विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025

पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन; GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • हाल ही में विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 भारत में विद्युत क्षेत्र में सुधार हेतु प्रस्तुत किया गया है।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ

  • संरचनात्मक सुधार: विधेयक का उद्देश्य विद्युत वितरण में विनियमित प्रतिस्पर्धा को सुगम बनाना है, जिससे एक ही क्षेत्र में कई लाइसेंसधारी साझा और अनुकूलित अवसंरचना का उपयोग कर सकें।
    • यह सभी लाइसेंसधारियों के लिए सार्वभौमिक सेवा दायित्व (USO) को अनिवार्य करता है, जिससे सभी उपभोक्ताओं को गैर-भेदभावपूर्ण पहुँच और आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। 
    • साथ ही, राज्य सरकारों से परामर्श कर SERCs बड़े उपभोक्ताओं (1 मेगावाट से अधिक) के लिए वितरण लाइसेंसधारियों को USO से मुक्त कर सकते हैं।
  • टैरिफ और क्रॉस-सब्सिडी का युक्तिकरण: विधेयक लागत-प्रतिबिंबित टैरिफ को बढ़ावा देता है, जबकि किसानों और गरीब परिवारों जैसे सब्सिडी प्राप्त उपभोक्ताओं की रक्षा पारदर्शी बजटेड सब्सिडी के माध्यम से करता है।
    • यह पाँच वर्षों के अंदर विनिर्माण उद्योग, रेलवे और मेट्रो रेल के लिए क्रॉस-सब्सिडी समाप्त करने का लक्ष्य रखता है।
  • अवसंरचना और नेटवर्क दक्षता: विधेयक उपयुक्त आयोगों को व्हीलिंग चार्ज विनियमित करने और वितरण नेटवर्क की पुनरावृत्ति रोकने का अधिकार देता है।
    • इसमें ऊर्जा भंडारण प्रणाली (ESS) के प्रावधान शामिल हैं और विद्युत पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका को परिभाषित किया गया है।
  • शासन और नियामक सुदृढ़ीकरण: विधेयक केंद्र-राज्य नीति समन्वय और सहमति निर्माण हेतु विद्युत परिषद स्थापित करने का लक्ष्य रखता है।
    • यह राज्य विद्युत नियामक आयोगों (SERCs) को मानकों को लागू करने, अनुपालन न करने पर दंड देने और आवेदन में देरी होने पर स्वतः टैरिफ निर्धारित करने का अधिकार देता है।
  • सततता और बाज़ार विकास: विधेयक गैर-जीवाश्म ऊर्जा खरीद दायित्वों को सुदृढ़ करने का लक्ष्य रखता है, अनुपालन न करने पर दंड के साथ।
    • यह नए उपकरणों और ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म सहित विद्युत बाज़ार विकास को बढ़ावा देता है।
  • कानूनी और परिचालन स्पष्टता: विधेयक इलेक्ट्रिक लाइन प्राधिकरण के लिए विस्तृत प्रावधान प्रस्तुत करता है, जिसमें मुआवज़ा, विवाद समाधान और स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय शामिल है।
    • इलेक्ट्रिक लाइन प्राधिकरण की शक्ति भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के अंतर्गत टेलीग्राफ प्राधिकरण के समान होगी।

भारत में विद्युत क्षेत्र – अवलोकन

  • विद्युत भारतीय अर्थव्यवस्था के आठ प्रमुख उद्योगों में से एक है, जिसका भारांक 19.85% है, जो रिफाइनरी क्षेत्र के बाद आता है।
  • संवैधानिक स्थिति: विद्युत समवर्ती सूची में है, जिससे केंद्र और राज्य दोनों को कानून बनाने का अधिकार है।
  • वैश्विक स्थिति:
    • भारत विद्युत का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है।
    • स्थापित क्षमता (जून 2025): 476 GW
  • बढ़ती खपत:
    • FY25 खपत: 1,694 अरब यूनिट, FY21 से 33% अधिक।
    • FY26 में अनुमानित पीक मांग: 277 GW
    • आगामी पाँच वर्षों में 6–6.5% वार्षिक ऊर्जा मांग वृद्धि अपेक्षित।

