पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- हाल ही में भारत-भूटान विकास सहयोग वार्ता आयोजित की गई, जिसमें भारत-भूटान विकास साझेदारी के पूरे दायरे की समीक्षा की गई।
समाचार से जुड़ी और जानकारी
- कुल 10 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई, जिनमें भूटान में स्वास्थ्य सेवा, संपर्क और शहरी ढांचे जैसे क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया।
- भारत ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024–2029) के लिए ₹10,000 करोड़ (100 अरब रुपये) के समर्थन की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- दोनों पक्षों ने आगामी विकास सहयोग वार्ता थिंपू में सुविधाजनक तिथि पर आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की।
भारत-भूटान संबंधों का संक्षिप्त विवरण
- भारत और भूटान के बीच राजनयिक संबंध 1968 में स्थापित हुए थे।
- भारत-भूटान संबंधों की मूल रूपरेखा 1949 में हस्ताक्षरित मैत्री एवं सहयोग संधि पर आधारित है।
- इस संधि को 2007 में संशोधित किया गया, जिससे भूटान को अधिक स्वायत्तता प्राप्त हुई और पारस्परिक संप्रभुता तथा घनिष्ठ सहयोग की पुष्टि हुई।
- 2024 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो” से सम्मानित किया गया — इस सम्मान को प्राप्त करने वाले वे पहले विदेशी नेता बने।
विकासात्मक साझेदारी
- भारत, भूटान की सर्वोच्च विकास साझेदार रहा है और 1971 से उसकी पहली पंचवर्षीय योजना से ही राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में समर्थन देता रहा है।
- वार्षिक योजना वार्ता (द्विपक्षीय विकास सहयोग वार्ता): सहायता की प्राथमिकताओं और तौर-तरीकों को तय करने हेतु एक संस्थागत तंत्र।
- आवृत क्षेत्र: सड़क, बुनियादी ढांचा, डिजिटल संपर्क, जलविद्युत, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, मानव संसाधन विकास, शहरी विकास आदि।
व्यापारिक संबंध
- भारत लगातार भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है — आयात स्रोत और निर्यात गंतव्य दोनों रूप में।
- 2014–15 में भारत-भूटान व्यापार $484 मिलियन से बढ़कर 2022–23 में $1615 मिलियन हो गया।
- भारत-भूटान व्यापार, वाणिज्य और पारगमन समझौता (2016): दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार प्रणाली स्थापित करता है और तीसरे देशों के साथ माल के निर्यात/आयात हेतु भूटान को शुल्क-मुक्त पारगमन प्रदान करता है।
ऊर्जा सहयोग (जलविद्युत व नवीकरणीय ऊर्जा)
- भारत ने भूटान में 4 प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएँ विकसित की हैं:
- चुखा (336 मेगावाट)
- कुरिचू (60 मेगावाट)
- टाला (1020 मेगावाट)
- मंगदेचू (720 मेगावाट)
- वर्तमान में दो परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं:
- पुनात्सांगचू-I (1020 मेगावाट)
- पुनात्सांगचू-II (1020 मेगावाट)
अंतरिक्ष सहयोग
- दक्षिण एशिया उपग्रह ग्राउंड स्टेशन 2019 में दोनों देशों द्वारा उद्घाटित किया गया।
- इंडिया-भूटान सैटेलाइट, दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित प्रथम उपग्रह 2022 में प्रक्षेपित किया गया।
- 2024 में अंतरिक्ष सहयोग पर एक संयुक्त कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए गए।
फिनटेक (वित्तीय तकनीक)
- RuPay कार्ड दो चरणों (2019 एवं 2020) में शुरू किया गया जिससे दोनों देशों के बीच पूर्ण इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित हो सके।
- 2021 में BHIM ऐप (भारत इंटरफ़ेस फॉर मनी) भूटान में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देना था।
भारत-भूटान फाउंडेशन
- इसकी स्थापना 2003 में हुई थी, यह भारत और भूटान के लोगों के बीच शैक्षणिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक व तकनीकी गतिविधियों के माध्यम से आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
भूटान में भारतीय प्रवासी
