पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- भारत और रूस बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य और घरेलू नीति परिवर्तनों के बीच परमाणु ऊर्जा, साइबर रक्षा एवं उन्नत प्रौद्योगिकियों में रणनीतिक सहयोग को बढ़ा रहे हैं।
भारत-रूस सहयोग में हुई प्रगति
- परमाणु ऊर्जा विस्तार: भारत विदेशी निवेश और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए परमाणु दायित्व कानूनों में संशोधन कर रहा है।
- रूसी राज्य-स्वामित्व वाली परमाणु कंपनी रोसाटॉम, जिसने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (NPP) का निर्माण किया है, ने महाराष्ट्र के साथ थोरियम-आधारित स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
| स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) क्या हैं? – स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) आधुनिक परमाणु रिएक्टर हैं जिनकी उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट (MW(e)) तक होती है, जो पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की क्षमता का लगभग एक-तिहाई है। – स्मॉल: पारंपरिक परमाणु रिएक्टर की तुलना में आकार में काफी छोटा। – मॉड्यूलर: सिस्टम और घटकों को फैक्ट्री में तैयार कर एक इकाई के रूप में साइट पर स्थापित किया जा सकता है। – रिएक्टर्स: नाभिकीय विखंडन के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन के लिए ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। – SMRs के चार प्रमुख प्रकार होते हैं: लाइट वाटर, हाई टेम्परेचर गैस, लिक्विड मेटल, और मोल्टन सॉल्ट। |
- साइबर सुरक्षा और डिजिटल अवसंरचना: भारत और रूस साइबर रक्षा तंत्र, क्षेत्र-विशिष्ट फ़ायरवॉल, और वैश्विक बाज़ार के लिए साइबर सुरक्षा उत्पादों के सह-विकास की संभावनाएँ खोज रहे हैं।
- रूस की साइबर सुरक्षा फाउंडेशन Cyberus ने भारत की फिनटेक, ई-गवर्नेंस, और स्मार्ट सिटी विकास को गहन साइबर सहयोग के लिए एक मजबूत आधार माना है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग: मास्को स्थित गैर-लाभकारी संगठन इनोप्रैक्टिका भारत और रूस में इंडो-रूसी प्रौद्योगिकी संघ एवं इंजीनियरिंग केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है।
- दिल्ली विश्वविद्यालय और रूस के हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के बीच डेटा भंडारण, प्रसंस्करण और अंतरिक्ष प्रणालियों पर अनुसंधान के लिए “मिरर प्रयोगशाला” बनाने हेतु समझौते हुए हैं।
- अन्य प्रमुख सहयोग क्षेत्रों: सेमीकंडक्टर्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, महत्त्वपूर्ण खनिज और ब्रह्मोस-जैसे सह-विकास मॉडल को नवाचार और संयुक्त उत्पाद विकास के लिए पहचाना गया है।
रणनीतिक महत्त्व
- ऊर्जा सुरक्षा: SMRs भारत के निम्न-कार्बन ऊर्जा परिवर्तन के लिए एक सुरक्षित, लचीला, और स्केलेबल परमाणु विकल्प प्रदान करते हैं।
- तकनीकी संप्रभुता: AI, सेमीकंडक्टर और साइबर रक्षा में संयुक्त उद्यम पश्चिमी तकनीकों पर निर्भरता को कम करेंगे।
- भू-राजनीतिक पुनर्संयोजन: रूस के साथ संबंधों को मजबूत करने से एशियाई तनाव और बहुपक्षीय व्यवस्था में हो रहे व्यवधानों के बीच भारत को एक रणनीतिक संतुलन प्राप्त होगा।
- आर्थिक विविधीकरण: नवंबर 2024 में, नई दिल्ली में एक रूसी व्यापार केंद्र का उद्घाटन हुआ, जिसका उद्देश्य भारत और रूस के बीच व्यापार और उच्च-तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है।
निष्कर्ष
- भारत-रूस सहयोग अब केवल पारंपरिक रक्षा साझेदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि परमाणु SMRs, साइबर रक्षा, और डिजिटल नवाचार जैसे भविष्यवादी क्षेत्रों में गहराई से विकसित हो रहा है।
- समय पर नीतिगत सुधार और संरचित जुड़ाव के साथ, यह भागीदारी दोनों देशों के लिए रणनीतिक स्वायत्तता को बढ़ाने और एक बहुध्रुवीय तकनीकी व्यवस्था को आकार देने में योगदान दे सकती है।
Source: ET
Previous article
थिएटर कमांड: भारत में सैन्य सुधारों का एक नया युग