पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ₹1 लाख करोड़ की राशि के साथ अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना को मंजूरी दी है।
अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना मुख्य उद्देश्य
- आर्थिक सुरक्षा और रणनीतिक महत्व वाले क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना।
- उच्च तकनीकी तत्परता स्तर (Technology Readiness Levels – TRLs) वाले परिवर्तनकारी परियोजनाओं को समर्थन देना।
- उन तकनीकों के अधिग्रहण को समर्थन देना जो अत्यंत महत्वपूर्ण या रणनीतिक दृष्टि से आवश्यक हैं।
- डीप-टेक नवाचारों और स्टार्टअप्स को समर्थन देने हेतु एक डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स (FoF) की स्थापना को सुविधाजनक बनाना।
संस्थागत ढांचा:
- गवर्निंग बोर्ड (अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन – ANRF): प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में, समग्र रणनीतिक दिशा प्रदान करता है।
- कार्यकारी परिषद (ANRF): योजना के दिशा-निर्देशों को मंजूरी देती है, परियोजनाओं और फंड प्रबंधकों की पहचान करती है।
- सशक्त सचिवों का समूह (EGoS): कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में, कार्यान्वयन की निगरानी करता है, प्रदर्शन की समीक्षा करता है और आवश्यक परिवर्तन स्वीकृत करता है।
- नोडल विभाग: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST)।
योजना के तहत दो-स्तरीय वित्तपोषण तंत्र:
- सरकार ₹1 लाख करोड़ की राशि को ANRF को 50 वर्षों के लिए बिना ब्याज ऋण के रूप में प्रदान करेगी।
- विशेष प्रयोजन निधि (SPF): ANRF के अंतर्गत बनाई गई, यह निधियों की संरक्षक के रूप में कार्य करेगी। SPF से विभिन्न द्वितीय स्तर के फंड प्रबंधकों को धन आवंटित किया जाएगा।
- द्वितीय स्तर के फंड प्रबंधक: SPF से रियायती दीर्घकालिक ऋण या इक्विटी प्राप्त करेंगे ताकि वे अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित कर सकें।
- ये प्रबंधक परियोजनाओं का मूल्यांकन करेंगे और ऋण या इक्विटी के माध्यम से उन्हें वित्तपोषित करेंगे।
- वित्तपोषण के रूप:
- दीर्घकालिक रियायती ऋण (प्राथमिक माध्यम)।
- इक्विटी वित्तपोषण (विशेष रूप से स्टार्टअप्स के लिए)।
- डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स में योगदान।
योजना की आवश्यकता
- 2024–25 के आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया कि भारत ने अनुसंधान एवं विकास (GERD) पर सकल व्यय को 2011 में ₹60,196 करोड़ से बढ़ाकर 2021 में ₹1,27,381 करोड़ कर दिया है, फिर भी यह GDP का केवल 0.64% है।
- सर्वेक्षण में कहा गया कि “यह अपर्याप्त है और उन देशों की तुलना में कम है जिन्होंने अनुसंधान एवं विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है।”
महत्व:
- भारत में निजी अनुसंधान एवं विकास की वित्तीय बाधाओं को दूर करता है।
- उदीयमान क्षेत्रों (जैसे AI, सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा) में नवाचार को बढ़ावा देता है।
- विकसित भारत@2047 की दृष्टि के अनुरूप, एक मजबूत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करता है।
Source: PIB