पश्चिमी हिंद महासागर का बढ़ता महत्व

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • पश्चिमी हिंद महासागर (WIO) एक महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र के रूप में उभरा है, जहाँ सुरक्षा, व्यापार और कूटनीति का संगम होता है। यह क्षेत्र, जिसे पहले एक दूरस्थ विस्तार और वैश्विक भू-राजनीति में एक गौण चिंता माना जाता था, अब केंद्र में आ गया है।

पश्चिमी हिंद महासागर (WIO) के बारे में

  •  यह अफ्रीका के पूर्वी तट से लेकर अरब सागर तक फैला है, जिसमें सोमालिया, केन्या, तंज़ानिया, मोज़ाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका, कोमोरोस, मेडागास्कर, सेशेल्स, मॉरीशस और रीयूनियन जैसे देश शामिल हैं।  
  • यह बाब अल-मंदब, मोज़ाम्बिक चैनल और होर्मुज़ जलडमरूमध्य जैसे प्रमुख समुद्री चोकप्वाइंट्स को जोड़ता है, जिससे यह ऊर्जा एवं व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण गलियारा बन जाता है।  
  • यह विश्व के सबसे व्यस्त और सबसे अधिक निगरानी वाले समुद्री गलियारों में से एक है, जो अफ्रीका के हॉर्न से मोज़ाम्बिक चैनल तक फैला है और सेशेल्स, मॉरीशस एवं मेडागास्कर जैसे द्वीप राष्ट्रों से घिरा है।  
  • यह लगभग 36 देशों के संपर्क में है और विश्व की लगभग 40% समुद्री तटरेखा को समेटे हुए है, जिससे यह अफ्रीका, एशिया एवं मध्य पूर्व की अर्थव्यवस्थाओं को गति देने वाला एक महत्वपूर्ण वाणिज्य तथा संपर्क केंद्र बन जाता है।

समुद्री सुरक्षा की चुनौतियाँ

  •  समुद्री डकैती और सशस्त्र लूट: सोमालिया के तट पर समुद्री डकैती की पुनरावृत्ति और अफगानिस्तान से मादक पदार्थों की तस्करी समुद्री सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बनी हुई है।
    • हाल ही में लाल सागर और अदन की खाड़ी में हुई गड़बड़ियों ने चिंताओं को पुनः उत्पन्न कर दिया है।  
  • मादक पदार्थ और अवैध तस्करी: भारतीय नौसेना के अभियानों, जैसे INS तरकश द्वारा 2,500 किलोग्राम मादक पदार्थों की जब्ती, ने इस क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय अपराधों के प्रति संवेदनशीलता को उजागर किया है।  
  • गैर-पारंपरिक खतरे: जलवायु परिवर्तन, अवैध मछली पकड़ना और समुद्री आपदाएं समन्वित प्रतिक्रिया की मांग करती हैं।
    • क्षेत्रीय हितधारकों के बीच रीयल-टाइम डेटा साझा करके समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) को बढ़ाने की आवश्यकता है।  
  • चीन का नौसैनिक विस्तार: चीन की बढ़ती उपस्थिति, जिसमें नौसैनिक गतिविधियाँ और अवसंरचना निवेश शामिल हैं, ने इस क्षेत्र में रणनीतिक प्रतिस्पर्धा की एक नई परत जोड़ दी है।
    •  हाल ही में, चीन का 48वां नौसैनिक एस्कॉर्ट बेड़ा, जिसमें विध्वंसक तांगशान और फ्रिगेट दाकिंग शामिल हैं, अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती विरोधी मिशन पर रवाना हुआ।  
    • चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) ने WIO बंदरगाह अवसंरचना में बड़े पैमाने पर निवेश को प्रेरित किया है — जिबूती से लेकर पाकिस्तान के ग्वादर तक, जहाँ उसका प्रथम विदेशी सैन्य अड्डा स्थित है।  
    • पूर्वी हिंद महासागर में चीन द्वारा अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाजों की तैनाती इसके दोहरे उद्देश्यों को दर्शाती है: वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए समुद्र तल का मानचित्रण और संभावित रूप से पनडुब्बी युद्ध क्षमताओं को बढ़ाना।  
  • जलवायु-जनित आपदाएं: समुद्र स्तर में वृद्धि, प्रवाल विरंजन और चरम मौसम की घटनाएं तटीय समुदायों एवं समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डालती हैं।

