पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- भारत वैश्विक वन संसाधन आकलन (GFRA) 2025 के अनुसार कुल वन क्षेत्र के मामले में वैश्विक स्तर पर 9वें स्थान पर पहुंच गया है, जिसे खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा बाली में जारी किया गया। GFRA प्रत्येक पांच वर्षों में प्रकाशित किया जाता है।
मुख्य निष्कर्ष
- वैश्विक स्तर पर वन 4.14 अरब हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हैं, जो कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 32% है, अर्थात प्रति व्यक्ति 0.5 हेक्टेयर वन।
- रूस के पास सबसे अधिक वन क्षेत्र है, इसके बाद ब्राज़ील, कनाडा, अमेरिका, चीन, कांगो, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, भारत और पेरू का स्थान है।
- रिपोर्ट में यह उजागर किया गया है कि विगत दशक में वैश्विक वनों की कटाई की गति धीमी हुई है।
- फिर भी, विश्व प्रत्येक वर्ष (2015–2025) 10.9 मिलियन हेक्टेयर वन खो रही है, जो अभी भी चिंताजनक दर मानी जाती है।
भारत की वन आच्छादन स्थिति
- भारत का वन क्षेत्र 72.7 मिलियन हेक्टेयर है, जो वैश्विक वन क्षेत्र का लगभग 2% है।
- वार्षिक वन वृद्धि के मामले में भारत ने चीन और रूस के बाद विश्व स्तर पर अपना तीसरा स्थान बनाए रखा है।
- भारत और इंडोनेशिया मिलकर वैश्विक कृषि वानिकी क्षेत्रों का 70% से अधिक प्रतिनिधित्व करते हैं, जो खेतों में पेड़ों के सुदृढ़ एकीकरण को दर्शाता है।
भारत की उपलब्धि का महत्व
- जलवायु परिवर्तन शमन: वन क्षेत्र का विस्तार कार्बन अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे भारत के पेरिस समझौते के अंतर्गत निर्धारित राष्ट्रीय योगदान (NDCs) को सहायता मिलती है।
- जैव विविधता संरक्षण: वन विभिन्न वनस्पतियों और जीवों के आवास के रूप में कार्य करते हैं, जो भारत की समृद्ध जैव विविधता का समर्थन करते हैं।
- आजीविका समर्थन: भारत में 275 मिलियन से अधिक लोग आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं, जिससे उनका सतत प्रबंधन सामाजिक-आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।
- भूमि और जल सुरक्षा: वन मृदा के कटाव को रोकते हैं, जल चक्र को नियंत्रित करते हैं और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायता करते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं: यह भारत के संयुक्त राष्ट्र पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन दशक (2021–2030) और सतत विकास लक्ष्य 15 (भूमि पर जीवन) के तहत लक्ष्यों के अनुरूप है।
वन संरक्षण की दिशा में सरकारी पहलें
- ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान ने नागरिकों को पेड़ लगाने और पर्यावरणीय चेतना बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।
- हरित भारत मिशन (GIM): जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के अंतर्गत एक मिशन जो वन क्षेत्र बढ़ाने और वर्तमान वन गुणवत्ता सुधारने का लक्ष्य रखता है।
- प्रतिपूरक वनीकरण निधि अधिनियम (2016): एक अधिनियम जो गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि का उपयोग करने वालों से प्रतिपूरक शुल्क लेकर वनीकरण एवं संबंधित गतिविधियों के लिए धन सुनिश्चित करता है।
- इको-सेंसिटिव ज़ोन (ESZs): संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्यों) के चारों ओर नामित क्षेत्र जो बफर के रूप में कार्य करते हैं तथा मानव गतिविधियों के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव को कम करते हैं।
- संयुक्त वन प्रबंधन (JFM): एक कार्यक्रम जो राज्य वन विभागों और स्थानीय समुदायों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देता है ताकि वन संसाधनों की रक्षा और पुनर्जीवन किया जा सके।
चुनौतियाँ
- विकास परियोजनाएं: खनन, सड़कों और शहरी विस्तार के लिए वन विचलन पारिस्थितिक स्थिरता को खतरे में डालता है।
- वन क्षरण: अत्यधिक दोहन और अतिक्रमण वन स्वास्थ्य और संपर्कता को प्रभावित करते हैं।
- जलवायु चरम स्थितियां: बढ़ते तापमान और परिवर्तित वर्षा पैटर्न वन पुनर्जनन और प्रजातियों की संरचना को प्रभावित करते हैं।
- संरक्षण और आजीविका: स्थानीय समुदायों का कल्याण सुनिश्चित करते हुए संरक्षण प्राथमिकताओं को बनाए रखना एक चुनौती बना हुआ है।
निष्कर्ष
- वैश्विक वन रैंकिंग में भारत की प्रगति देश की पर्यावरणीय स्थिरता और हरित विकास के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि करती है।
- वैज्ञानिक वन प्रबंधन, स्थानीय भागीदारी और जलवायु-लचीले पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन पर निरंतर ध्यान इस गति को बनाए रखने तथा आगामी वर्षों में इसे और बढ़ाने के लिए आवश्यक होगा।
Source: PIB
Previous article
एटलस: एआई-संचालित ब्राउज़रों का उदय
Next article
संक्षिप्त समाचार 23-10-2025