भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना

पाठ्यक्रम: GS3/भारतीय अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • हाल ही में नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने बताया कि भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (सकल नॉमिनल GDP) बन गया है और आगामी 2.5 से 3 वर्षों में जर्मनी को भी पीछे छोड़ने की संभावना है।

भारत की आर्थिक वृद्धि  

  • भारत की सकल नॉमिनल जीडीपी अब $4.19 ट्रिलियन तक पहुँच गई है, जो जापान के अनुमानित $4.18 ट्रिलियन से अधिक है। 
india powers past japan4th largest economy in the world
  • आई.एम.एफ. की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025 में 6.2% और 2026 में 6.3% की अनुमानित वृद्धि दर के साथ, सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी।
    • विगत् दशक में, भारत ने अपनी जीडीपी को $2.1 ट्रिलियन (2015) से दोगुना कर वर्तमान स्तर तक पहुँचाया है।

तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना

  • आई.एम.एफ. का अनुमान है कि भारत 2028 तक जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, और उसकी जीडीपी $5.5 ट्रिलियन तक पहुँच जाएगी।
    • जर्मनी की अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर: 0% (2025), और 0.9% (2026) (वैश्विक व्यापार तनाव के कारण)।

भारत की आर्थिक वृद्धि के प्रमुख कारक

  • घरेलू उपभोग में वृद्धि: भारत की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से निजी उपभोग से प्रेरित है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।
    • शहरीकरण और जीवनशैली में परिवर्तन से उपभोग-आधारित वृद्धि में वृद्धि हुई है। 
    • 2030 तक भारत की शहरी आबादी 600 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • जनसांख्यिकीय लाभ: भारत की औसत आयु केवल 29 वर्ष है, जो आने वाले दशकों के लिए एक उत्पादक कार्यबल सुनिश्चित करता है।
  • अवसंरचना विकास और डिजिटल परिवर्तन: भारत ने परिवहन, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी सहित आधुनिक अवसंरचना में भारी निवेश किया है।
    • उदाहरण: भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का उदय, भारत वैश्विक स्टार्टअप केंद्र के रूप में उभर रहा है, और आईटी क्षेत्र में नवाचार आधारित वृद्धि।
  • निर्माण और सेवा क्षेत्र की वृद्धि: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI)’ योजनाओं के तहत भारत के निर्माण क्षेत्र ने महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है।
    • इसके अतिरिक्त, सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से आईटी और वित्तीय सेवाएँ, जीडीपी में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
  • वैश्विक और बाहरी पुनर्संरचना: ‘चाइना प्लस वन’ और ‘सप्लाई चेन रेजिलिएंस इनिशिएटिव (SCRI)’ जैसी रणनीतिक पहलों से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह बढ़ रहा है।
    •  वैश्विक कंपनियाँ अपने विनिर्माण आधारों में विविधता ला रही हैं और चीन के विकल्प के रूप में भारत को चुन रही हैं। उदाहरण: एप्पल ने भारत में विनिर्माण इकाइयों के लिए निवेश किया है।
  • सुधार-आधारित वृद्धि:
    • वस्तु एवं सेवा कर (GST) ने एकीकृत घरेलू बाजार बनाया है।
    • दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) ने व्यापार सुगमता को बढ़ाया है।
    • कॉर्पोरेट कर में कटौती और पीएम गति शक्ति, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP), और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलें पूँजी निर्माण को बढ़ावा दे रही हैं।

अतिरिक्त जानकारी

  • वास्तविक जीडीपी: यह मुद्रास्फीति को समायोजित कर अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य मापता है।
  • सकल नॉमिनल जीडीपी: यह वर्तमान बाजार मूल्यों पर बिना मुद्रास्फीति समायोजन के उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य मापता है।

चुनौतियाँ और चिंताएँ

  • वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितता: भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार से गहराई से जुड़ी हुई है, और व्यापार प्रतिबंधों एवं आपूर्ति शृंखला बाधाओं सहित भू-राजनीतिक तनाव इसकी वृद्धि के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं।
  • मुद्रास्फीति और मूल्य अस्थिरता: मुद्रास्फीति के दबाव कम हुए हैं, लेकिन सेवाओं में मुद्रास्फीति बनी हुई है। ईंधन और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय हैं।
  • रोजगार और कार्यबल चुनौतियाँ: स्वचालन और ए.आई. के कारण भारत का कार्यबल व्यवधानों का सामना कर रहा है। श्रमिकों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए कौशल विकास और पुनः प्रशिक्षण आवश्यक है।
  • व्यापार घाटा और निर्यात चुनौतियाँ: भारत का चालू खाता घाटा 1% जीडीपी तक कम हुआ है, लेकिन कमजोर वैश्विक माँग ने निर्यात को प्रभावित किया है। सरकार घटते निर्यात से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए व्यापार साझेदारी में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
  • अवसंरचना और निवेश आवश्यकताएँ: भारत की पूँजीगत व्यय (Capex) से जीडीपी का अनुपात 3.3% तक बढ़ गया है, जो अवसंरचना में मजबूत निवेश को दर्शाता है। हालाँकि, परिवहन, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर निवेश की आवश्यकता है।

आगे की राह

  • वैश्विक बाजारों पर निर्भरता कम करने के लिए व्यापार साझेदारी में विविधता लाना।
  • विभिन्न पहलों और योजनाओं के माध्यम से घरेलू विनिर्माण को मजबूत करना।
  • वित्तीय समावेशन और शासन को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल परिवर्तन में निवेश करना।

Source: News on AIR

 

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