पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- चीन ने थोरियम पिघला-लवण रिएक्टर (TMSR) में प्रथम बार थोरियम को यूरेनियम ईंधन में परिवर्तित करने की ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त की है।
परिचय
- यह विश्व में प्रथम बार है जब वैज्ञानिक पिघले-लवण रिएक्टर के अंदर थोरियम संचालन पर प्रायोगिक डेटा प्राप्त करने में सफल हुए हैं।
- इस उपलब्धि ने 2 मेगावाट तरल-ईंधन आधारित थोरियम पिघला-लवण रिएक्टर (TMSR) को विश्व की एकमात्र ऐसी तकनीक बना दिया है जिसने सफलतापूर्वक थोरियम ईंधन को लोड और उपयोग किया है।
पिघला-लवण रिएक्टर (MSR) क्या है?
- यह चौथी पीढ़ी का परमाणु रिएक्टर है जो ठोस ईंधन रॉड और जल की जगह पिघले लवण को ईंधन वाहक और शीतलक दोनों के रूप में उपयोग करता है।
- यह वायुमंडलीय दबाव और उच्च तापमान (≈700°C) पर संचालित होता है।
- इसमें तरल ईंधन का निरंतर संचलन संभव है, जिससे तुरंत पुनः ईंधन भरना (on-the-fly refuelling) संभव होता है।
थोरियम से यूरेनियम रूपांतरण प्रक्रिया:
- थोरियम-232 एक न्यूट्रॉन अवशोषित करता है → थोरियम-233 बनता है → प्रोटैक्टिनियम-233 में क्षय होता है → अंततः यूरेनियम-233 (विखंडनीय) बनता है।
- यह एक “जलते हुए प्रजनन” (burn while breeding) चक्र बनाता है – आत्मनिर्भर और अत्यधिक ईंधन-कुशल।
- यह रूपांतरण रिएक्टर कोर के अंदर होता है, जिससे बाहरी ईंधन निर्माण की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
भारत के थोरियम भंडार
- भारत के पास विश्व के सबसे बड़े थोरियम भंडारों में से एक है।
- प्रमुख भंडार केरल, ओडिशा, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में पाए जाते हैं।
- अकेले केरल और ओडिशा भारत के 70% से अधिक थोरियम भंडार रखते हैं।
- भारत तीन-चरणीय परमाणु कार्यक्रम विकसित कर रहा है, जिसमें थोरियम आधारित रिएक्टर तीसरे चरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
चुनौतियाँ:
- अयस्कों से थोरियम निकालने में अत्यधिक ऊर्जा लगती है और काफी अपशिष्ट उत्पन्न होता है।
- यद्यपि भारत के पास बड़े भंडार हैं, लेकिन इसे परमाणु ऊर्जा में उपयोग करने में तकनीकी और आर्थिक चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
TMSR के प्रमुख लाभ
- सुरक्षा: वायुमंडलीय दबाव पर संचालन; पिघले लवण रेडियोधर्मी पदार्थों को फँसाते हैं; रिसाव रोकने हेतु स्वचालित ड्रेन प्रणाली।
- दक्षता: निरंतर ईंधन संचलन से ईंधन का पूरा उपयोग और न्यूनतम अपशिष्ट।
- कम जल आवश्यकता: शीतलन जल की आवश्यकता नहीं; शुष्क या अंतर्देशीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।
- कम रेडियोधर्मी अपशिष्ट: यूरेनियम रिएक्टरों की तुलना में कम दीर्घजीवी अपशिष्ट।
- ईंधन प्रचुरता: थोरियम, यूरेनियम से 3–4 गुना अधिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध।
| कार्यक्रम विकास और औद्योगिक एकीकरण – प्रारंभ: 2011, चीन के रणनीतिक परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के अंतर्गत। – उपलब्धियाँ:2023: 2 मेगावाट तरल-ईंधन TMSR ने प्रथम बार क्रिटिकलिटी प्राप्त की।2024: पूर्ण-शक्ति संचालन हासिल किया। 2024: प्रथम थोरियम-ईंधन परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया। – लक्ष्य: 2035 तक गोबी रेगिस्तान में 100 मेगावाट का प्रदर्शन संयंत्र बनाना। – औद्योगिक सहयोग: लगभग 100 चीनी संस्थान डिज़ाइन, सामग्री विज्ञान और रिएक्टर इंजीनियरिंग में शामिल। – आत्मनिर्भरता: सभी कोर घटक और आपूर्ति श्रृंखला 100% घरेलू रूप से विकसित। |
चीन के लिए रणनीतिक महत्व
- ऊर्जा सुरक्षा: थोरियम भंडार हजारों वर्षों तक ऊर्जा आपूर्ति कर सकते हैं; आयातित यूरेनियम पर निर्भरता घटेगी।
- संसाधन उपयोग: इनर मंगोलिया की एक खान अपशिष्ट साइट में इतना थोरियम है कि चीन को 1,000 वर्षों से अधिक समय तक ऊर्जा मिल सकती है।
- जलवायु और कार्बन लक्ष्य: TMSR कम-कार्बन ऊर्जा प्रणाली को समर्थन देता है और सौर व पवन ऊर्जा का पूरक है।
- हरित हाइड्रोजन उत्पादन: उच्च तापमान से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में सहायता।
- तकनीकी नेतृत्व: चीन अब परिचालन थोरियम MSR तकनीक में विश्व का अग्रणी है, चौथी पीढ़ी के परमाणु नवाचार में अग्रणी स्थान पर।
- रणनीतिक क्षेत्र: थोरियम-संचालित जहाजों और भविष्य के चंद्र आधारों के लिए चंद्र रिएक्टरों की खोज।
चुनौतियाँ और सीमाएँ
- सामग्री की टिकाऊपन: पिघले लवण संक्षारक होते हैं; रिएक्टर सामग्री को चरम परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।
- रेडियोधर्मी प्रबंधन: प्रोटैक्टिनियम और यूरेनियम समस्थानिकों को सुरक्षित रूप से संभालना जटिल है।
- आर्थिक व्यवहार्यता: उच्च प्रारंभिक अनुसंधान एवं विकास और अवसंरचना लागत।
- नियामक ढाँचा: MSR के लिए वैश्विक सुरक्षा और लाइसेंसिंग मानक अभी विकसित हो रहे हैं।
आगे की राह
- चीन का लक्ष्य 2035 तक वाणिज्यिक स्तर पर TMSR तैनात करना है।
- यह सफलता वैश्विक परमाणु ऊर्जा परिदृश्य को बदल सकती है, जीवाश्म ईंधनों और पारंपरिक यूरेनियम रिएक्टरों के लिए एक सतत, कम-कार्बन विकल्प प्रदान कर सकती है।
- यदि बड़े पैमाने पर लागू किया गया, तो थोरियम MSR नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
Source: BS
Previous article
भारी धातु संदूषण
Next article
संक्षिप्त समाचार 04-11-2025