2025 में भारत का कृषि क्षेत्र

पाठ्यक्रम: GS3/कृषि

संदर्भ

  • वर्ष 2025 भारत के कृषि क्षेत्र के लिए एक परिवर्तनकारी माइलस्टोन सिद्ध हुआ, जिसने विगत दशक में नीति निरंतरता, संस्थागत सुधारों और रणनीतिक निवेशों के संचयी प्रभाव को प्रदर्शित किया।

भारत के कृषि क्षेत्र की प्रमुख विशेषताएँ (2025)

  • कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी रहीं, भारत के GDP में लगभग 16% का योगदान करते हुए और 46% से अधिक जनसंख्या की आजीविका का समर्थन करते हुए।
  • केंद्रीय बजट 2025–26 में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए ₹1.52 लाख करोड़ आवंटित किए गए, जिसमें अनुसंधान, अवसंरचना एवं किसान कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया गया।

रिकॉर्ड उत्पादन और खाद्य सुरक्षा

  • भारत ने 2024–25 में 357.73 मिलियन टन का अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन हासिल किया, जो विगत वर्ष की तुलना में 8% अधिक और 2015–16 से 106 मिलियन टन अधिक था।
    • चावल: 150.184 मिलियन टन
    • गेहूँ: 117.945 मिलियन टन
    • दलहन और तिलहन: लक्षित मिशनों और खरीद आश्वासनों से महत्वपूर्ण वृद्धि
    • मिलेट्स (श्री अन्न): स्थिर वृद्धि, जलवायु-सहिष्णु अनाजों में भारत की नेतृत्व क्षमता को पुनः स्थापित करती है।

किसान आय सुदृढ़ीकरण

  • MSP नीति: आय आश्वासन का स्तंभ बनी रही, उत्पादन लागत पर कम से कम 50% रिटर्न की गारंटी।
    • 2014 से, खरीद परिचालनों ने MSP भुगतान में ₹20 लाख करोड़ से अधिक स्थानांतरित किए, जिनमें ₹14.16 लाख करोड़ धान और ₹6.04 लाख करोड़ गेहूँ के लिए, जिससे लाखों किसानों को सीधा लाभ मिला।
  • प्रत्यक्ष आय हस्तांतरण और ऋण विस्तार: PM-किसान सम्मान निधि के अंतर्गत अगस्त 2025 तक 20 किस्तों में ₹3.90 लाख करोड़ सीधे 11 करोड़ किसानों को हस्तांतरित किए गए।
    • किसान क्रेडिट कार्ड योजना ने संस्थागत वित्त तक पहुँच का विस्तार किया, ₹10 लाख करोड़ 7.71 करोड़ किसानों को वितरित किए गए, जिनमें पशुपालन और मत्स्य पालन वाले किसान भी शामिल हैं।

जोखिम प्रबंधन और सिंचाई विस्तार

  • फसल बीमा और जोखिम कवरेज: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) ने जोखिमों को कम करना जारी रखा, 2016 से ₹1.83 लाख करोड़ के दावे वितरित किए।
    • गैर-ऋणी किसानों की बढ़ती भागीदारी ने अधिक विश्वास और पारदर्शिता को दर्शाया।
  • जल दक्षता और सिंचाई: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) ने सिंचाई परियोजनाओं की पूर्णता को तीव्र किया और सूक्ष्म-सिंचाई को बढ़ावा दिया, जिससे उच्च-मूल्य वाली फसलों की ओर बदलाव एवं जल-उपयोग दक्षता में सुधार हुआ।

अवसंरचना और बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र

  • कृषि अवसंरचना में निवेश: कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से 1 लाख से अधिक परियोजनाएँ स्वीकृत की गईं, जिनमें कस्टम हायरिंग सेंटर, गोदाम और कोल्ड स्टोरेज यूनिट शामिल हैं, जिससे कटाई के बाद हानि कम हुई और ग्रामीण रोजगार सृजित हुए।
  • PM किसान समृद्धि केंद्र: गाँव स्तर पर गुणवत्तापूर्ण इनपुट और परामर्श सेवाओं तक पहुँच को सुदृढ़ किया, अंतिम-मील वितरण अंतराल को समाप्त करते हुए।
  • बाज़ार सुधार और किसान संस्थाएँ: e-NAM प्लेटफ़ॉर्म का राष्ट्रव्यापी विस्तार हुआ, जिससे मूल्य खोज और पारदर्शिता को बढ़ावा मिला।
    • 10,000 FPOs की स्थापना ने सामूहिक विपणन, इनपुट खरीद और मूल्य संवर्धन को सक्षम किया, जिससे महिला किसानों एवं छोटे किसानों को सशक्त बनाया गया।

संबद्ध क्षेत्रों में वृद्धि

  • डेयरी: 2023–24 में 239.30 मिलियन टन, राष्ट्रीय गोकुल मिशन और डेयरी विकास कार्यक्रमों से सहायता प्राप्त।
  • मत्स्य पालन: 2024–25 में 195 लाख टन, अंतर्देशीय मत्स्य पालन की तीव्र वृद्धि से प्रेरित।
  • बागवानी: फलों और सब्जियों में रिकॉर्ड विस्तार।
  • खाद्य प्रसंस्करण: जुलाई 2025 तक निर्यात USD 49.4 बिलियन पार कर गया, जो बढ़ते मूल्य संवर्धन को दर्शाता है।

