पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लॉन्च किए गए राष्ट्रीय मखाना बोर्ड को इस क्षेत्र के लिए एक परिवर्तनकारी “क्रांति” बताया।
मखाना
- यह कांटेदार जल लिली या गॉर्गन पौधे (Euryale ferox) का सूखा खाद्य बीज है, जो दक्षिण और पूर्वी एशिया के स्वच्छ जल के तालाबों में उगता है।
- यह अपने बैंगनी और सफेद फूलों तथा विशाल, गोल एवं कांटेदार पत्तों के लिए जाना जाता है — जो प्रायः एक मीटर से अधिक फैलते हैं।
- मखाना, जो पारंपरिक रूप से धार्मिक अनुष्ठानों में सेवन किया जाता था, हाल ही में एक पोषक तत्वों से भरपूर, कम वसा वाला “सुपरफूड” और स्वास्थ्यवर्धक स्नैक के रूप में पहचान प्राप्त कर रहा है।
उत्पादन क्षेत्र
- भारत में मखाना का प्रमुख उत्पादक राज्य बिहार है, जहां इसकी खेती मिथिलांचल क्षेत्र के नौ जिलों में केंद्रित है — विशेष रूप से दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया और कटिहार, जो राज्य के कुल उत्पादन का 80% हिस्सा हैं।
- लगभग 15,000 हेक्टेयर भूमि पर मखाना की खेती होती है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 10,000 टन पॉप्ड मखाना का उत्पादन होता है।
- वैश्विक मखाना बाजार का मूल्य 2023 में $43.56 मिलियन था, और इसके 2033 तक $100 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है।
समस्याएं और चिंताएं
- बिहार, मखाना का शीर्ष उत्पादक होने के बावजूद, खाद्य प्रसंस्करण और निर्यात के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना से वंचित है, जिससे उसे कच्चा मखाना सस्ते दामों पर पंजाब एवं असम जैसे राज्यों को बेचना पड़ता है, जो निर्यात में अग्रणी हैं।
- कमजोर बाजार संगठन और विभिन्न मध्यस्थों के कारण किसानों और राज्य को कम आय प्राप्त होती है।
- इसके अतिरिक्त, मखाना की खेती श्रम-प्रधान और कम उत्पादकता वाली बनी हुई है, जिससे लागत बढ़ जाती है।
सरकारी पहल
- सरकार इसके वाणिज्यिक संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए विपणन प्रयासों, औद्योगिक आधारभूत संरचना में सुधार और मखाना बोर्ड के गठन के माध्यम से काम कर रही है।
- 2022 में ‘मिथिला मखाना’ को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया, जो यह प्रमाणित करता है कि कोई उत्पाद केवल एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में ही उगाया जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप उसमें विशिष्ट गुण होते हैं (जैसे दार्जिलिंग की चाय या मैसूर का चंदन साबुन)।
आगे की राह
- मखानानॉमिक्स का उद्देश्य ग्रामीण सशक्तिकरण, आर्थिक वृद्धि और क्षेत्रीय विकास है।
- बेहतर आधारभूत संरचना, सहायक नीतियों और बेहतर बाजार पहुंच के साथ, बिहार का मखाना क्षेत्र एक जीविका आधारित फसल से एक वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त सुपरफूड उद्योग में बदल सकता है।
Source:IE
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