पाठ्यक्रम: GS1/ समाज, GS2/ शासन
संदर्भ
- भारत की वरिष्ठ नागरिक जनसंख्या के 2036 तक लगभग 23 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है, जो कुल जनसंख्या का लगभग 15% होगी।
भारत में वृद्ध जनसंख्या
- वृद्ध जनसंख्या में लिंग अनुपात 1,000 पुरुषों पर 1,065 महिलाएं है, जिसमें महिलाएं वृद्ध जनसंख्या का 58% हिस्सा हैं, जिनमें से 54% विधवा हैं।
- इसके अतिरिक्त, कुल आश्रित अनुपात 100 कार्यशील आयु वर्ग के व्यक्तियों पर 62 आश्रितों का है, जो भारत में जनसंख्या वृद्धावस्था के बढ़ते सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है।
- दक्षिणी राज्य, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के साथ, वृद्ध जनसंख्या में अग्रणी हैं, तथा क्षेत्रीय असमानताएं 2036 तक और बढ़ने की संभावना है।
वृद्ध जनसंख्या को सामना करने वाली चुनौतियाँ
- स्वास्थ्य: मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों (डिमेंशिया, अल्ज़ाइमर) का कलंक, बढ़ती अक्षमताएं, अपर्याप्त जेरियाट्रिक ढांचा, शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं की पहुंच में अंतर।
- आर्थिक: अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रावधान, जीवन और चिकित्सा व्ययों में वृद्धि, सीमित वित्तीय संसाधन।
- सामाजिक: पारिवारिक समर्थन प्रणाली का कमजोर होना, सामाजिक अलगाव, उपेक्षा, साथी की कमी आदि।
- डिजिटल अंतर: तकनीक अपनाने में बाधाएं, प्रशिक्षण की कमी और सुलभ उपकरणों की अनुपलब्धता।
- बुनियादी ढांचा: अपर्याप्त साक्षरता, आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली में वृद्धों को संवेदनशील समूह के रूप में नजरअंदाज करना।
- भारत में सार्वजनिक स्थान और परिवहन वृद्धजन अनुकूल नहीं हैं क्योंकि कई क्षेत्रों में रैंप, हैंडरेल एवं सुलभ शौचालयों की कमी है।
भारत में वृद्धों के लिए सरकारी पहलें
- अटल पेंशन योजना (APY): 2015 में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए वृद्धावस्था आय सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु शुरू की गई।
- यह 60 वर्ष के पश्चात ₹1,000–₹5,000 की मासिक पेंशन की गारंटी देती है।
- राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY): 2017 में शुरू की गई, जो बीपीएल वरिष्ठ नागरिकों या ₹15,000/माह से कम आय वालों को सहायक उपकरण (श्रवण यंत्र, छड़ी, व्हीलचेयर आदि) वितरित करती है।
- सीनियर केयर एजिंग ग्रोथ इंजन (SAGE) पोर्टल: वृद्ध देखभाल सेवाओं में स्टार्टअप और नवाचार को बढ़ावा देता है, जिससे सिल्वर इकोनॉमी का विकास होता है।
- आयुष्मान भारत – पीएमजेएवाई: यह 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को ₹5 लाख वार्षिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करता है, जो 4.5 करोड़ परिवारों में फैले हैं।
- माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007: यह बच्चों और उत्तराधिकारियों को अपने माता-पिता का भरण-पोषण करने का कानूनी दायित्व बनाता है।
- यह राज्य सरकारों को वृद्धाश्रम स्थापित करने और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण सेवाओं को सुनिश्चित करने का निर्देश देता है।
आगे की राह
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: सामुदायिक केंद्रों, एनजीओ और पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से लक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करें ताकि वृद्ध नागरिक स्मार्टफोन, टेलीमेडिसिन और डिजिटल बैंकिंग प्लेटफॉर्म से परिचित हो सकें।
- ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी ढांचे को मजबूत करना: इंटरनेट कनेक्टिविटी और सस्ते डिजिटल उपकरणों का विस्तार करें ताकि टेलीहेल्थ और ऑनलाइन सेवाओं की पहुंच में शहरी-ग्रामीण अंतर को कम किया जा सके।
- सिल्वर इकोनॉमी में नवाचार को प्रोत्साहित करना: सहायक तकनीकों, एआई-आधारित स्वास्थ्य निगरानी उपकरणों और वृद्धजन की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित उपयोगकर्ता-अनुकूल एप्लिकेशन विकसित करने वाले स्टार्टअप एवं उद्यमों को समर्थन दें।
- प्रौद्योगिकी को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ना: पहनने योग्य स्वास्थ्य उपकरणों और टेलीमेडिसिन सेवाओं को आयुष्मान भारत और एनपीएचसीई जैसी वर्तमान सरकारी योजनाओं से जोड़ें ताकि सतत एवं निवारक देखभाल सुनिश्चित की जा सके।
- डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना: वृद्धजन-विशिष्ट डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल विकसित करें ताकि संवेदनशील चिकित्सा और वित्तीय जानकारी को साइबर खतरों से सुरक्षित रखा जा सके।
Source: PIB
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