ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड (GMB)

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

समाचार में

  • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत, गाज़ियाबाद ने भारत का पहला प्रमाणित ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड जारी किया, जिससे ₹150 करोड़ जुटाए गए। इस राशि का उपयोग आधुनिक तृतीयक सीवेज उपचार संयंत्र (TSTP) के निर्माण के लिए किया जाएगा।

ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड के बारे में

  • म्यूनिसिपल बॉन्ड वह ऋण साधन है जिसे शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) या नगर निगम बुनियादी ढाँचे और सार्वजनिक सेवा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए जारी करते हैं। 
  • ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड एक विशेष प्रकार का म्यूनिसिपल बॉन्ड है, जिसका उपयोग विशेष रूप से पर्यावरणीय रूप से स्थायी एवं जलवायु-प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में किया जाता है, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, जल उपचार, और अपशिष्ट प्रबंधन। 
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243W शहरी स्थानीय निकायों को जल आपूर्ति, स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रदान करता है, जिससे उन्हें बॉन्ड जारी करने की पात्रता मिलती है।

ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड का महत्त्व

  • सतत् विकास – यह ESG (पर्यावरण, सामाजिक, शासन) निवेश सिद्धांतों से सुसंगत है।
  • कम लागत वाली पूँजी – यह लंबी अवधि का वित्तपोषण प्रदान करता है, जो व्यावसायिक बैंक ऋणों की तुलना में अधिक किफायती होता है।
  • निवेशक आधार का विस्तार – यह संस्थागत और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित कर सकता है, जिससे पारंपरिक घरेलू ऋणों पर निर्भरता कम होती है।
  • बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा – यह जल उपचार, स्वच्छता, और अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं में सहायता करता है।

चुनौतियाँ

  • सीमित वित्तीय क्षमता – कई नगर निकायों के पास स्वतंत्र रूप से बॉन्ड जारी करने के लिए आवश्यक वित्तीय विशेषज्ञता और क्रेडिट योग्यता नहीं होती।
  • नियामकीय बाधाएँजटिल अनुमोदन प्रक्रिया और सीमित बाजार पहुँच ग्रीन बॉन्ड की तेजी से स्वीकृति को बाधित करती हैं।
  • निगरानी और जवाबदेही – कोष के पारदर्शी उपयोग और पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन को सुनिश्चित करना कठिन होता है।
  • निवेशक जागरूकता की कमी – घरेलू निवेशकों में ग्रीन फाइनेंस उपकरणों की जानकारी सीमित होने के कारण माँग कम होती है।

आगे की राह

  • क्षमता निर्माण – ULBs को वित्तीय नियोजन, ESG अनुपालन, और परियोजना मूल्यांकन में प्रशिक्षित किया जाए।
  • नीतिगत प्रोत्साहनकर छूट, जोखिम गारंटी, और सरलीकृत ढाँचे की पेशकश की जाए।
  • मजबूत सत्यापन तंत्रतीसरे पक्ष प्रमाणन प्रणाली विकसित की जाए, जो ग्रीन बॉन्ड की प्रामाणिकता और प्रभाव को ट्रैक कर सके।
  • निवेशक पहुँच का विस्तारपेंशन फंड, बीमा कंपनियों, और ESG-फोकस्ड निवेशकों को लक्षित किया जाए।
  • राष्ट्रीय मिशनों के साथ समन्वयAMRUT, स्मार्ट सिटी मिशन, और जल जीवन मिशन के साथ ग्रीन वित्त पहलों को जोड़कर अधिक प्रभावी बनाया जाए।

Source: PIB

 

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