पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
समाचार में
- भारत और बोत्सवाना ने औपचारिक रूप से ‘प्रोजेक्ट चीता’ के अंतर्गत आठ चीतों को भारत में स्थानांतरित करने की घोषणा की।
परिचय
- भारत ने 1952 में चीते को विलुप्त घोषित कर दिया था, दशकों तक अत्यधिक शिकार, आवास विखंडन और शिकार प्रजातियों की कमी के बाद।
- 2022 में प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत और नामीबिया तथा दक्षिण अफ्रीका से चीतों का आगमन, बड़े मांसाहारी जीव के लिए विश्व का प्रथम अंतरमहाद्वीपीय पुनर्वास कार्यक्रम बना।
- बोत्सवाना, जो एक स्थलरुद्ध देश है और जिसकी लगभग 70% भूमि कालाहारी रेगिस्तान से ढकी है, विश्व की सबसे बड़ी जंगली चीता जनसंख्या में से एक का घर है।
प्रोजेक्ट चीता
- सारांश: प्रोजेक्ट चीता भारत का महत्वाकांक्षी प्रयास है, जिसमें उपयुक्त खुले जंगल और घासभूमि पारिस्थितिक तंत्रों में चीते को पुनः स्थापित किया जा रहा है।
- प्रारंभकर्ता: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), जो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (संशोधित 2006) के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है।
- उद्देश्य: भारत की घासभूमि पारिस्थितिक तंत्रों में चीतों को पुनः स्थापित करना और एक व्यवहार्य, स्वतंत्र रूप से घूमने वाली चीता जनसंख्या स्थापित करना।
- वैश्विक प्रथम: यह बड़े जंगली मांसाहारी जीव का विश्व का प्रथम अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण है।
- अब तक के स्थानांतरण:
- 2022 में नामीबिया से 8 चीते
- 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते
- 2025 में बोत्सवाना से 8 चीते (घोषणा)
चीते के पुनः परिचय का महत्व
- पारिस्थितिक पुनर्स्थापन: चीते, शीर्ष शिकारी के रूप में, शिकार प्रजातियों को नियंत्रित करने और घासभूमि व खुले जंगल पारिस्थितिक तंत्रों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायता करते हैं। उनका पुनः परिचय पारिस्थितिक संतुलन पुनर्स्थापित करने और क्षतिग्रस्त घासभूमि बायोम को पुनर्जीवित करने की सम्भावना है।
- जैव विविधता संरक्षण: चीता एक फ्लैगशिप और अम्ब्रेला प्रजाति के रूप में कार्य करता है, जिससे न केवल उसके शिकार आधार का संरक्षण होता है बल्कि घासभूमि एवं अर्ध-शुष्क पारिस्थितिक तंत्रों में अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों का भी संरक्षण होता है।
- सतत आजीविका: यह परियोजना इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखती है।
- वैश्विक संरक्षण: प्रोजेक्ट चीता वैश्विक प्रयास में योगदान देता है, विशेष रूप से अफ्रीकी चीता (असुरक्षित) और एशियाई चीता (गंभीर रूप से संकटग्रस्त) के संरक्षण में।
चिंताएँ और चुनौतियाँ
- आवास उपयुक्तता: कुनो लंबे समय तक, आत्मनिर्भर चीता जनसंख्या के लिए अपेक्षाकृत छोटा है।
- उच्च मृत्यु दर: 2023 से कई मौतें (बीमारी, संघर्ष, गर्मी तनाव) दर्ज की गई हैं, जिससे तैयारी, रोग स्क्रीनिंग और बाड़े के डिज़ाइन पर प्रश्न उठे हैं।
- मानव–वन्यजीव संघर्ष: चीते छिद्रयुक्त सीमाओं के कारण कृषि भूमि में जा सकते हैं। भारत में चीते के साथ रहने की ऐतिहासिक स्मृति का अभाव है, जिससे प्रबंधन अंतराल उत्पन्न होते हैं।
- जलवाय और पारिस्थितिक असंगति: अफ्रीकी चीते खुले सवाना के अनुकूल हैं; भारत के परिदृश्य अधिक खंडित हैं। भारत की शिकार घनत्व अभी भी कुछ स्थलों पर सुधार की आवश्यकता रखती है।
| चीते के बारे में – चीता (Acinonyx jubatus) विश्व का सबसे तीव्र स्तनपायी है और भारत में विलुप्त होने वाला एकमात्र बड़ा मांसाहारी (1952) है। – अन्य बड़े बिल्लियों के विपरीत, चीते दहाड़ते नहीं हैं। – दो मुख्य प्रजातियाँ हैं:अफ्रीकी चीता (असुरक्षित)एशियाई चीता (गंभीर रूप से संकटग्रस्त), जो केवल पूर्वी ईरान और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। |
Source: TH
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