पाठ्यक्रम: GS2/सरकारी नीति और हस्तक्षेप
संदर्भ
- हाल ही में असम सरकार ने घोषणा की है कि असम समझौता, 1985 की धारा 6 के अंतर्गत की गई अधिकांश सिफारिशों पर व्यापक सहमति बन गई है।
असम समझौते (1985) के बारे में
- यह 15 अगस्त 1985 को भारत सरकार, और ऑल असम गण संग्राम परिषद (AAGSP) के बीच हस्ताक्षरित हुआ था।
- इसने असम में छह वर्ष (1979–1985) तक चले विदेशी-विरोधी आंदोलन का अंत किया, जो बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासन और उसके राज्य की जनसांख्यिकी, संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को लेकर चिंताओं से प्रेरित था।
समझौते के प्रमुख प्रावधान
- नागरिकता के लिए कट-ऑफ तिथि: सभी विदेशी जो 1 जनवरी 1966 से पहले असम में प्रवेश कर चुके थे, उन्हें नागरिकता दी जानी थी।
- जो लोग 1 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1971 के बीच आए थे, उन्हें चिन्हित किया जाना था और विदेशी के रूप में पंजीकरण के बाद 10 वर्षों तक रहने की अनुमति दी जानी थी।
- जो लोग 24 मार्च 1971 के बाद आए थे, उन्हें चिन्हित कर निर्वासित किया जाना था।
- असम समझौते की धारा 6: इसमें असमिया लोगों की ‘सांस्कृतिक, सामाजिक और भाषाई पहचान’ की रक्षा हेतु ‘संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा’ का वादा किया गया था।
- सीमा सुरक्षा: समझौते में आगे अवैध प्रवासन रोकने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा को सील और बाड़ लगाने का आह्वान किया गया।
- पता लगाने और निर्वासन की व्यवस्था: अवैध प्रवासियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाना था, जिसमें राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का अद्यतन भी शामिल था।
चिंताएँ और चुनौतियाँ
- धारा 6 के अंतर्गत ‘असमिया लोगों’ की परिभाषा अब तक अनसुलझी है, जिससे सुरक्षा उपायों का प्रावधान जटिल हो जाता है।
- 2019 में पूरा हुआ NRC अद्यतन 19 लाख से अधिक लोगों को बाहर कर गया, जिससे कानूनी और मानवीय चुनौतियाँ उत्पन्न हुईं।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 ने स्थिति को जटिल बना दिया है क्योंकि यह पड़ोसी देशों से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता का मार्ग प्रदान करता है, जिसे असम में कई लोग समझौते का उल्लंघन मानते हैं।
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