पाठ्यक्रम :GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- हाल ही में इस्पात मंत्रालय ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के गुणवत्ता मानदंडों को इस्पात इनपुट्स और आयातों तक विस्तारित कर दिया है, जिससे उद्योग जगत को अनुपालन के लिए एक कार्य दिवस से भी कम समय दिया गया।

भारत का इस्पात क्षेत्र
- इस्पात औद्योगीकरण का एक प्रमुख प्रेरक रहा है और इसे आर्थिक विकास की आधारशिला माना जाता है।
- कच्चे माल और मध्यवर्ती उत्पाद दोनों के रूप में, इसका उत्पादन और उपभोग किसी राष्ट्र की प्रगति को दर्शाता है।
- भारत में इस्पात उद्योग को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है: प्रमुख उत्पादक, मुख्य उत्पादक और द्वितीयक उत्पादक।
वर्तमान स्थिति
- भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक है, जिसने वित्त वर्ष 2023-24 में 144.3 मिलियन टन कच्चा इस्पात उत्पादन किया।
- 2023-24 के दौरान भारत तैयार इस्पात का शुद्ध आयातक रहा, जिसमें 7.49 मिलियन टन निर्यात और 8.32 मिलियन टन आयात हुआ।
- इस्पात क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो लगभग 2% जीडीपी में योगदान देता है।
कदम
- भारत सरकार ने पूर्वोदय कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य पूर्वी भारत के विकास को एकीकृत इस्पात हब की स्थापना के माध्यम से तेज़ करना है।
- राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017 में 2030-31 तक 300 मिलियन टन उत्पादन क्षमता का लक्ष्य है।
- केंद्रीय बजट 2024-25 में फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्क व सांद्रण (इस्पात उद्योग के कच्चे माल) पर मूल सीमा शुल्क (BCD) को 2.5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
- फेरस स्क्रैप और CRGO स्टील के निर्माण के लिए निर्दिष्ट कच्चे माल पर BCD छूट को 31.03.2026 तक बढ़ाया गया है।
- सरकारी खरीद के लिए ‘मेक इन इंडिया’ स्टील को बढ़ावा देने हेतु देश में निर्मित लोहा एवं इस्पात उत्पाद नीति (DMI&SP) को लागू किया गया है।
- ‘विशेष इस्पात’ के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश आकर्षित कर आयात घटाने हेतु विशेष इस्पात के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना शुरू की गई है।
- घरेलू इस्पात उद्योग की चिंताओं को संबोधित करने के लिए इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (SIMS) 2.0 को नए सिरे से तैयार किया गया है।
- स्टील गुणवत्ता नियंत्रण आदेश की शुरूआत, जिससे निम्न गुणवत्ता/ दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों को घरेलू बाज़ार और आयात दोनों में प्रतिबंधित किया गया है, ताकि उद्योग, उपभोक्ताओं और आम जनता के लिए उच्च गुणवत्ता वाला इस्पात सुनिश्चित किया जा सके।
चुनौतियाँ और चिंताएँ
- भारत का इस्पात उद्योग सस्ते चीनी निर्यात में वृद्धि के कारण गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिससे घरेलू कीमतें और निर्यात प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई है।
- भारतीय इस्पात उत्पादकों का कहना है कि सुरक्षा शुल्क जैसी सुरक्षात्मक उपायों के बिना भारत वैश्विक इस्पात अधिशेष का डंपिंग ग्राउंड बन सकता है।
- सरकारी समर्थन की कमी और पर्याप्त पूर्व सूचना के बिना अचानक कार्यान्वयन को उद्योग के हितधारकों द्वारा कड़ी आलोचना मिली है।
आगे की दिशा
- भारत के ‘मेक इन इंडिया’ जैसे नीति प्रयासों के माध्यम से विनिर्माण हब बनने के लक्ष्य के अंतर्गत इस्पात उद्योग एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बनकर उभरा है, क्योंकि इसकी आपूर्ति पर कई विविध क्षेत्रों की निर्भरता है।
- भले ही चीनी निर्यात अधिक हो, भारत एक मजबूत वृद्धि वाला बाज़ार बना हुआ है।
- भारत को आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित करने के लिए आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू इस्पात उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सुरक्षात्मक उपायों को सक्रिय रूप से लागू करना होगा।
Source :TH
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