पाठ्यक्रम: GS2/सामाजिक मुद्दे; स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे
संदर्भ
- तमिलनाडु ने ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य देखभाल में राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरते हुए समावेशी नीतियाँ और विशेष क्लीनिक शुरू किए हैं, जिनका उद्देश्य समुदाय द्वारा लंबे समय आ रही बाधाओं को दूर करना है।
ट्रांसजेंडर व्यक्ति और स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे
- भारत में ट्रांसजेंडर लोगों को उनकी विशिष्ट पहचान, ऐतिहासिक हाशिए पर रहने और मुख्यधारा के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन से व्यवस्थित बहिष्कार के कारण लैंगिक अल्पसंख्यक माना जाता है।
- जनगणना (2011) के अनुसार, 4.87 लाख से अधिक व्यक्तियों ने ‘अन्य’ लिंग श्रेणी के अंतर्गत स्वयं को ट्रांसजेंडर के रूप में पहचाना।
- संयुक्त राष्ट्र के SDGs का ‘किसी को पीछे न छोड़ने’ का सिद्धांत सरकारों से आग्रह करता है कि वे हाशिए पर रहने वाले समूहों — जिनमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी शामिल हैं — की स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दें।
क्यों ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य देखभाल महत्वपूर्ण है?
- अस्पतालों और क्लीनिकों में कलंक और भेदभाव।
- जेंडर-अफर्मिंग सेवाओं (जैसे हार्मोन थेरेपी और सर्जरी) की कमी।
- देखभाल अक्सर केवल यौन संचारित संक्रमणों या जेंडर-अफर्मिंग सर्जरी तक सीमित रहती है।
- शिक्षा, आवास, रोजगार और सामाजिक कल्याण से बहिष्कार।
- सामाजिक बहिष्कार और हिंसा के कारण मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ।
- बीमा और वित्तीय सहायता तक सीमित पहुँच।
संबंधित नीति और कानूनी सुधार
- NALSA निर्णय (सर्वोच्च न्यायालय, 2014): ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी और निर्देश दिए:
- कानूनी मान्यता;
- शिक्षा और रोजगार में आरक्षण;
- कलंक रहित स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच।
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019: इसमें प्रावधान है:
- स्वास्थ्य देखभाल से मना नहीं;
- अलग एचआईवी केंद्र;
- राज्य सरकारें सेक्स-रीअसाइनमेंट सर्जरी (SRS) के लिए चिकित्सा देखभाल प्रदान करें;
- बीमा योजनाओं के अंतर्गत कवरेज।
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020:
- जिला मजिस्ट्रेट प्रमाणन प्रक्रिया;
- राज्यों की स्वास्थ्य देखभाल जिम्मेदारियों को स्पष्ट किया;
- सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में जेंडर-अफर्मिंग देखभाल के लिए दिशा-निर्देश।
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) 2022–2023 सुधार:
- एमबीबीएस पाठ्यपुस्तकों में भेदभावपूर्ण सामग्री पर रोक।
- वैज्ञानिक, गैर-कलंकित ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य मॉड्यूल शामिल करने का निर्देश।
स्वास्थ्य-विशिष्ट सुधार
- आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY): सरकार ने ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य पैकेज को मंजूरी दी जिसमें हार्मोन थेरेपी, स्तन वृद्धि, पेनक्टॉमी, वेजिनोप्लास्टी, चेहरे का स्त्रीकरण, वॉयस थेरेपी और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन शामिल हैं।
- AB-PMJAY चयनित जेंडर-अफर्मिंग प्रक्रियाओं के लिए ₹5 लाख तक की प्रतिपूर्ति करता है।
- गरिमा गृह (ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य क्लीनिक): इनमें मानसिक स्वास्थ्य और प्राथमिक देखभाल सेवाएँ शामिल हैं। कई राज्यों ने विशेष क्लीनिक शुरू किए हैं:
- केरल (कोट्टायम में पहला समर्पित TG क्लीनिक);
- तमिलनाडु ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड स्वास्थ्य समर्थन;
- दिल्ली और महाराष्ट्र पायलट क्लीनिक।
- मानसिक स्वास्थ्य एकीकरण: NIMHANS और AIIMS दिल्ली ने जेंडर डिस्फोरिया प्रबंधन, परामर्श और सर्जरी के लिए सहमति प्रक्रियाओं पर दिशानिर्देश प्रकाशित किए।
| केस स्टडी: तमिलनाडु की अग्रणी पहलें – तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल (TNMC) ने राज्य भर के सभी डॉक्टरों, चिकित्सा संकाय सदस्यों और छात्रों के लिए LGBTQIA+ संवेदनशीलता एवं ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य प्रशिक्षण को अनिवार्य किया है। – इससे तमिलनाडु प्रथम राज्य बन गया जिसने सतत चिकित्सा शिक्षा(CME) कार्यक्रमों में इस तरह का व्यापक प्रशिक्षण संस्थागत किया। तमिलनाडु प्रथम भारतीय राज्य था जिसने सरकारी अस्पताल में मुफ्त जेंडर-अफर्मिंग सर्जरी की पेशकश की। – जेंडर गाइडेंस क्लीनिक (GGCs): 2018 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत स्थापित किए गए ताकि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को बहु-विषयक देखभाल प्रदान की जा सके। – क्लीनिकों में गैर-भेदभाव, गोपनीयता और सम्मान पर संदेश प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाते हैं, जिससे प्रणाली में विश्वास मजबूत होता है। GGC डॉक्टरों को ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य के लिए विश्व पेशेवर संघ (WPATH) द्वारा प्रशिक्षित किया गया। – तमिलनाडु 2022 में प्रथम दक्षिण एशियाई क्षेत्र बना जिसने यूनिवर्सल हेल्थ इंश्योरेंस का विस्तार कर जेंडर-अफर्मिंग सर्जरी और हार्मोन थेरेपी को कवर किया। – मानसिक स्वास्थ्य देखभाल नीति (2019) और राज्य ट्रांसजेंडर नीति (2025) ने राज्य की प्रतिबद्धता को स्वास्थ्य, शिक्षा एवं संपत्ति अधिकारों के लिए सुदृढ़ किया। – मद्रास हाई कोर्ट ने विवाह मान्यता, कन्वर्ज़न थेरेपी पर प्रतिबंध, पाठ्यक्रम सुधार, पुलिस उत्पीड़न समाप्त करने और अनावश्यक इंटरसेक्स सर्जरी रोकने जैसे मामलों में ट्रांसजेंडर अधिकारों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया है। |
आगे की राह
- हालाँकि तमिलनाडु एक आशाजनक मॉडल प्रस्तुत करता है, लेकिन आगे अधिक कार्य करने की आवश्यकता है:
- GGCs का विस्तार कर प्राथमिक से तृतीयक देखभाल तक समग्र सेवाएँ प्रदान करना।
- राज्य ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य मैनुअल प्रकाशित करना।
- प्रदाताओं को नियमित रूप से प्रशिक्षित करना और उन्हें जवाबदेह ठहराना।
- सूचीबद्ध अस्पतालों के विनियमन को सुदृढ़ करना।
- बीमा पैकेजों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना।
- मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली बनाना।
- अनुसंधान और डेटा संग्रह को बढ़ावा देना।
- सामाजिक पूर्वाग्रह को दूर करने के लिए बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई करना।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को नीति निर्माण, क्रियान्वयन और निगरानी के प्रत्येक चरण में शामिल करना आवश्यक है।
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मसौदा बीज विधेयक, 2025