भारत की समुद्री रणनीति और क्षेत्रीय भागीदारी

  • भारत की समुद्री नीति साझेदारी, विश्वास और नियम-आधारित व्यवस्था पर बल देती है, जो चीन से भिन्न है।
    •  भारत ने हिंद महासागर के लिए कोई स्पष्ट ‘मोनरो सिद्धांत’ जारी नहीं किया हो, लेकिन तटीय देशों के बीच इसका प्रभाव व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। 
  •  क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (SAGAR सिद्धांत): यह रक्षा सहयोग, क्षमता निर्माण, मानवीय सहायता और पर्यावरण संरक्षण को एकीकृत करता है।  
  • संयुक्त समुद्री बल (CMF): भारत की CMF में भागीदारी और नौसैनिक अभ्यासों व मानवीय मिशनों के माध्यम से क्षेत्रीय क्षमता निर्माण का समर्थन इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।  
  • पर्यावरणीय और आर्थिक परियोजनाएं: INCOIS द्वारा समर्थित SOLSTICE-WIO जैसी परियोजनाएं पारिस्थितिकी तंत्र अनुसंधान को बढ़ावा देती हैं और तटीय समुदायों में सतत आजीविका को प्रोत्साहित करती हैं।
    • इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का अनुमानित मूल्य US$ 300 बिलियन से अधिक है, जो संतुलित विकास की आवश्यकता को रेखांकित करता है।  
  • परिचालन क्षमता: भारत साझेदार देशों के साथ इंटरऑपरेबिलिटी को सुदृढ़ करता है, जैसे कि कोकण 2024 जैसे नौसैनिक अभ्यासों के माध्यम से।
    • सूचना संलयन केंद्र – हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR), गुरुग्राम में स्थित, एक क्षेत्रीय खुफिया केंद्र के रूप में कार्य करता है, जो भारत को अफ्रीकी और इंडो-पैसिफिक देशों से जोड़ता है ताकि रीयल-टाइम समुद्री जागरूकता, आपदा प्रतिक्रिया एवं जलवायु लचीलापन सुनिश्चित किया जा सके।  
  • इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (IPOI) और फ्रांस, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी भारत की बहुपक्षीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।  
  • ओमान के दुक़्म बंदरगाह और फ्रांस के रीयूनियन द्वीप जैसी प्रमुख सुविधाओं तक पहुंच भारत की परिचालन पहुंच एवं त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाती है।

अफ्रीका की केंद्रीय भूमिका

  • WIO क्षेत्र अफ्रीका और एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु का कार्य करता है। इन देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंध रणनीतिक और विकासात्मक दोनों हैं।
  •  क्रियान्वयन में साझेदारी:  
    • मॉरीशस में: भारत ने बंदरगाह लुईस के पुनर्विकास सहित अवसंरचना, स्वास्थ्य सेवा और समुद्री सुरक्षा में $680 मिलियन से अधिक का निवेश किया है।  
    • सेशेल्स में: संयुक्त नौसैनिक प्रशिक्षण स्थानीय रक्षा क्षमताओं को बढ़ाता है।  
    • मोज़ाम्बिक में: टोटलएनर्जी के साथ $20 बिलियन के LNG परियोजना में भारत की भागीदारी क्षेत्रीय ऊर्जा लचीलापन और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देती है।  
  • भारत की भागीदारी अफ्रीका के एजेंडा 2063 के अनुरूप है, जो कौशल विकास, ब्लू इकोनॉमी की वृद्धि और सतत शासन पर बल देता है — जिससे भारत ऋण-भारित विकल्पों की तुलना में एक पसंदीदा साझेदार के रूप में उभरता है।

आगे की राह

  •  महत्वपूर्ण चोकप्वाइंट्स की सुरक्षा: WIO क्षेत्र विश्व के कुछ सबसे महत्वपूर्ण समुद्री चोकप्वाइंट्स — होर्मुज़ जलडमरूमध्य, बाब अल-मंदब और मोज़ाम्बिक चैनल — का घर है, जिनसे भारत की अधिकांश तेल आपूर्ति होकर गुजरती है।
    • भारत फ्रांस, UAE, अमेरिका और सऊदी अरब जैसे क्षेत्रीय एवं वैश्विक साझेदारों के साथ सहयोग करता है, संयुक्त गश्त, सूचना-साझाकरण मिशन तथा समुद्री सुरक्षा अभ्यासों के माध्यम से इन मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।  
  • जिम्मेदारी के साथ शक्ति का संतुलन: छोटे द्वीप राष्ट्र जलवायु सुरक्षा, सततता और विकास को प्राथमिकता देते हैं — ऐसे क्षेत्र जहाँ भारत की समावेशी, क्षमता-निर्माण आधारित नीति गहराई से प्रतिध्वनित होती है।
    • रक्षा सहायता को पर्यावरणीय और विकासात्मक पहलों से जोड़कर, भारत खुद को एक जिम्मेदार समुद्री शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है, न कि एक प्रभुत्वशाली शक्ति के रूप में। 
  •  क्षेत्र के भविष्य का निर्माण: पश्चिमी हिंद महासागर सुरक्षा, व्यापार और कूटनीति के चौराहे पर खड़ा है।
    •  जैसे-जैसे चीन अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, भारत की साझेदारी-आधारित नीतियों के माध्यम से निरंतर भागीदारी यह सुनिश्चित करती है कि यह क्षेत्र खुला, स्थिर और सुरक्षित बना रहे।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] पश्चिमी हिंद महासागर के बढ़ते सामरिक महत्व में योगदान देने वाले कारकों पर चर्चा करें और मूल्यांकन करें कि क्षेत्रीय एवं अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियां इसके भू-राजनीतिक परिदृश्य को किस प्रकार नया आकार दे रही हैं।

Source: First Post

 

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