पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- भारत और नेपाल ने ट्रीटी ऑफ ट्रांजिट में संशोधन किया है ताकि भारत के जोगबनी एवं नेपाल के बिराटनगर के बीच रेल-आधारित माल परिवहन को सुगम बनाया जा सके।
परिचय
- यह उदारीकरण प्रमुख ट्रांजिट कॉरिडोर तक विस्तारित है — कोलकाता-जोगबनी, कोलकाता-नौतनवा (सुनौली), और विशाखापट्टनम-नौतनवा (सुनौली)।
- उद्देश्य: दोनों देशों के बीच बहु-आयामी व्यापारिक संपर्क को सुदृढ़ करना और नेपाल के तीसरे देशों के साथ व्यापार को सुगम बनाना।
- इन नए उपायों से दोनों देशों और उससे आगे के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को और सुदृढ़ करने की उम्मीद है।
भारत-नेपाल संबंधों का अवलोकन
- साझा सीमा: नेपाल की सीमा भारत के पाँच राज्यों — सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से लगती है।
- स्थलरुद्ध नेपाल वस्तुओं और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर अत्यधिक निर्भर है तथा समुद्र तक पहुँच भारत के माध्यम से होती है।
- भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि: 1950 में हस्ताक्षरित, यह भारत और नेपाल के बीच विशेष संबंधों की नींव है।
- नेपाली नागरिक संधि के प्रावधानों के अनुसार भारतीय नागरिकों के समान सुविधाएँ और अवसर प्राप्त करते हैं।
- रक्षा सहयोग: भारत नेपाल सेना (NA) को उपकरण उपलब्ध कराकर और प्रशिक्षण देकर उसके आधुनिकीकरण में सहायता करता रहा है।
- दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण का आयोजन बारी-बारी से भारत और नेपाल में करते हैं।
- 1950 से भारत और नेपाल एक-दूसरे की सेना प्रमुख को मानद जनरल की उपाधि प्रदान करते रहे हैं।
- भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट आंशिक रूप से नेपाल के पहाड़ी जिलों से भर्ती द्वारा बनाई जाती है।
- व्यापार और आर्थिक संबंध: भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निवेशक है, जहाँ भारतीय कंपनियाँ नेपाल में कुल एफडीआई स्टॉक का 33.5% हिस्सा रखती हैं।
- नेपाल भारत का 17वाँ सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जो 2014 में 28वें स्थान से ऊपर आया है।
- भारत नेपाल के कुल व्यापार का 64.1% हिस्सा रखता है, जो लगभग 8.85 अरब अमेरिकी डॉलर (भारतीय वित्तीय वर्ष 22-23) है।
- इसमें भारत से नेपाल को 8.015 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात और नेपाल से भारत को 839.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात शामिल है।
- संपर्क और विकास साझेदारी: भारत स्वास्थ्य, शिक्षा और संपर्क जैसे प्राथमिक क्षेत्रों में नेपाल का सबसे बड़ा विकास सहयोगी है।
- प्रमुख परियोजनाओं में गौचर हवाई अड्डा (वर्तमान में त्रिभुवन हवाई अड्डा), पूर्व-पश्चिम राजमार्ग, सीमा-पार रेल लिंक का विकास और एकीकृत चेक पोस्ट की स्थापना शामिल हैं।
- ऊर्जा सहयोग: भारत और नेपाल के बीच 1971 से पावर एक्सचेंज एग्रीमेंट है ताकि सीमा क्षेत्र में विद्युत की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
- पावर सेक्टर सहयोग पर संयुक्त दृष्टि वक्तव्य 2022: इसमें नेपाल में विद्युत उत्पादन परियोजनाओं का संयुक्त विकास, सीमा-पार ट्रांसमिशन अवसंरचना का विकास और राष्ट्रीय ग्रिडों का समन्वित संचालन शामिल है।
- ऑपरेशन मैत्री और भूकंप-पश्चात पुनर्निर्माण सहायता: 2015 के नेपाल भूकंप के बाद भारत सरकार प्रथम प्रत्युत्तरदाता था और उसने विदेश में अपनी सबसे बड़ी आपदा राहत अभियान (ऑपरेशन मैत्री) चलाया।
- सांस्कृतिक संबंध: दोनों देशों के नेताओं ने प्रायः सदियों पुराने ‘रोटी-बेटी’ संबंध का उल्लेख किया है, जो दोनों देशों के लोगों के बीच सीमा-पार विवाह को दर्शाता है।
भारत और नेपाल के बीच चिंताओं के क्षेत्र
- 1950 की शांति और मित्रता संधि: इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को सुदृढ़ और विकसित करना तथा शांति को स्थायी बनाना था।
- समय के साथ, नेपाल ने माना कि यह संधि असमान और नेपाल के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप नहीं है।
- भारत ने लगातार कहा है कि यदि नेपाल चाहे तो वह इस संधि की समीक्षा “रचनात्मक और दूरदर्शी तरीके” से करने के लिए तैयार है।
- कालापानी विवाद: यह क्षेत्र भारत के नियंत्रण में है लेकिन नेपाल ऐतिहासिक कारणों से इस क्षेत्र पर दावा करता है। यह भारत और नेपाल के बीच सबसे बड़ा क्षेत्रीय विवाद है।
- विश्वास की कमी: काठमांडू में यह धारणा है कि भारत नेपाल की आंतरिक राजनीतिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करता है।
- भारत की चिंताएँ नेपाल के बुनियादी ढाँचे, व्यापार और राजनीतिक निर्णयों में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर हैं।
- नेपाल में कभी-कभी राजनीतिक कथाएँ भारत को प्रभुत्ववादी के रूप में प्रस्तुत करती हैं।
- सुरक्षा चिंताएँ: भारत और नेपाल की साझा सुरक्षा चिंताएँ हैं, जिनमें सीमा-पार आतंकवाद, तस्करी और सीमा सुरक्षा से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
- असमान संबंध की धारणा: नेपाल समाज के कुछ वर्गों ने भारत के साथ असमान संबंध की चिंता व्यक्त की है, जिसमें आर्थिक निर्भरता और द्विपक्षीय संबंधों में पारस्परिकता की कमी के आरोप शामिल हैं।
आगे की राह
- इन चुनौतियों और विवादों के बावजूद, भारत और नेपाल ने ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध बनाए रखे हैं तथा द्विपक्षीय मुद्दों को संबोधित करने के लिए संवाद एवं कूटनीतिक प्रयासों में लगे रहते हैं।
- दोनों देश अपने संबंधों के महत्व को पहचानते हैं और अपने मतभेदों के लिए परस्पर स्वीकार्य समाधान खोजने तथा सहयोग और मित्रता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि उनके लोगों को पारस्परिक लाभ मिल सके।
Source: TH
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