भारत द्वारा वर्ष के अंत तक रसद लागत को 9% तक कम करने का लक्ष्य

पाठ्यक्रम: GS3/ अवसंरचना

समाचार में 

  • हाल ही में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा है कि भारत की लॉजिस्टिक्स लागत वर्ष के अंत तक घटकर 9% रह जाएगी।

पृष्ठभूमि 

  • लॉजिस्टिक्स लागत उस कुल व्यय को दर्शाती है जो वस्तुओं को उनके उत्पत्ति स्थल से उपभोग स्थल तक पहुँचाने में लगता है।
    • यह परिवहन लागत, गोदाम लागत, इन्वेंट्री रख-रखाव लागत और पैकेजिंग एवं प्रशासनिक लागत को शामिल करती है। 
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में बताया गया कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत GDP के 14-18% के बीच रही है, जबकि वैश्विक मानक लगभग 8% है।

भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र

  •  भारत के गतिशील आर्थिक परिदृश्य में लॉजिस्टिक्स उद्योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह देश के विशाल भूभाग में वस्तुओं और सेवाओं की कुशल आवाजाही को सक्षम बनाता है। 
  • भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र विश्व के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है और इसमें विशाल संभावनाएं विद्यमान हैं। 
  • वर्तमान में यह क्षेत्र भारत की GDP में 13-14% का योगदान करता है और देश की तीव्र आर्थिक वृद्धि के अनुरूप इसका विस्तार हो रहा है। 
  • 2023 में भारत ने विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI) में 139 देशों में से 38वाँ स्थान प्राप्त किया — जो 2018 की तुलना में छह पायदान ऊपर है।

एक मजबूत लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के लाभ

  • आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता: कुशल लॉजिस्टिक्स से वस्तुओं एवं सेवाओं की कुल लागत कम होती है, जिससे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में सुधार होता है।
  • निर्यात और व्यापार में वृद्धि: विश्वसनीय एवं किफायती लॉजिस्टिक्स टर्नअराउंड समय कम करता है और डिलीवरी प्रतिबद्धताओं को बेहतर बनाता है।
  • औद्योगिक विकास: इनपुट लागत को कम करता है और जस्ट-इन-टाइम (JIT) उत्पादन मॉडल को सुगम बनाता है।
  • व्यापार करने में आसानी: कुशल माल परिवहन अनुपालन भार और इन्वेंट्री लागत को कम करता है।
    • घरेलू और विदेशी निवेश को प्रोत्साहन।
  • आपूर्ति श्रृंखला की लचीलापन में वृद्धि: व्यवधान और विलंब की आशंका को कम कर आपूर्ति श्रृंखला की पूर्वानुमेयता और लचीलेपन को बढ़ाता है।

भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • प्रौद्योगिकी को अपनाने की धीमी गति: इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), RFID और स्वचालन जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाने की गति धीमी है।
    • इससे मैनुअल प्रक्रियाएँ, त्रुटियाँ और लागत में वृद्धि होती है।
  • बुनियादी ढांचे की बाधाएँ: सड़कों, बंदरगाहों और अंतिम-मील कनेक्टिविटी की कमी, खराब सड़क स्थितियाँ और ट्रैफिक जाम देरी और लागत में वृद्धि का कारण बनते हैं।
  • उच्च लॉजिस्टिक्स लागत: भारत की लॉजिस्टिक्स लागत GDP की लगभग 13-14% है, जो वैश्विक औसत 8% से कहीं अधिक है।
  • अप्रभावी वेयरहाउसिंग: पुरानी सुविधाएँ, स्वचालन की कमी और अपर्याप्त भंडारण क्षमता लॉजिस्टिक्स लागत को बढ़ाते हैं।
  • सीमित परिवहन विकल्प: सड़क परिवहन पर अत्यधिक निर्भरता और रेल तथा तटीय शिपिंग जैसे वैकल्पिक साधनों का सीमित उपयोग भी लागत को प्रभावित करता है।

भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देना: इससे क्षेत्र को कम ब्याज दर पर वित्तीय सहायता उपलब्ध हो सकी है।
  • पीएम गतिशक्ति पहल: यह एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान है जो मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी पर केंद्रित है जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिल सके।
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP): 2022 में शुरू की गई इस नीति का उद्देश्य अंतिम मील डिलीवरी को तेज करना, परिवहन से संबंधित समस्याओं को समाप्त करना और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में अपेक्षित गति सुनिश्चित करना है।
    • नीति का लक्ष्य लॉजिस्टिक्स लागत को GDP के 14–18% से घटाकर 8% तक लाना है।
  • डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC): पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसे माल ढुलाई मार्गों का निर्माण किया जा रहा है।
  • भारतमाला परियोजना: यह एक प्रमुख सड़क एवं राजमार्ग विकास कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य देशभर में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है।
    • इसमें आर्थिक कॉरिडोर, इंटर-कॉरिडोर और फीडर मार्गों का विकास शामिल है।
  • सागरमाला परियोजना: यह बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देती है, जिससे घरेलू और निर्यात-आयात व्यापार के लिए लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आए।
    • इसमें बंदरगाहों, तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास शामिल है।

आगे की राह

  • डिजिटलीकरण: दस्तावेज़ों और लेन-देन का डिजिटलीकरण करने से कागजी कार्रवाई कम होती है और लॉजिस्टिक्स संचालन की समग्र दक्षता बढ़ती है।
  • डेटा विश्लेषण: यह आपूर्ति श्रृंखला प्रदर्शन पर कीमती अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जिससे बेहतर निर्णय लेने और मार्ग, इन्वेंट्री प्रबंधन और संसाधन आवंटन का अनुकूलन संभव होता है।
  • प्रौद्योगिकी उन्नयन: बारकोड स्कैनिंग, RFID और रीयल-टाइम ट्रैकिंग जैसी तकनीकें ट्रेसिंग क्षमताओं में सुधार लाकर संचालन दक्षता और लागत में कमी सुनिश्चित करती हैं।
  • वेयरहाउस दक्षता: बेहतर इन्वेंट्री सटीकता, स्टॉक की न्यूनतम आवश्यकता और शेल्फ उपलब्धता को बेहतर बनाकर समग्र वेयरहाउस प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है।

निष्कर्ष 

  • जैसे-जैसे भारत वैश्विक विनिर्माण के लिए चीन का विकल्प बनने की दिशा में बढ़ रहा है, कुशल लॉजिस्टिक्स उसकी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों से आगे ले जाने में सहायक सिद्ध होगा। 
  • बेहतर लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन व्यापार प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा, रोजगार सृजित करेगा और भारत को एक क्षेत्रीय तथा वैश्विक लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करने में सहायक बनेगा।

Source: AIR

Read this in English: India to Cut Logistics Cost to 9% by Year-End

 

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