पाठ्यक्रम :GS3/पर्यावरण
समाचार में
- सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत SIGHT योजना (मोड-2A) के माध्यम से हरित अमोनिया की खरीद के लिए अपनी प्रथम नीलामी आयोजित की है।
हाइड्रोजन
- हाइड्रोजन ब्रह्मांड का सबसे हल्का और प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है, जो प्रकृति में अपने मौलिक रूप में दुर्लभ होता है और इसे सदैव अन्य हाइड्रोजन युक्त यौगिकों से निकाला जाना पड़ता है।
- इसे तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: ग्रे, ब्लू और ग्रीन।
- ग्रे हाइड्रोजन: यह कोयला या लिग्नाइट गैसीकरण (काला या भूरा) अथवा प्राकृतिक गैस या मीथेन के स्टीम मीथेन रिफॉर्मेशन (SMR) द्वारा उत्पादित होता है।

- ये प्रक्रियाएं अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन वाली होती हैं।
- ब्लू हाइड्रोजन: यह प्राकृतिक गैस या कोयला गैसीकरण के माध्यम से उत्पादित होता है, जिसमें कार्बन कैप्चर स्टोरेज (CCS) या कार्बन कैप्चर उपयोग (CCU) तकनीकों का उपयोग कर उत्सर्जन को कम किया जाता है।
- ग्रीन हाइड्रोजन: यह जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा उत्पादित होता है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पन्न विद्युत का उपयोग किया जाता है।
- इसकी कार्बन तीव्रता इस बात पर निर्भर करती है कि विद्युत स्रोत कितना कार्बन-न्यूट्रल है — अर्थात विद्युत मिश्रण में जितनी अधिक नवीकरणीय ऊर्जा होगी, हाइड्रोजन उतना ही “हरित” होगा।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
- यह मिशन 4 जनवरी 2023 को प्रारंभ किया गया, जिसमें वित्त वर्ष 2029-30 तक ₹19,744 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

- यह भारत को स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य में योगदान देगा और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।
- इससे अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण डीकार्बोनाइजेशन, जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी, और भारत को हरित हाइड्रोजन में तकनीकी एवं बाज़ार नेतृत्व प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
मिशन के उपघटक
- SIGHT कार्यक्रम: रणनीतिक हस्तक्षेप कार्यक्रम के अंतर्गत दो वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र प्रदान किए जाएंगे:
- इलेक्ट्रोलाइज़र के घरेलू निर्माण हेतु
- हरित हाइड्रोजन के उत्पादन हेतु
- पायलट परियोजनाएं: मिशन नवोन्मेषी उपयोग क्षेत्रों और उत्पादन विधियों में पायलट परियोजनाओं को समर्थन देगा।
- ऐसे क्षेत्र चिन्हित किए जाएंगे जो बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन उत्पादन या उपयोग का समर्थन कर सकें और उन्हें हरित हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
- अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं: मिशन के अंतर्गत सार्वजनिक-निजी भागीदारी ढांचे में अनुसंधान (रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार साझेदारी– SHIP) को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- ये परियोजनाएं लक्ष्य आधारित, समयबद्ध और वैश्विक प्रतिस्पर्धी तकनीकों के विकास हेतु उपयुक्त रूप से विस्तारित होंगी।
- कौशल विकास: मिशन के अंतर्गत एक समन्वित कौशल विकास कार्यक्रम भी संचालित किया जाएगा।
लाभ
- डीकार्बोनाइजेशन: औद्योगिक, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों से CO₂ उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी।
- वैश्विक नेतृत्व: भारत को हरित हाइड्रोजन का प्रमुख उत्पादक और आपूर्तिकर्ता बनाने की दिशा में अग्रसर।
- आयात पर निर्भरता में कमी: जीवाश्म ईंधनों के आयात पर निर्भरता घटाकर ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करना।
- निर्यात अवसर: हरित हाइड्रोजन और उसके व्युत्पन्न उत्पादों के लिए वैश्विक बाज़ार में निर्यात के अवसर।
- स्वदेशी निर्माण: हरित हाइड्रोजन तकनीक और अवसंरचना में घरेलू क्षमताओं का विकास।
- रोजगार सृजन: उत्पादन से लेकर उपयोग तक की पूरी श्रृंखला में 6 लाख से अधिक रोजगारों का सृजन।
- तकनीकी नवाचार: देश में अत्याधुनिक तकनीकों और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का विकास।

Source:PIB