- हाल ही में, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 2024 के राजनीतिक संकट के दौरान लोकतंत्र की रक्षा में दल-बदल विरोधी कानून की प्रमुख भूमिका को रेखांकित किया।
- यह तब होता है जब कोई सदस्य स्वेच्छा से अपनी पार्टी त्याग देता है, पार्टी के निर्देशों के विरुद्ध मतदान करता है, या पार्टी नेतृत्व के निर्देश के बावजूद सदन से अनुपस्थित रहता है।
- संविधान की दसवीं अनुसूची, जिसे सामान्यतः दल-बदल विरोधी कानून कहा जाता है, 1985 में 52वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारत में लागू किया गया था। Read More
Home / Daily Current Affairs in Hindi / 01-07-2025
Daily Current Affairs in Hindi – 1 July, 2025
PDF - हाल ही में भारत-भूटान विकास सहयोग वार्ता आयोजित की गई, जिसमें भारत-भूटान विकास साझेदारी के पूरे दायरे की समीक्षा की गई।
- कुल 10 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई, जिनमें भूटान में स्वास्थ्य सेवा, संपर्क और शहरी ढांचे जैसे क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया।
- भारत ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024–2029) के लिए ₹10,000 करोड़ (100 अरब रुपये) के समर्थन की प्रतिबद्धता व्यक्त की। Read More
भारत-भूटान विकास सहयोग वार्ता
संदर्भ
समाचार से जुड़ी और जानकारी
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के प्रथम चरण के अंतर्गत बायोमास कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो वित्तीय वर्ष 2021–22 से 2025–26 की अवधि के लिए लागू होंगे।
- बायोमास पौधों और जानवरों से प्राप्त जैविक सामग्री को कहा जाता है, जिसमें शामिल हैं: वानिकी अपशिष्ट, कृषि कार्यों से उत्पन्न अवशेष, उद्योगों से संसाधित अपशिष्ट, और नगरपालिका/शहरी ठोस अपशिष्ट।
- देश में वार्षिक बायोमास उत्पादन लगभग 750 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) है, जिसमें से 228 MMT अधिशेष बायोमास है। Read More
जैव ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एमएनआरई ने बायोमास दिशा-निर्देशों में संशोधन किया
संदर्भ
बायोमास क्या है?
- 30 जून को हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो 1855 के संताल विद्रोह / संथाल हूल की वर्षगांठ को चिह्नित करता है — यह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रारंभिक किसान आंदोलनों में से एक था।
- 1855 का संथाल हूल साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक विद्रोह था, जिसका नेतृत्व चार भाइयों — सिद्धो, कान्हो, चाँद और भैरव मुर्मू, तथा बहनों फूलो और झानो ने किया था।
- संतालों ने केवल ब्रिटिशों के विरुद्ध ही नहीं, बल्कि ऊँची जातियों, ज़मींदारों, दरोगाओं और साहूकारों के खिलाफ भी संघर्ष किया, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘दिकू’ कहा गया। Read More