पाठ्यक्रम: GS3/मत्स्य पालन
संदर्भ
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा की है; आंध्र प्रदेश का जलकृषि क्षेत्र गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।
विवरण
- भारतीय निर्यातक वर्तमान में 10% शुल्क के साथ-साथ 4.5% का एंटी-डंपिंग शुल्क और 5.8% का काउंटरवेलिंग शुल्क चुका रहे हैं।
- अमेरिका द्वारा 25% शुल्क लगाने की घोषणा के साथ, निर्यातकों को वर्तमान शुल्क संरचना पर कम से कम 15% अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ेगा, जो 7 अगस्त से लागू होगा।
- समुद्री खाद्य निर्यात में भारत का निकटतम प्रतिस्पर्धी इक्वाडोर केवल 10% शुल्क देता है, जबकि इंडोनेशिया 19% और वियतनाम 20% शुल्क देता है।
- लगभग 6.5 लाख जलकृषि किसान आंध्र प्रदेश में 5.7 लाख एकड़ भूमि पर झींगा, केकड़ा, मछली और अन्य प्रजातियों की खेती करते हैं।
चिंताएँ
- तटीय अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव: आंध्र प्रदेश, जो एक प्रमुख समुद्री खाद्य निर्यातक है, स्थानीय आर्थिक संकट का सामना कर सकता है, जिससे उत्पादन, रोजगार और लॉजिस्टिक्स प्रभावित होंगे।
- झींगा की मांग में गिरावट से कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर और सहायक सेवाओं में बाधा आ सकती है, जिससे निर्यात की दक्षता कम हो सकती है।
- निर्यात राजस्व में गिरावट: अमेरिका भारत के समुद्री खाद्य निर्यात मूल्य का 34.53% हिस्सा रखता है।
- उच्च शुल्क भारतीय समुद्री खाद्य को कम प्रतिस्पर्धी बना देगा, जिससे मात्रा और कीमतों में गिरावट आएगी।
- संभावित व्यापार विचलन और पुनर्संतुलन: निर्यातक चीन, जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर निर्यात मोड़ने का प्रयास कर सकते हैं, लेकिन इन बाजारों की खरीद क्षमता कम है या पहले से घरेलू आपूर्तिकर्ता मौजूद हैं।
- नए बाजारों में पुनर्संतुलन में समय लगेगा, जिसके दौरान निर्यात में हानि की आशंका है।
भारत का समुद्री खाद्य उद्योग
- भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जिसकी वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8% हिस्सेदारी है।
- भारत में मुख्य रूप से आठ प्रमुख मछली उत्पादक राज्य हैं: आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल।
- भारत का कुल समुद्री खाद्य निर्यात 2024–25 में $7.38 बिलियन तक पहुंच गया, जो 1.78 मिलियन मीट्रिक टन रहा।
- जमे हुए झींगे शीर्ष निर्यात उत्पाद रहे, जिन्होंने $4.88 बिलियन के साथ कुल आय का 66% हिस्सा बनाया।

- भारत ने 132 देशों को समुद्री उत्पादों का निर्यात किया, जिससे वैश्विक बाजार में इसकी व्यापक पहुंच प्रदर्शित होती है। शीर्ष पांच निर्यात गंतव्य हैं: अमेरिका, चीन, जापान, वियतनाम और थाईलैंड।

समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (MPEDA) प्रसंस्करण सुविधाओं को उन्नत करने, गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में भाग लेने के लिए सहायता प्रदान करती है।
- यह भारतीय समुद्री खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता को वैश्विक बाजारों में बढ़ाने में सहायता करता है।
- जलकृषि समर्थन: इसमें उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकों और सर्वोत्तम प्रथाओं का हस्तांतरण शामिल है।
- शुल्क में कटौती: सरकार ने बजट 2024–25 में समुद्री खाद्य चारा में उपयोग होने वाली आवश्यक सामग्रियों पर आयात शुल्क घटा दिए हैं।
- मुख्य कटौतियों में मछली लिपिड तेल, एल्गल प्राइम, क्रूड फिश ऑयल और प्री-डस्ट ब्रेडेड पाउडर पर शुल्क की पूरी तरह से समाप्ति शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, क्रिल मील, मिनरल और विटामिन प्रीमिक्स, और झींगा/मछली चारा पर आयात शुल्क में भी उल्लेखनीय कमी की गई है।
- निर्यात प्रोत्साहन: सरकार ने RoDTEP (निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट)योजना को बढ़ाया है।
- विभिन्न समुद्री खाद्य उत्पादों के लिए रिफंड दर को 2.5% से बढ़ाकर 3.1% किया गया है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY): यह प्रमुख योजना मत्स्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण का लक्ष्य रखती है, जिसमें कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास, कटाई के पस्चात्न हानि को कम करना और समग्र उत्पादकता में सुधार शामिल है।
निष्कर्ष
- नया अमेरिकी शुल्क ढांचा भारत के व्यापार संतुलन को विशेष रूप से अल्पकालिक अवधि में नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
- जब तक द्विपक्षीय व्यापार संवाद, निर्यात विविधीकरण या शुल्क राहत उपायों द्वारा इसका समाधान नहीं किया जाता, भारत का समुद्री खाद्य क्षेत्र आर्थिक और व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता दोनों में हानि हो सकती है।
Source: TH
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