भारत में विद्युत क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • उच्च AT&C हानि: वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) में खराब बिलिंग दक्षता और उच्च एग्रीगेट टेक्निकल एंड कमर्शियल (AT&C) हानियों के कारण लगातार वित्तीय हानि।
  • विद्युत आपूर्ति में प्रतिस्पर्धा की कमी: उपभोक्ता एक ही डिस्कॉम से बंधे रहते हैं, जिससे सेवा गुणवत्ता और नवाचार सीमित होता है।
  • क्रॉस-सब्सिडी विकृतियाँ: औद्योगिक उपभोक्ता अन्य श्रेणियों को सब्सिडी देने के लिए बढ़े हुए टैरिफ का भुगतान करते हैं, जिससे भारतीय विनिर्माण कम प्रतिस्पर्धी होता है।

किए गए संबंधित कदम

  • पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS): 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटर स्वीकृत किए गए हैं। स्मार्ट मीटर वितरण उपयोगिताओं को बिलिंग दक्षता सुधारने में सहायता करते हैं।
  • अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS): साझा अवसंरचना पर निर्मित। सार्वजनिक और निजी ट्रांसमिशन सेवा प्रदाता (TSPs), जिनमें पावरग्रिड (एक CPSU) शामिल है, CERC के पर्यवेक्षण में ISTS परिसंपत्तियों के विकास में प्रतिस्पर्धा करते हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा:
    • राष्ट्रीय सौर मिशन: बड़े पैमाने पर सौर क्षमता के लक्ष्य।
    • पवन, लघु-हाइड्रो, बायोमास और ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्रों में वृद्धि।
    • वितरण कंपनियों के लिए नवीकरणीय खरीद दायित्व (RPOs)
    • सौर पार्क, रूफटॉप सौर योजनाएँ और भंडारण समाधानों के लिए प्रोत्साहन।
  • ट्रांसमिशन अवसंरचना में सुधार:
    • नवीकरणीय विद्युत को कुशलतापूर्वक प्रसारित करने हेतु ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर
    • अंतर-राज्यीय और राज्य-स्तरीय ट्रांसमिशन नेटवर्क को सुदृढ़ करना।
    • राष्ट्रीय ग्रिड एकीकरण के साथ अधिक ग्रिड विश्वसनीयता।
  • सार्वभौमिक विद्युतीकरण पहलें:
    • DDUGJY: ग्रामीण विद्युतीकरण और फीडर पृथक्करण।
    • सौभाग्य योजना: सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण प्राप्त किया।
    • बिलिंग अक्षमताओं को कम करने हेतु स्मार्ट प्रीपेड मीटर।
  • स्वच्छ और कुशल ऊर्जा को बढ़ावा:
    • पुराने अक्षम कोयला संयंत्रों से सुपरक्रिटिकल तकनीकों की ओर बदलाव।
    • ऊर्जा का अधिक कुशल उपयोग करने पर विशेष ध्यान:
      • मानक और लेबलिंग कार्यक्रम
      • परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड (PAT) योजना
      • UJALA योजना के अंतर्गत LED वितरण।
  • नवाचार और भविष्य की प्रौद्योगिकियाँ:
    • स्मार्ट ग्रिड, बैटरी भंडारण और EV चार्जिंग अवसंरचना।
    • भविष्य की विद्युत मांग को डीकार्बोनाइज़ करने हेतु ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा।
  • निवेश आकर्षित करना:
    • विद्युत क्षेत्र में FDI, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा शामिल है।
    • ट्रांसमिशन और उत्पादन में पब्लिक–प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP)

Source: PIB

 

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