पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध; GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- भारत-यू.के. मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारत की वैश्विक व्यापार रणनीति में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है, जो इसे कम लागत वाली निर्यात अर्थव्यवस्था से एक मूल्य-सृजन शक्ति में बदलने का संकेत देता है।
भारत-यू.के. FTA के प्रमुख बिंदु – भारतीय निर्यात के लिए शून्य-शुल्क पहुँच:समझौते के तहत 99.3% पशु उत्पादों, 99.8% सब्जियों/तेल उत्पादों, और 99.7% प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर आयात शुल्क समाप्त कर दिया गया है, जिससे ब्रिटेन में भारतीय उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। – विस्तारित व्यापार साझेदारी: ब्रिटेन वर्तमान में $815.5 बिलियन मूल्य की वस्तुएँ आयात करता है, जिनमें चीन (12%), अमेरिका (11%) और जर्मनी (9%) प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता हैं। – भारत ब्रिटिश आयात में 1.8% हिस्सेदारी ($15.3 बिलियन) रखता है और यू.के. का 12वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। – भारत-यू.के. व्यापार लक्ष्य (2030):2024 में भारत-यू.के. वस्तु व्यापार $23.3 बिलियन था, जिसमें ब्रिटेन से भारत को $8.06 बिलियन का निर्यात शामिल है। – FTA का महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2030 तक व्यापार को $120 बिलियन तक ले जाना है। – यू.के. से भारत को निर्यात: मोती, परमाणु रिएक्टर, शराब, वाहन। – भारत से यू.के. को आयात: मशीनरी, खनिज ईंधन, फार्मास्यूटिकल्स, परिधान, फुटवियर। – रणनीतिक व्यापार साझेदारी: यह समझौता भारत-यू.के. व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करता है, जिससे व्यापार, निवेश, नवाचार और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलता है। – भारत यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ भी FTA वार्ता कर रहा है, ताकि उच्च-मूल्य वाले बाजारों में शुल्क-मुक्त पहुँच प्राप्त की जा सके। |
भारत-यू.के. FTA: भारतीय उद्योग के लिए परिवर्तनकारी उपलब्धि
- भारतीय निर्यातकों के लिए समानता का अवसर: टेक्सटाइल, परिधान, चमड़ा, समुद्री उत्पाद और खिलौनों जैसे क्षेत्रों के भारतीय निर्यातक लंबे समय से ब्रिटेन में शुल्क संबंधी हानि का सामना कर रहे थे।
- FTA इस अंतर को समाप्त करता है, जिससे लगभग 99% भारतीय उत्पादों को शून्य-शुल्क पहुँच मिलती है।
- स्वायत्तता बनाए रखते हुए रणनीतिक बाजार पहुँच: भारत ने FTA को सावधानीपूर्वक संरचित और सुरक्षात्मक रूप से तैयार किया है।
- यह 10 वर्षों में यू.के. की 85% वस्तुओं को शुल्क-मुक्त पहुँच की अनुमति देता है।
- साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ और रोजगार-संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा करता है।
- सेवा क्षेत्र की अपार संभावनाएँ: आईटी, दूरसंचार, शिक्षा और वित्तीय सेवाओं के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध होगा।
- व्यवसायों और पेशेवरों की आसान गतिशीलता बढ़ेगी:
- भारतीय पेशेवरों की योग्यताओं की मान्यता (आर्किटेक्ट, इंजीनियर, लेखाकार आदि)।
- डबल योगदान कन्वेंशन: ब्रिटेन में अल्पकालिक कार्यों पर भारतीय पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा भुगतान से छूट।
- भारत के ज्ञान-आधारित निर्यात के लिए यह एक गेम-चेंजर सिद्ध हो सकता है।
- व्यवसायों और पेशेवरों की आसान गतिशीलता बढ़ेगी:
- द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा: वैश्विक स्तर पर मूल्य शृंखला नवाचार को बढ़ाने में सहायता करेगा।
- यू.के. की डिजाइन और उन्नत निर्माण विशेषज्ञता, भारत की स्केल और प्रतिभा से जुड़कर नए अवसर सृजित करेगी। इसमें शामिल हैं:
- निवेश और संयुक्त अनुसंधान
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-निर्माण
- बौद्धिक संपदा (IP) सृजन
- नैतिक और सतत व्यापार को बढ़ावा: प्रथम बार किसी भारतीय FTA में श्रम अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, उपभोक्ता कल्याण, लैंगिक समानता, भ्रष्टाचार विरोधी नीतियाँ शामिल की गई हैं। यह भारत की परिपक्व आर्थिक पहचान और वैश्विक मूल्यों के साथ व्यापार को संरेखित करने का संकेत देता है।
- भारतीय व्यवसायों के लिए रणनीतिक आवश्यकताएँ:
- यू.के.-विशिष्ट बाजार रणनीतियाँ विकसित करना।
- प्रमाणन, ESG अनुपालन और उत्पाद नवाचार में निवेश करना।
- वित्त, कानूनी, लॉजिस्टिक्स और विपणन क्षेत्रों में प्रतिभा को पुनः प्रशिक्षित करना।
- यू.के. फर्मों के साथ संयुक्त उपक्रम और नवाचार साझेदारियाँ बनाना।
- यू.के. बाजार प्रदर्शन से सीखते हुए ऑफ़र को परिष्कृत करना।
चुनौतियां और चिंताएँ
- संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा: भारत ने डेयरी, सेब, चीज़, जई और वनस्पति तेलों जैसे संवेदनशील कृषि उत्पादों के लिए शुल्क कटौती को बाहर रखा है।
- प्लास्टिक, हीरे, स्मार्टफोन और ऑप्टिकल फाइबर जैसे औद्योगिक उत्पाद भी घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए संरक्षित किए गए हैं।
- नियामक और अनुपालन मुद्दे: समझौते में डिजिटल व्यापार, बौद्धिक संपदा, श्रम और पर्यावरण मानकों पर प्रावधान शामिल हैं, जिसके लिए नीतिगत समायोजन और अनुपालन उपायों की आवश्यकता होगी।
- व्यवसायों को नए व्यापार नियमों के अनुकूल बनना होगा और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना होगा।
- दीर्घकालिक व्यापार संतुलन और आर्थिक प्रभाव: भारत वर्तमान में यू.के. के साथ सकारात्मक व्यापार संतुलन रखता है, लेकिन FTA के दीर्घकालिक लाभ पर चिंताएँ बनी हुई हैं।
- छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) और घरेलू निर्माताओं पर इसके प्रभाव की निगरानी आवश्यक होगी।
- घरेलू उद्योगों पर प्रभाव: FTA नए अवसरों को खोलता है, लेकिन भारतीय निर्माताओं को यू.के. आयात से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से ऑटोमोबाइल और चिकित्सा उपकरणों में।
आगे की राह
- भारत-यू.के. FTA भारत के ‘विकसित भारत’ विजन का समर्थन करता है।
- यह भारतीय व्यवसायों को वैश्विक मूल्य शृंखला में ऊपर ले जाता है, रोजगार सृजन करता है, और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाता है।
- व्यापक आर्थिक वृद्धि और घरेलू उद्योग संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करता है।
- भारत के वैश्विक व्यापार विकास को सफल बनाने के लिए प्रभावी क्रियान्वयन और नीतिगत सुरक्षा उपाय महत्त्वपूर्ण होंगे।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] भारत-यू.के. FTA वैश्विक व्यापार में भारत की उभरती भूमिका को किस प्रकार प्रतिबिंबित करता है, तथा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विकास में अग्रणी के रूप में अपनी स्थिति बनाते समय भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है? |
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