पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT सिटी) स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली (Foreign Currency Settlement System – FCSS) का शुभारंभ किया।
परिचय
- उद्देश्य: निपटान समय को अत्यधिक कम करना, तरलता प्रबंधन को बेहतर बनाना, निपटान जोखिम को घटाना और परिचालन दक्षता को बढ़ाना।
- इस प्रणाली की आवश्यकता: वर्तमान में GIFT IFSC में विदेशी मुद्रा लेन-देन को कोरस्पॉन्डेंट बैंकिंग मार्गों के माध्यम से संसाधित किया जाता है।
- इसका अर्थ है कि आरंभिक बैंक को धन भेजने के लिए कई नॉस्ट्रो खाता संबंधों (विदेशी बैंकों में रखे गए खाते) और मध्यस्थों का उपयोग करना पड़ता है।
- यह रिले श्रृंखला 36 से 48 घंटे तक की निपटान देरी का कारण बन सकती है।
- नई प्रणाली के अंतर्गत , GIFT IFSC में कार्यरत भारतीय बैंक भारत में ही विदेशी मुद्राओं में अंतरराष्ट्रीय व्यापारों को सीधे क्लियर और सेटल कर सकते हैं।
- यह नॉस्ट्रो खातों और कोरस्पॉन्डेंट बैंकिंग मार्ग में प्रयुक्त कई मध्यस्थों की आवश्यकता को कम करता है।
विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली (FCSS)
- एक स्थानीय निपटान बैंक (बोली प्रक्रिया के माध्यम से चयनित) निपटान केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
- सदस्य IFSC बैंकिंग इकाइयाँ (IBUs) इस निपटान बैंक में खाते खोलेंगी।
- अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा लेन-देन सीधे इन खातों के माध्यम से सेटल किए जाएंगे, जिससे बहु-स्तरीय नॉस्ट्रो श्रृंखला को बायपास किया जा सकेगा।
- प्रारंभ में यह प्रणाली अमेरिकी डॉलर लेन-देन का समर्थन करेगी, और समय के साथ अन्य विदेशी मुद्राओं को जोड़ने की संभावना है।
- यह प्रणाली भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (PSS Act) के नियामक ढांचे के तहत संचालित होगी तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) द्वारा अधिकृत होगी।
- इसका सॉफ़्टवेयर भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाओं (IFTAS) द्वारा विकसित किया जा रहा है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
महत्व
- तीव्र निपटान: पहले पारंपरिक कोरस्पॉन्डेंट बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से निपटान में 36–48 घंटे लगते थे, जिसमें विदेशी मध्यस्थ शामिल होते थे।
- रीयल टाइम लेन-देन: अब विदेशी मुद्राओं (जैसे USD, यूरो, येन) में लेन-देन भारत में रीयल टाइम या लगभग रीयल टाइम में सेटल किए जा सकते हैं।
- इससे GIFT सिटी को हांगकांग, टोक्यो और मनीला जैसे चुनिंदा वैश्विक वित्तीय केंद्रों की श्रेणी में स्थान मिलता है, जिनके पास विदेशी मुद्रा निपटान के लिए स्थानीय अवसंरचना है।
GIFT सिटी
- GIFT सिटी भारत का प्रथम विशेष आर्थिक क्षेत्र है, जिसे वैश्विक वित्त, बीमा, फिनटेक एवं पूंजी बाजारों से संबंधित संस्थानों की मेज़बानी के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इस परियोजना की कल्पना 2007 में की गई थी और इसे 2015 में स्थापित किया गया।
- इसका उद्देश्य एक ऐसी “शहर के अंदर शहर” बनाना था जहाँ कंपनियाँ विदेशी मुद्राओं में लेन-देन कर सकें, वैश्विक नियमों का पालन कर सकें और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को आकर्षित कर सकें।
- IFSCA, जिसकी स्थापना 2020 में हुई थी, GIFT सिटी के अंदर सभी गतिविधियों को नियंत्रित करता है, जैसे कि सेबी, RBI, IRDAI और PFRDA अपने-अपने क्षेत्रों में करते हैं।
GIFT सिटी की आवश्यकता
- GIFT सिटी से पहले, कई भारतीय कंपनियाँ धन एकत्रण या विदेशी निवेश प्रबंधन के लिए सिंगापुर या मॉरीशस जैसे केंद्रों का उपयोग करती थीं, मुख्यतः वहाँ के अनुकूल कर और नियामक ढांचे के कारण।
- इसके परिणामस्वरूप भारत संभावित राजस्व और वैश्विक वित्तीय प्रभाव खो रहा था।
- GIFT सिटी के पीछे विचार यह था कि उन ऑफशोर गतिविधियों को भारत में लाया जाए, और अंतरराष्ट्रीय मानकों की सुविधा एवं लचीलापन प्रदान करते हुए एक समान पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध कराया जाए।
GIFT सिटी की अब तक की उपलब्धियाँ
- मध्य-2025 तक, यहाँ लगभग 1,000 पंजीकृत संस्थाएँ हैं, जिनमें भारतीय और विदेशी बैंक, बीमा कंपनियाँ, परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियाँ एवं पूंजी बाजार मध्यस्थ शामिल हैं।
- GIFT सिटी भारत की प्रथम विमान और जहाज लीजिंग इकाइयों का भी केंद्र है, जो देश में लीजिंग एवं वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने की सरकारी पहल का परिणाम है।
- कई वैश्विक खिलाड़ी, जिनमें विमान लीजिंग कंपनियाँ, फंड मैनेजर और फिनटेक स्टार्टअप शामिल हैं, ने यहाँ अपने संचालन शुरू किए हैं।
Source: BS
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