पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स घटक निर्माण योजना (ECMS) के अंतर्गत ₹5,532 करोड़ की सात परियोजनाओं की घोषणा की, जिनमें से पाँच तमिलनाडु में हैं और एक-एक मध्य प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश में है।
इलेक्ट्रॉनिक्स घटक निर्माण योजना (ECMS) के बारे में
- यह योजना अप्रैल 2025 में अधिसूचित की गई थी, जिसकी कुल लागत ₹22,919 करोड़ है।
- ECMS की अवधि 6 वर्षों की है (वित्त वर्ष 2025–26 से 2031–32 तक), जिसमें ग्रीनफील्ड (नई) और ब्राउनफील्ड (वर्तमान) निवेशों को पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर प्रोत्साहन दिया जाता है।
- इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए एक सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, निवेश आकर्षित करना और भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करना है।
- यह योजना भारत की आयातित घटकों पर निर्भरता को कम करने, घरेलू मूल्य वर्धन को बढ़ाने और निर्यात क्षमताओं को सशक्त करने की दिशा में केंद्रित है।
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की वर्तमान स्थिति
- इलेक्ट्रॉनिक्स 2024–25 में भारत की तीसरी सबसे बड़ी और सबसे तीव्रता से बढ़ती निर्यात श्रेणी के रूप में उभरी है, जो 2021–22 में सातवें स्थान पर थी।
- यह देश की GDP में लगभग 3.4% का योगदान देती है।
- वित्त वर्ष 2025–26 की प्रथम छमाही में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात USD 22.2 बिलियन रहा, जिससे इस क्षेत्र की सुदृढ़ वृद्धि गति बनी रही और यह देश की दूसरी सबसे बड़ी निर्यात वस्तु बनने की दिशा में अग्रसर है।
- मोबाइल निर्माण इस वृद्धि का केंद्र रहा है, जिसमें उत्पादन 28 गुना बढ़ा है और भारत अब विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है।
चुनौतियाँ
- प्रभावशाली वृद्धि के बावजूद, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र कई संरचनात्मक और रणनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे:
- आयातित घटकों, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले पैनलों पर निर्भरता।
- उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स में सीमित उच्च स्तरीय अनुसंधान एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र।
- आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियाँ, जिसमें लॉजिस्टिक्स और कच्चे माल की उपलब्धता शामिल है।
- विशेषीकृत निर्माण और डिज़ाइन भूमिकाओं में कौशल अंतर।
- चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे स्थापित वैश्विक केंद्रों से प्रतिस्पर्धा।
सरकारी कदम
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल निर्माण को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्लस्टर (EMC 2.0) योजना इलेक्ट्रॉनिक्स हब के लिए बुनियादी ढांचे के विकास को प्रोत्साहन देती है।
- सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम घरेलू सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का लक्ष्य रखता है।
- डिजिटल इंडिया एवं मेक इन इंडिया जैसे व्यापक नीति समर्थन इलेक्ट्रॉनिक्स नवाचार और निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं।
निष्कर्ष
- भारत निर्यात में वृद्धि, घरेलू उत्पादन के विस्तार और मोबाइल निर्माण उद्योग की तीव्रता से वृद्धि के चलते निर्माण के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है।
- ये विकास भारत के वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरने और एक अग्रणी वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स हब बनने की दिशा में इसकी तीव्र यात्रा को दर्शाते हैं।
- निरंतर नीति समर्थन, बुनियादी ढांचे में निवेश और नवाचार के साथ, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है।
Source: PIB
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