पाठ्यक्रम: GS2/ राजव्यवस्था और शासन; विविध
संदर्भ
- मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को विश्वभर में मनाया जाता है।
मानवाधिकार दिवस के बारे में
- यह दिन 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा-पत्र (UDHR) को अपनाने का प्रतीक है।
- मानवाधिकार दिवस 1950 से प्रत्येक वर्ष मनाया जा रहा है।
- 2025 का विषय: “मानवाधिकार, हमारे दैनिक आवश्यक तत्व”।
सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा-पत्र (UDHR) क्या है?
- यह दस्तावेज़ एक प्रस्तावना और 30 अनुच्छेदों से मिलकर बना है, जो मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं को निर्धारित करता है।
- यह ऐतिहासिक दस्तावेज़ उन अविच्छेद्य अधिकारों को स्थापित करता है जिनका प्रत्येक व्यक्ति, उसकी जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा, राजनीतिक या अन्य विचार, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म या अन्य स्थिति की परवाह किए बिना, हकदार है।
- यह घोषणा-पत्र कोई संधि नहीं है और स्वयं में कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इसमें बताए गए सिद्धांतों को कई देशों के कानूनों में शामिल किया गया है तथा इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का आधार माना जाता है।
मानवाधिकार क्या हैं?
- मानवाधिकार वे मौलिक अधिकार और स्वतंत्रताएँ हैं जो प्रत्येक मानव को उसकी राष्ट्रीयता, जातीयता, लिंग, धर्म या किसी अन्य स्थिति की परवाह किए बिना स्वाभाविक रूप से प्राप्त हैं।
- ये अधिकार सार्वभौमिक, अविच्छेद्य और अविभाज्य माने जाते हैं, जो मानव गरिमा, समानता एवं न्याय की नींव बनाते हैं।
- मानवाधिकार, नागरिक अधिकारों से भिन्न हैं। नागरिक अधिकार किसी विशेष राष्ट्र के कानूनों द्वारा बनाए और परिभाषित किए जाते हैं।
- नागरिक अधिकार सरकार द्वारा दिए गए कानूनी अधिकार होते हैं और समय के साथ कानूनों में संशोधन या अद्यतन होने पर बदल सकते हैं।
मानवाधिकारों का महत्व
- निहित गरिमा: मानवाधिकार प्रत्येक व्यक्ति की अंतर्निहित गरिमा की पुष्टि करते हैं।
- समानता और भेदभाव-निषेध: ये सुनिश्चित करते हैं कि सभी व्यक्तियों को समान अवसर मिलें और उन्हें निष्पक्षता एवं बिना पूर्वाग्रह के व्यवहार मिले।
- दुरुपयोग से संरक्षण: मानवाधिकार सरकारों, संस्थानों और व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराने का ढाँचा प्रदान करते हैं, जिससे न्याय एवं जवाबदेही को बढ़ावा मिलता है।

भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- यह एक वैधानिक निकाय है जिसे 1993 में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत भारत में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए स्थापित किया गया।
- इसमें एक अध्यक्ष (पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश), न्यायिक सदस्य, मानवाधिकार विशेषज्ञ और राष्ट्रीय आयोगों से पदेन सदस्य शामिल होते हैं।
- NHRC मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करता है, सिफारिशें जारी करता है, न्यायालय मामलों में हस्तक्षेप करता है, सुरक्षा उपायों की समीक्षा करता है, जागरूकता को बढ़ावा देता है और सरकार को नीतिगत सुधारों पर परामर्श देता है।
- यद्यपि इसे दीवानी न्यायालय जैसी शक्तियाँ प्राप्त हैं, इसकी सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होतीं।
Source: DD NEWS
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CAA के अंतर्गत नागरिकता सिर्फ़ जांच के पश्चात ही प्राप्त होगी: SC