पाठ्यक्रम: GS2/शासन
संदर्भ
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में वर्ष 2023 में 4,64,029 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें 1,73,826 लोगों की मृत्यु हुई और 4.47 लाख लोग घायल हुए।
मुख्य निष्कर्ष
- लगभग 46% पीड़ित दोपहिया वाहन चालक थे, जो भारत की यातायात व्यवस्था में मोटरसाइकिल चालकों की असुरक्षा को दर्शाता है।
- राज्यवार प्रवृत्तियाँ:
- तमिलनाडु (11,490 मृत्युएँ) और उत्तर प्रदेश (8,370 मृत्युएँ) ने दोपहिया दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मृत्युएँ दर्ज कीं।
- उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे अधिक मृत्युएँ दर्ज कीं (7,041 मृत्युएँ) और SUV व ट्रकों से होने वाली मृत्युओं में भी शीर्ष पर रहा।
- अन्य उच्च-भार वाले राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश शामिल हैं।
सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण
- तीव्र गति सबसे प्रमुख कारण रहा, जो 58.6% मृत्युओं के लिए उत्तरदायी था।
- खतरनाक/लापरवाह ड्राइविंग और ओवरटेकिंग ने 23.6% योगदान दिया।
- अन्य कारणों में खराब मौसम, शराब/नशीले पदार्थों के प्रभाव में ड्राइविंग, और पशु क्रॉसिंग शामिल हैं, जो 2.8% मृत्युओं का कारण बने।
- खराब सड़क स्थिति जैसे गड्ढे, बिना चिह्नित स्पीड ब्रेकर और संकेतों की कमी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ाते हैं।
- वाहन दोष जैसे ब्रेक फेल होना, टायर फटना और अन्य यांत्रिक समस्याएँ नियंत्रण खोने का कारण बन सकती हैं।
सड़क सुरक्षा के लिए उठाए गए प्रमुख कदम
- वैश्विक उपाय:
- सड़क सुरक्षा एक सार्वजनिक स्वास्थ्य और विकास प्राथमिकता है, जो संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- सितंबर 2020 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सड़क सुरक्षा के लिए कार्य की दशक 2021-2030 की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मृत्युओं और चोटों को कम से कम 50% तक घटाना है।
- भारत द्वारा उठाए गए कदम:
- मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 का कार्यान्वयन। इस अधिनियम में ट्रैफिक उल्लंघनों के लिए जुर्माने में वृद्धि, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, किशोर ड्राइविंग के लिए कड़े दंड शामिल हैं।
- वाहन फिटनेस परीक्षणों का कम्प्यूटरीकरण/स्वचालन, दोषपूर्ण वाहनों की वापसी, तृतीय पक्ष बीमा का सरलीकरण और हिट एंड रन मामलों के लिए मुआवजे में वृद्धि।
- भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (भारत NCAP): यह यात्री कारों के लिए सुरक्षा रेटिंग प्रदान करता है, जिससे उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
प्रमुख समितियाँ और नीति ढाँचे
- सर्वोच्च न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति (SCCoRS) ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार प्रत्येक जिले में जिला सड़क सुरक्षा समितियों के गठन का निर्देश दिया है।
- सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन पर सुंदर समिति (2005);
- इसने एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति बनाने की सिफ़ारिश की, जिसे 2010 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दी।
- इसने सुरक्षा नियमों और प्रवर्तन की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा।
बेहतर सुरक्षा के लिए ध्यान केंद्रित क्षेत्र
- हेलमेट का उपयोग: इसे मोटरसाइकिल चालकों और उनके पीछे बैठने वालों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। सही हेलमेट उपयोग से घातक चोटों के जोखिम में 42% की कमी आ सकती है।
- गति को कम किया जाना चाहिए और शराब पीकर गाड़ी चलाने के प्रति शून्य सहनशीलता होनी चाहिए।
- सड़क अवसंरचना को बेहतर बनाया जाना चाहिए: कई सड़कें सुरक्षित स्थिति में नहीं हैं, हालांकि हाल के वर्षों में सरकारी कार्यक्रमों ने तीव्रता से सुधार किए हैं।
- व्यवहार में बदलाव: सड़क सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर जन जागरूकता अभियान जैसे संयुक्त राष्ट्र का नया वैश्विक अभियान #MakeASafetyStatement, जिसमें अंतरराष्ट्रीय हस्तियाँ शामिल हैं, शुरू किए जाने चाहिए ताकि व्यवहार में परिवर्तन लाया जा सके।
Source: TH
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संशिप्त समाचार 01-10-2025