजन विकसित करने के लिए दिए।
आगे की राह
- समुद्री प्रणोदन-केंद्रित स्टार्टअप को प्रोत्साहित करना।
- लैब-से-बाज़ार परिवर्तन को सुगम बनाना।
- समर्पित प्रेरण नवाचार मिशन।
- समुद्री ग्रेड टेस्टबेड तक पहुँच।
- डिजाइन-लिंक्ड अनुसंधान एवं विकास निधि।
निष्कर्ष
- भारत की समुद्री महत्वाकांक्षाएँ वास्तविक और तीव्र गति से आगे बढ़ रही हैं। नए शिपयार्ड, आधुनिक सुविधाएँ और मजबूत सरकारी समर्थन के साथ, देश जहाज निर्माण पुनर्जागरण की ओर अग्रसर है।
- लेकिन यदि भारत स्वदेशी समुद्री इंजन डिजाइन और निर्माण की क्षमता विकसित नहीं करता, तो यह केवल भारतीय झंडे, चालक दल और इस्पात से बना जहाज होगा—लेकिन आत्मा में विदेशी रहेगा।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] क्या आपको लगता है कि स्वदेशी समुद्री इंजन उत्पादन के लिए भारत का प्रयास राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है, या रणनीतिक वैश्विक साझेदारी अधिक प्रभावी दृष्टिकोण हो सकता है? अपने दृष्टिकोण को उचित ठहराइए। |
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