पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीयों से आग्रह किया है कि वे भारत में निर्मित उत्पादों को खरीदें, ताकि 2047 तक एक विकसित भारत का निर्माण किया जा सके।
- प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के धार जिले में देश के प्रथम पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (PM MITRA) पार्क की आधारशिला रखी।
परिचय
- धार में स्थित पीएम मित्रा पार्क उन सात प्रतिष्ठानों में से एक है जिन्हें केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय द्वारा स्वीकृति दी गई है।
- अन्य स्थान हैं: तमिलनाडु का विरुधनगर, तेलंगाना का वारंगल, गुजरात का नवसारी, कर्नाटक का कलबुर्गी, उत्तर प्रदेश का लखनऊ और महाराष्ट्र का अमरावती।
- 5F थीम पर आधारित — खेत से रेशा, रेशा से फैक्ट्री, फैक्ट्री से फैशन, फैशन से विदेश — यह पहल भारत के वस्त्र निर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती है।
भारत का विनिर्माण क्षेत्र
- भारत का विनिर्माण क्षेत्र वर्तमान में देश की GDP में 17% का योगदान दे रहा है।
- भारत का लक्ष्य है कि विनिर्माण क्षेत्र का GDP में हिस्सा 25% तक पहुँचाया जाए।
- भारत ने 14 उभरते क्षेत्रों को चिन्हित किया है जैसे सेमीकंडक्टर, नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण, चिकित्सा उपकरण, बैटरियाँ और श्रम-प्रधान उद्योग जैसे चमड़ा एवं वस्त्र — ताकि GDP में विनिर्माण का हिस्सा बढ़ाया जा सके।
- विकास और प्रदर्शन: वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) 2022-23 के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र ने उत्पादन में 21.5% की सुदृढ़ वृद्धि दर्ज की, जबकि सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 7.3% की वृद्धि हुई।
- मूल धातु निर्माण, कोक और परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद, खाद्य उत्पाद, रसायन एवं मोटर वाहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों ने कुल विनिर्माण उत्पादन में 58% योगदान दिया।
- रोजगार सृजन: विनिर्माण क्षेत्र रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत रहा है, जिसने 2022-23 में लगभग 22 लाख रोजगार प्रदान किए हैं।
- महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य इस क्षेत्र के GVA और रोजगार में अग्रणी योगदानकर्ता रहे हैं।
भारत के विनिर्माण क्षेत्र की चुनौतियाँ
- बुनियादी ढांचे की बाधाएँ: उच्च लॉजिस्टिक लागत, कमजोर बंदरगाह संपर्क और विद्युत की कमी के कारण उत्पादन कम होता है।
- कम अनुसंधान एवं नवाचार: भारत GDP का 1% से भी कम R&D में निवेश करता है, जिससे उच्च तकनीक निर्माण सीमित होता है।
- आयात पर निर्भरता: सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक घटकों और रक्षा उपकरणों के लिए भारी आयात निर्भरता।
- कौशल अंतराल: कार्यबल की कौशल क्षमता और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच बड़ा अंतर है।
- कम उत्पादकता: पुरानी मशीनरी, छोटे और बिखरे हुए इकाइयों तथा सीमित स्वचालन के कारण उत्पादकता कम रहती है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा: वियतनाम, बांग्लादेश और चीन जैसे देश सस्ती उत्पादन लागत एवं बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं, जिससे भारतीय उत्पाद कम प्रतिस्पर्धी बनते हैं।
- पर्यावरणीय चिंताएँ: सतत और हरित विनिर्माण के लिए बढ़ते दबाव के साथ उच्च अनुपालन लागत।
मेक इन इंडिया को सक्षम बनाने के लिए प्रमुख पहलें

भारत के विनिर्माण क्षेत्र की हालिया उपलब्धियाँ
- व्यवसाय करने में आसानी: विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (DBR) 2020 में भारत का स्थान 2014 में 142वें से बढ़कर 63वाँ हुआ।
- टीका उत्पादन: भारत ने रिकॉर्ड समय में COVID-19 टीकाकरण कवरेज प्राप्त किया और साथ ही कई विकासशील एवं अल्पविकसित देशों को टीका निर्यात भी किया।
- भारत विश्व के लगभग 60% टीकों की आपूर्ति करता है, अर्थात प्रत्येक दूसरा टीका गर्व से भारत में बना है।
- वंदे भारत ट्रेनें: भारत की प्रथम स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें हैं, जो ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता का उज्ज्वल उदाहरण हैं।
- वर्तमान में भारतीय रेलवे में 102 वंदे भारत ट्रेन सेवाएँ (51 ट्रेनें) संचालित हैं।
- आईएनएस विक्रांत: यह भारत का प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत है।
- 2023-24 में रक्षा उत्पादन ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुँच गया, और 90 से अधिक देशों को निर्यात हुआ — जो इस क्षेत्र में भारत की बढ़ती शक्ति एवं क्षमता को दर्शाता है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स: FY17 में USD 48 बिलियन से FY23 में USD 101 बिलियन तक उत्पादन लगभग दोगुना हुआ, जिसमें मोबाइल फोन का योगदान 43% रहा।
- भारत अब विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता है और 99% उत्पादन घरेलू रूप से होता है।
- भारतीय साइकिलें: यूके, जर्मनी और नीदरलैंड को निर्यात के साथ अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं।
- ‘मेड इन बिहार’ बूट्स: अब रूसी सेना के उपकरणों का हिस्सा हैं — भारतीय उत्पादों के लिए वैश्विक रक्षा बाज़ार में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि।
- अमूल: अमेरिका में अपने डेयरी उत्पाद लॉन्च कर भारतीय डेयरी को वैश्विक मंच पर पहुँचा रहा है।
- वस्त्र उद्योग: देशभर में 14.5 करोड़ नौकरियाँ सृजित की हैं, जो भारत के रोजगार परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान है।
निष्कर्ष
- ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने भारी उद्योग और इंजीनियरिंग क्षेत्र पर परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है।
- इसने तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देकर, घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर, प्रतिस्पर्धा को सशक्त बनाकर तथा रोजगार सृजन करके भारत के औद्योगिक आधार को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- नीतिगत समर्थन और निरंतर निवेश के साथ, यह क्षेत्र आगामी वर्षों में और अधिक विकास के लिए तैयार है।
Source: TH
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