पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
समाचारों में
- COP30, बेलें (ब्राज़ील) में भारत ने 13 देशों और अफ्रीकी द्वीप राज्यों की जलवायु आयोग (AISCC) के साथ मिलकर राष्ट्रीय “क्लाइमेट एंड नेचर फाइनेंस प्लेटफॉर्म्स” की घोषणा की। ये प्लेटफॉर्म्स ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) के माध्यम से समन्वित किए जाएंगे।
ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) क्या है?
- ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) विश्व का सबसे बड़ा समर्पित बहुपक्षीय जलवायु कोष है, जिसकी स्थापना 2010 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के अंतर्गत की गई थी।
- इसका उद्देश्य विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन का सामना करने में मदद करना है, जिसमें अनुकूलन (Adaptation) और शमन (Mitigation) दोनों गतिविधियों का समर्थन शामिल है।
- GCF, पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9 के अनुसार, उसके क्रियान्वयन का केंद्रीय हिस्सा है। यह विकासशील देशों को उनके राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) और जलवायु लचीलापन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।
- इसका वित्तपोषण मुख्य रूप से विकसित देशों के स्वैच्छिक योगदान से होता है, साथ ही निजी क्षेत्र और अन्य स्रोतों से अतिरिक्त समर्थन मिलता है।
- GCF को अपने संसाधनों का 50% शमन और 50% अनुकूलन में अनुदान समकक्ष निवेश करने का दायित्व है।
- इसका मुख्यालय इंचियोन, दक्षिण कोरिया में स्थित है।
भारत ने “कंट्री प्लेटफॉर्म” क्लाइमेट एंड नेचर फाइनेंस के लिए क्यों शुरू किया?
- भारत पहले से ही GCF के साथ संवाद करता है। लेकिन वर्तमान प्रणाली बिखरी हुई है — कई मंत्रालय, संस्थान और निजी क्षेत्र अलग-अलग प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं।
- एकीकृत राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म के लाभ:
- सभी जलवायु-संबंधी वित्तीय प्रयासों को एक मंच के अंतर्गत लाना है।
- केंद्र मंत्रालयों, राज्य सरकारों और निजी संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना।
- प्रस्ताव तैयार करने और परियोजना अनुमोदन की गति बढ़ाना।
- GCF के कम लागत वाले ऋण और अनुदानों तक अधिक पहुंच सुनिश्चित करना।
- भारत की आगामी राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (National Adaptation Plan) को समर्थन देना।
- वैश्विक अनुकूलन लक्ष्य (Global Goal on Adaptation – GGA) संकेतकों के माध्यम से अनुकूलन परिणामों की बेहतर निगरानी करना।
Source: TH
Previous article
5वां लेखापरीक्षा दिवस
Next article
संक्षिप्त समाचार 17-11-2025