भारत और सऊदी अरब व्यापार संबंधों को गहरा करेंगे

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • कपड़ा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए सऊदी अरब के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के सचिव से भेंट की।

प्रमुख विशेषताएँ

  • भारत और सऊदी अरब का द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2024-25 में 41.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
  • भारत सऊदी अरब के कपड़ा और परिधान क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता (517.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर) बनकर उभरा है, जिसने 2024 में सऊदी अरब के कुल कपड़ा एवं परिधान आयात में 11.2% हिस्सेदारी प्राप्त की है।
    • दोनों पक्षों ने इस व्यापार संबंध को और गहरा करने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की।
  • बैठक का एक प्रमुख बिंदु पेट्रोकेमिकल-आधारित उद्योगों में सऊदी अरब की क्षमता और मानव निर्मित फाइबर एवं तकनीकी वस्त्रों में भारत की बढ़ती क्षमताओं की पारस्परिक मान्यता थी।

भारत और सऊदी अरब संबंधों पर संक्षिप्त जानकारी

  • राजनीतिक संबंध: दोनों देशों ने 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित किए।
    • 2006 की शाही यात्रा के परिणामस्वरूप दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए, जिसके बाद 2010 में रियाद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए, जिसने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक पहुँचाया।
    • भारतीय प्रधानमंत्री की 2019 की रियाद यात्रा के दौरान रणनीतिक साझेदारी परिषद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने भारत-सऊदी संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए एक उच्च-स्तरीय परिषद की स्थापना की।
  • आर्थिक संबंध: भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है; सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
    • वित्त वर्ष 2023-24 में, द्विपक्षीय व्यापार 42.98 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें भारतीय निर्यात 11.56 अरब अमेरिकी डॉलर और आयात 31.42 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
  • ऊर्जा सहयोग: वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सऊदी अरब भारत का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का स्रोत बना रहा।
    • भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में सऊदी अरब से 33.35 मिलियन मीट्रिक टन कच्चा तेल आयात किया, जो भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 14.3% है।
    • वित्त वर्ष 2023-24 में, सऊदी अरब भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा एलपीजी स्रोत था, जो 2023-24 के लिए भारत के कुल एलपीजी आयात का 18.2% था।
  • भारतीय प्रवासी: 2024 तक, सऊदी अरब में 27 लाख भारतीय थे। यह बांग्लादेश के बाद देश में विदेशी कामगारों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।
  • रक्षा सहयोग: भारत और सऊदी अरब रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता एवं पारस्परिक विकास हासिल करने के लिए रक्षा संबंधों को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
    • विज़न 2030 के तहत, सऊदी अरब एक रक्षा उपभोक्ता से रक्षा उत्पादक बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, जिसका लक्ष्य अपने व्यय का 50% स्थानीयकरण करना है।
    • सऊदी अरब ने एक रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम, म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड से गोला-बारूद के लिए 250 मिलियन डॉलर का अनुबंध किया है।
    • सऊदी अरब ने भारत फोर्ज से 155 मिमी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) खरीदा है।
    • संयुक्त अभ्यास:
      • सदा तनसीक: 2024 में होने वाला प्रथम सैन्य अभ्यास।
      • अल मोहद अल हिंदी: 2022 में शुरू होने वाला द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास।

चिंता के क्षेत्र

  • व्यापार और आर्थिक असंतुलन: व्यापार जगत में सऊदी अरब से कच्चे तेल के आयात का भारी प्रभुत्व है, जिससे भारत को लगातार व्यापार घाटा हो रहा है।
  • क्षेत्रीय भू-राजनीतिक भिन्नताएँ: भारत ईरान, इज़राइल और अमेरिका के साथ संतुलित संबंध बनाए रखता है, जबकि सऊदी अरब के ईरान, इज़राइल एवं अमेरिका के साथ जटिल संबंध हैं।
  • इस्लामी दुनिया में पाकिस्तान की भूमिका: पाकिस्तान प्रायः सऊदी अरब की धारणाओं को प्रभावित करने और ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) के दृष्टिकोण के साथ सामंजस्य बनाने  के लिए अपनी धार्मिक पहचान का प्रयोग करता है।
    • इसके कारण ओआईसी ने भारत की, विशेषकर कश्मीर के मुद्दे पर, आलोचना की है, जिसका ऐतिहासिक रूप से सऊदी अरब और उसके सहयोगियों ने समर्थन किया है।
  • श्रम और प्रवासी चुनौतियाँ: सऊदी अरब में लगभग 20 लाख भारतीय कामगार वेतन संबंधी विवादों और श्रम अधिकारों के उल्लंघन का सामना कर रहे हैं।
    • ‘सऊदीकरण’ नीतियों के कारण अनिश्चितता, जिसका उद्देश्य विदेशी कामगारों की जगह स्थानीय लोगों को लाना है।

आगे की राह

  • रक्षा आयात पर निर्भरता कम करने और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने की साझा आकांक्षा दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है।
  • एआई और साइबर सुरक्षा जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में संयुक्त उद्यम एवं सहयोग रणनीतिक स्वायत्तता को बढ़ा सकते हैं।
  • विज़न 2030 और मेक इन इंडिया के अंतर्गत अपने लक्ष्यों को संरेखित करके, भारत एवं सऊदी अरब वैश्विक रक्षा परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में उभर सकते हैं।

Source: PIB

 

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