पाठ्यक्रम: GS 3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- 2025 में, सरकार ने शहरी विकास के लिए 96,777 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो विगत् वर्ष की तुलना में वृद्धि है, लेकिन मुद्रास्फीति के समायोजन के पश्चात्, यह कमी को दर्शाता है।
बजट की प्रमुख बातें – प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसी प्रमुख योजनाओं में महत्त्वपूर्ण कटौती देखी गई, जो नीतिगत महत्वाकांक्षाओं और वास्तविक व्यय के बीच अंतर को दर्शाती है। – शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को हस्तांतरण कम कर दिया गया है, तथा GST के कारण राजस्व हानि ने समस्या को जटिल बना दिया है। – केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाओं, विशेषकर मेट्रो परियोजनाओं के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध कराई गई, लेकिन स्वच्छ भारत मिशन और स्मार्ट सिटी मिशन जैसे शहरी कार्यक्रमों में कटौती की गई। – 10,000 करोड़ रुपये के शहरी चुनौती कोष की शुरूआत से पूँजी-गहन बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने पर बल दिया गया है, जबकि सतत् विकास, रोजगार सृजन और सामाजिक समानता पर सीमित ध्यान दिया गया है। |
शहरीकरण वृद्धि
- भारत का शहरीकरण आर्थिक संकट से प्रेरित है, जबकि वैश्विक उत्तर में इसके पश्चात् औद्योगीकरण और औपनिवेशिक धन हस्तांतरण हुआ।
- भारत के शहरीकरण को “गरीबी-संचालित शहरीकरण” के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें गाँव से शहर और शहर से शहर दोनों तरह का प्रवास होता है।
- कोविड-19 महामारी ने शहरी नियोजन की अपर्याप्तता को प्रकट किया है, तथा रिवर्स माइग्रेशन ने बुनियादी ढाँचे में अंतराल को दर्शाया है।
भारत में प्रमुख शहरी चुनौतियाँ
- शहरी जनसंख्या पर सटीक आँकड़ों का अभाव (2021 की जनगणना अनुपलब्ध); भारत की लगभग 40% जनसंख्या शहरी है।
- नियोजन संबंधी मुद्दे: स्थानिक योजनाएँ पुरानी हो चुकी हैं, जिससे भीड़भाड़ और झुग्गी-झोपड़ियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
- योजनाएँ लोगों की जरूरतों को पूरा करने के बजाय पूँजी वृद्धि पर केंद्रित होती हैं।
- जलवायु परिवर्तन प्रभाव: प्रदूषण, शहरी बाढ़ और ऊष्मा द्वीप प्रभाव शहरों को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं, विशेष रूप से दिल्ली के NCR क्षेत्र में।
- शासन संबंधी चुनौतियाँ: 74वें संविधान संशोधन के बावजूद, भारतीय शहरों में शहरी नियोजन अलोकतांत्रिक निकायों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- शहरों को अंतर-सरकारी हस्तांतरण के रूप में सकल घरेलू उत्पाद का न्यूनतम 0.5% प्राप्त होता है।
पहल
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) 2.0 को सभी शहरों में सुरक्षित स्वच्छता और नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट के वैज्ञानिक प्रसंस्करण के लक्ष्य के साथ पाँच वर्ष की अवधि के लिए 1 अक्टूबर, 2021 को लॉन्च किया गया था।
- शहरों को ‘आत्मनिर्भर’ और ‘जल सुरक्षित’ बनाने के लिए 1 अक्टूबर 2021 को अमृत 2.0 लॉन्च किया गया।
- स्मार्ट सिटीज मिशन को कुशल सेवाएँ, मजबूत बुनियादी ढाँचे और सतत् पर्यावरण प्रदान करके 100 चयनित शहरों में जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रारंभ किया गया था।
- प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) 2.0 का लक्ष्य आगामी पाँच वर्षों में शहरी गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए 1 करोड़ घर बनाना है, जिसमें 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश और 2.30 लाख करोड़ रुपये की सरकारी सब्सिडी होगी।
- स्ट्रीट वेंडिंग योजना: चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या स्ट्रीट फूड हब का विकास।
- राज्यों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार अधिक केन्द्रों के लिए स्ट्रीट-वेंडिंग योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया
सुझाव और आगे की राह
- सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में प्रगति हुई है, लेकिन शहरी क्षेत्र अभी भी गरीबी, असमानता और पर्यावरणीय गिरावट का सामना कर रहे हैं।
- भारतीय शहरों के सामने आने वाली चुनौतियों के लिए शहरी नियोजन, प्रशासन और बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिए व्यापक राष्ट्रीय हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
- शहरी विकास के लिए निरंतर निवेश की आवश्यकता होती है, तथा शहरों को विकास केन्द्र के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए।
- शहरी फैलाव को रोकने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए ऊँची इमारतों की तुलना में टिकाऊ, कम ऊँचाई वाले, रेडियल विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
Source: TH
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