- वर्तमान में लगभग 50,000 भारतीय भूटान में कार्यरत हैं, विशेषतः बुनियादी ढांचे, जलविद्युत, शिक्षा, व्यापार और वाणिज्य जैसे क्षेत्रों में — जो दोनों देशों के बीच जनसंपर्क की निकटता को दर्शाता है।
भारत के लिए भूटान का महत्व
- चीन के विरुद्ध बफर: भूटान भारत और चीन के बीच एक भौगोलिक बफर का कार्य करता है। चीन के साथ भूटान के राजनयिक संबंध नहीं हैं, परंतु सीमा-सम्बंधी वार्ताएँ जारी हैं।
- भारत भूटान को दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने हेतु आवश्यक मानता है और रणनीतिक दृष्टि से त्रि-जंक्शन क्षेत्र में चीन के प्रभाव को रोकना चाहता है।
- पड़ोसी प्रथम नीति: भूटान भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का मुख्य स्तंभ है।
- भूटान में स्थिरता दक्षिण एशिया में भारत की शांति और सहयोग की दृष्टि को परिलक्षित करती है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निवेश स्रोत है।
- विशेष व्यापार और पारगमन समझौता भूटान को भारतीय बाजार तक शुल्क-मुक्त पहुँच प्रदान करता है।
- बीबीआईएन (बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल) के तहत उप-क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने में भूटान अहम है।
- कनेक्टिविटी और एक्ट ईस्ट नीति: भूटान भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र से संपर्क बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इसका भू-स्थान संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) की सुरक्षा में सहायक है — जो पूर्वोत्तर भारत से भारत का एकमात्र जमीनी संपर्क है।
- भारत की एक्ट ईस्ट नीति में भूटान, दक्षिण-पूर्व एशिया से भूमि संपर्क साधने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- भारत की सहायता से विकसित सड़क और इंटरनेट आधारभूत ढांचा क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देता है।
- राजनयिक और बहुपक्षीय सहयोग: भूटान प्रायः अंतरराष्ट्रीय मंचों (जैसे संयुक्त राष्ट्र) पर भारत की स्थिति का समर्थन करता है।
- भूटान की शांतिपूर्ण विदेश नीति और गुटनिरपेक्षता की प्रतिबद्धता भारत की क्षेत्रीय कूटनीति के अनुरूप है।
संबंधों में चुनौतियाँ
- आर्थिक असंतुलन: भूटान भारत से बहुत अधिक आयात करता है जबकि उसका निर्यात अपेक्षाकृत कम है, जिससे व्यापार घाटा उत्पन्न होता है।
- व्यापारिक समझौतों के बावजूद, भूटानी उद्योग विविधीकरण में संघर्ष कर रहे हैं।
- चीन कारक और सीमा वार्ता: भूटान और चीन ने सीमा विवाद को लेकर 24 दौर की वार्ताएँ की हैं।
- 2021 में “तीन-चरणीय रोडमैप” पर सहमति बनी थी।
- डोकलाम क्षेत्र में संभावित चीन-भूटान सीमा समझौते को लेकर भारत चिंतित है, क्योंकि यह रणनीतिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है।
- कनेक्टिविटी की कमी: सीमित सड़क और रेल संपर्क आर्थिक और रणनीतिक एकीकरण को बाधित करते हैं।
- भूटान पर्यावरणीय और सांस्कृतिक चिंताओं के कारण बीबीआईएन मोटर वाहन समझौते में सम्मिलित होने में हिचक रहा है।
- पर्यावरण और स्थिरता के मुद्दे: भूटान का “सकल राष्ट्रीय आनंद” और पर्यावरण संरक्षण का मॉडल, भारत के अवसंरचनात्मक दृष्टिकोण (जैसे राजमार्ग, जलविद्युत) से कभी-कभी टकराता है।
- रणनीतिक संतुलन और स्वायत्तता: भूटान वैश्विक मंचों में अपनी विदेश नीति को और अधिक स्वतंत्र बनाना चाहता है।
आगे की राह
- भारत और भूटान के बीच विश्वास और सहयोग की मजबूत नींव है, लेकिन बदलती आर्थिक आकांक्षाएँ और दोनों देशों की भू-राजनीतिक स्थितियाँ कुछ चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं।
- इनका समाधान पारस्परिक सम्मान, पारदर्शिता और रणनीतिक संवेदनशीलता के साथ किया जाए तो यह विशेष संबंध लंबे समय तक मजबूत बना रहेगा।
- भारत-भूटान संबंध आपसी विश्वास और लाभ पर आधारित एक आदर्श पड़ोसी साझेदारी का उदाहरण हैं।
Source: IE
Read this in English: India-Bhutan Development Cooperation Talks