स्थिरता और जलवायु सहिष्णुता

  • राष्ट्रीय मिशनों के अंतर्गत प्राकृतिक और जैविक खेती ने गति पकड़ी।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना: व्यापक परीक्षण और किसान प्रशिक्षण के माध्यम से संतुलित पोषक तत्व उपयोग को आगे बढ़ाया।
  • एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम: जुलाई 2025 तक 19.05% तक पहुँचा, जिससे कच्चे तेल आयात में कमी और गन्ना किसानों को अतिरिक्त आय मिली।
  • PM-KUSUM: सौर पंप स्थापना का विस्तार हुआ, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने और विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिला।

मानव पूंजी और कौशल विकास

  • कृषि विज्ञान केंद्र (KVKs): लाखों किसानों को व्यावहारिक प्रदर्शन और व्यावसायिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया।
  • ATMA, STRY और PMKVY जैसी योजनाएँ: एक सुदृढ़ ग्रामीण कौशल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया, जिससे किसानों, महिलाओं और युवाओं को आधुनिक खेती एवं कृषि-उद्यमिता अपनाने में सक्षम बनाया।
  • कौशल एकीकरण: बागवानी, पशुपालन, मशीनीकरण और प्रसंस्करण में कौशल एकीकरण ने कृषि मूल्य श्रृंखला में रोजगार क्षमता एवं नवाचार को बढ़ाया।

समावेशी विकास और स्थानीय प्रभाव

  • आय समर्थन, सिंचाई, अवसंरचना और प्रशिक्षण के अभिसरण ने ग्रामीण आय में वृद्धि, पलायन में कमी एवं जीवन स्तर में सुधार किया।
  • महिला किसान, FPOs और ग्रामीण उद्यमी स्थानीय कृषि-अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन के महत्वपूर्ण एजेंट बन गए।

संबंधित प्रयास और पहल

  • संशोधित ब्याज सबवेंशन योजना (MISS): किसानों को ₹3.00 लाख तक की अल्पकालिक फसल ऋण पर 7% वार्षिक ब्याज दर पर एक वर्ष के लिए उपलब्ध।
  • कृषि अवसंरचना कोष (AIF): कटाई के बाद प्रबंधन के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश हेतु मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाना।
    • इस वित्तपोषण सुविधा के अंतर्गत सभी ऋणों पर ₹2 करोड़ तक की सीमा तक 3% वार्षिक ब्याज सबवेंशन।
  • राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM): आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा; लक्ष्य ‘स्वीट रिवोल्यूशन’।
  • नमो ड्रोन दीदी: 15,000 चयनित महिला SHGs को ड्रोन प्रदान करना; उर्वरक और कीटनाशक का छिड़काव।
  • राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF): 15,000 क्लस्टर विकसित करना, 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करना और 10,000 आवश्यकता-आधारित जैव-इनपुट संसाधन केंद्र (BRCs) स्थापित करना।
  • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA): दलहन, तिलहन और नारियल के लिए मूल्य समर्थन प्रदान करना।
  • कृषि फंड फॉर स्टार्ट-अप्स और ग्रामीण उद्यम (AgriSURE): कृषि और ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देना।
  • पर ड्रॉप मोर क्रॉप (PDMC): ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों जैसी सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता बढ़ाना।
  • परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY): देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना।
  • मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता (SH&F): मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) पहल के माध्यम से संतुलित और एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन को बढ़ावा देना।
    • विशेष पहल: स्कूल मिनी मृदा प्रयोगशालाओं की स्थापना (1,020 कार्यरत, 5,000 PM SHRI स्कूलों तक विस्तार) और प्रदर्शन, अभियान एवं किसान प्रशिक्षण के माध्यम से क्षमता निर्माण।
  • वर्षा-आधारित क्षेत्र विकास (RAD): राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) के अंतर्गत एक घटक, एकीकृत खेती प्रणाली (IFS) पर केंद्रित।
  • उप-मिशन ऑन एग्रोफॉरेस्ट्री: राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) के अंतर्गत ‘हर मेढ़ पर पेड़’ के नारे के साथ।
  • फसल विविधीकरण कार्यक्रम (CDP): किसानों को जल-गहन फसलों जैसे धान से अधिक टिकाऊ और लाभकारी विकल्पों जैसे दलहन, तिलहन एवं मोटे अनाज की ओर स्थानांतरित करना।
  • उप-मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (SMAE): किसान-प्रेरित और किसान-उत्तरदायी विस्तार प्रणाली बनाना, जिसमें नई संस्थागत व्यवस्थाओं के माध्यम से किसानों तक तकनीक का प्रसार किया जाए, जैसे कि जिला स्तर पर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA)।
  • राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (NMEO)-ऑयल पाम: तेल पाम की खेती को बढ़ावा देना, विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर ध्यान केंद्रित करते हुए।
  • डिजिटल कृषि मिशन: कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGPA) को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना विकसित करना।
  • राष्ट्रीय बांस मिशन: राज्य बांस मिशनों (SBM)/ राज्य बांस विकास एजेंसी (SBDA) के माध्यम से लागू किया गया।

Source: DD News


 

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