पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण
संदर्भ
- लाइबेरियन ध्वजांकित मालवाहक जहाज MSC ELSA 3 अरब सागर में केरल तट से 14 समुद्री मील दूर डूब गया, जिससे अत्यधिक मात्र में तेल रिसाव हुआ और पर्यावरणीय चिंताएँ बढ़ गईं।
- भारतीय तटरक्षक जहाज सक्षम और एक डॉर्नियर विमान को तेल रिसाव प्रतिक्रिया के लिए तैनात किया गया है।
तेल रिसाव क्या है?
- तेल रिसाव (Oil Spill) का अर्थ है कि तरल पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन का टैंकर, अपतटीय प्लेटफॉर्म, ड्रिलिंग रिग या कुएँ से पर्यावरण, विशेष रूप से समुद्री क्षेत्रों में रिसाव।
- रिसाव पदार्थ: इसमें परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद जैसे गैसोलीन और डीजल ईंधन शामिल हो सकते हैं, साथ ही इनके उप-उत्पाद — बड़े जहाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले भारी ईंधन जैसे बंकर ईंधन या तेलयुक्त कचरा।
तेल रिसाव की पूर्व घटनाएँ
- अंतर्राष्ट्रीय घटनाएँ:
- वेनेजुएला (2020): एल पालिटो रिफाइनरी से तेल रिसाव।
- मॉरीशस (MV Wakashio, 2020): जापानी जहाज MV Wakashio ईंधन तेल ले जाते समय दो भागों में विखंडित हो गया।
- रूस (आर्कटिक, 2020): नोरिल्स्क डीजल ईंधन रिसाव।
- गहरे पानी का क्षितिज (Deepwater Horizon, 2010): मेक्सिको की खाड़ी में बड़ा तेल रिसाव।
- भारत में तेल रिसाव घटनाएँ:
- चेन्नई (2017): कामराजर पोर्ट लिमिटेड (KPL) पर दो जहाजों की टक्कर से बड़ा तेल रिसाव हुआ।
- सुंदरबन (2014): सेला नदी, बांग्लादेश में तेल रिसाव से भारत में पर्यावरणीय चिंता उत्पन्न हुई।
- ONGC उरण संयंत्र (2013): अरब सागर में तेल रिसाव।
- मुंबई तट (2010): दो जहाजों की टक्कर से 800 टन तेल रिसाव हुआ।
तेल रिसाव से होने वाली क्षति
- पर्यावरणीय प्रभाव: तेल समुद्री जीवों, जैसे मछलियों, पक्षियों और स्तनधारियों को नुकसान पहुँचाता है। तेल उनके फर या पंखों पर परत बना सकता है, जिससे उनका तैरना या उड़ना कठिन हो जाता है।
- आवास विनाश: तेल तटों, दलदली क्षेत्रों और मैंग्रोव को प्रदूषित कर सकता है, जिससे दीर्घकालिक क्षति होती है।
- मत्स्य पालन और जलीय कृषि: प्रदूषित जल की मछली की आबादी को कम करता है, जिससे मछली पकड़ने के उपकरण भी प्रभावित होते हैं और समुदायों की आजीविका खतरे में पड़ती है।
- पर्यटन: प्रभावित तटीय क्षेत्रों में पर्यटन घट जाता है, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।
- विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना: पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) जैसे तेल में मौजूद रसायन मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं।
- तेल की गंध का साँस में जाना, प्रदूषित समुद्री भोजन का सेवन, या तेल के सीधे संपर्क में आने से श्वसन संबंधी समस्याएँ, त्वचा में जलन, और दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव हो सकते हैं।
तेल रिसाव से निपटने के लिए वैश्विक प्रयास
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्रदूषण रोकथाम संधि (MARPOL, 1973):
- यह अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा प्रारंभ की गई और तेल रिसाव पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठित प्रयासों की आवश्यकता को स्वीकार किया गया।
- भारत MARPOL संधि का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
- अंतर्राष्ट्रीय तेल प्रदूषण तैयारी, प्रतिक्रिया और सहयोग संधि (1990):
- तेल प्रदूषण की प्रमुख घटनाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आपसी सहायता को सुविधाजनक बनाने का ढाँचा प्रदान करती है।
भारत में तेल रिसाव से निपटने के प्रयास
- राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना (NOS-DCP):
- भारतीय तटरक्षक बल (ICG) इस योजना को बनाए रखने और लागू करने के लिए ज़िम्मेदार है।
- इसे 1996 में अधिसूचित किया गया और 2015 में संशोधित किया गया।
- इसके मुख्य उद्देश्य:
- तेल रिसाव की प्रभावी रिपोर्टिंग।
- तेल प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और मुकाबला करने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य और समुद्री पर्यावरण की पर्याप्त सुरक्षा।
- तेल रिसाव और प्रदूषण रोकने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग।
- मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958:
- यह कानून किसी जहाज के नियमन का उल्लंघन करने पर जहाज के मालिक को नोटिस देने की शक्ति देता है।
- यदि मालिक अनुपालन नहीं करता है, तो भारत सरकार अपराधी को दंडित कर सकती है।
तेल रिसाव नियंत्रण उपाय
- बायोरिमेडिएशन: विशिष्ट सूक्ष्मजीवों के उपयोग से विषाक्त या हानिकारक पदार्थों को हटाने की प्रक्रिया।
- TERI ने ‘Oil Zapper’ बैक्टीरिया विकसित किया, जो तेल को तेजी से विघटित कर सकता है।
- तेल बूम्स: अस्थायी तैरते अवरोधक, जो तेल रिसाव को रोकते हैं और पुनर्प्राप्ति में सहायता करते हैं।
- विखंडन एजेंटों (Dispersants) का उपयोग:
- जहाजों या विमानों से स्प्रे किए जाने वाले रसायन जो तेल के प्राकृतिक विखंडन में सहायता करते हैं।
- इन-सिटू जलना (Controlled Burning):
- तेल के केंद्रित हिस्सों को जलाकर उसकी मात्रा कम करना।
- स्किमिंग:
- विशेष उपकरणों द्वारा तट रेखा तक पहुँचने से पहले तेल को सतह से हटाना।
| भारतीय तटरक्षक बल (ICG) – ICG भारत की समुद्री कानून प्रवर्तन और खोज एवं बचाव एजेंसी है, जिसका अधिकार क्षेत्र इसके क्षेत्रीय जल, संगत क्षेत्र और विशेष आर्थिक क्षेत्र में फैला हुआ है। – 1977 में ‘तटरक्षक अधिनियम, 1978’ द्वारा स्थापित किया गया। – मंत्रालय: रक्षा मंत्रालय – मुख्यालय: नई दिल्ली |
Source: IE
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