भारत की विनिर्माण गति: प्रदर्शन और नीति

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) ने जुलाई 2025 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, जिसमें कुल वृद्धि 3.5% और विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष-दर-वर्ष 5.4% की वृद्धि हुई। यह मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र द्वारा संचालित थी, जो बढ़ती मांग और बेहतर क्षमता उपयोग को दर्शाती है।

भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वर्तमान स्थिति 

  • भारत का विनिर्माण निर्यात निरंतर बढ़ रहा है, अप्रैल-अगस्त 2025 में कुल निर्यात 6.18% की वृद्धि के साथ US$ 349.35 बिलियन तक पहुंच गया। 
  • माल निर्यात 2.52% बढ़कर US$ 184.13 बिलियन हो गया। 
  • यह क्षेत्र FY26 तक US$ 1 ट्रिलियन तक पहुंचने की राह पर है और 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष US$ 500 बिलियन जोड़ सकता है।
भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वर्तमान स्थिति 

विकास के इंजन: गतिशील क्षेत्र 

  • इलेक्ट्रॉनिक्स: भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र ने विगत 11 वर्षों में उत्पादन में छह गुना और निर्यात में आठ गुना वृद्धि देखी है।
    • मूल्य संवर्धन 30% से बढ़कर 70% हो गया है, और FY27 तक 90% तक पहुंचने का लक्ष्य है। 
    • मोबाइल निर्माण 2 से बढ़कर 300 इकाइयों तक पहुंच गया, और निर्यात में 127 गुना वृद्धि हुई। 
    • आयात पर निर्भरता 75% से घटकर 0.02% हो गई, जिससे भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन गया।
  • फार्मा: भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग वैश्विक स्तर पर अग्रणी है, मात्रा के हिसाब से तीसरे स्थान पर और उत्पादन मूल्य के हिसाब से 14वें स्थान पर है।
    • यह वैश्विक टीकों की 50% से अधिक मांग और अमेरिका को लगभग 40% जेनेरिक दवाएं आपूर्ति करता है। 
    • यह उद्योग 2030 तक USD 130 बिलियन और 2047 तक US$ 450 बिलियन तक पहुंचने की संभावना रखता है। 
    • यह फार्मा क्षेत्र के लिए PLI योजना (₹15,000 करोड़) और फार्मास्युटिकल उद्योग सुदृढ़ीकरण योजना (SPI) (₹500 करोड़) जैसे नीति समर्थन से सशक्त है।
  • ऑटोमोबाइल: भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग अर्थव्यवस्था का प्रमुख चालक है, जो GDP में 7.1% और विनिर्माण GDP में 49% का योगदान देता है।
    • FY25 में 3.10 करोड़ से अधिक वाहनों का उत्पादन हुआ, जिससे भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माता बन गया, और वैश्विक ऑटो मूल्य श्रृंखला में नेतृत्व की सुदृढ़ संभावना है।
  • टेक्सटाइल: भारत का वस्त्र और परिधान उद्योग, जो वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े उद्योगों में से एक है, GDP में 2.3%, औद्योगिक उत्पादन में 13% एवं निर्यात में 12% का योगदान देता है।
    •  यह क्षेत्र 2030 तक US$ 350 बिलियन तक पहुंचने की संभावना रखता है, जिससे 3.5 करोड़ रोजगार सृजित होंगे। 
    • यह क्षेत्र MSME क्लस्टर्स में मुख्य रूप से कार्यरत 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है। 
    • सरकार ने ₹4,445 करोड़ के वित्तपोषण के साथ सात पीएम मित्रा पार्कों को मंजूरी दी है, जिससे ₹70,000 करोड़ का निवेश आकर्षित होगा और 20 लाख रोजगार सृजित होंगे। 
    • प्रथम पार्क हाल ही में धार, मध्य प्रदेश में खोला गया है।

भारत के विनिर्माण क्षेत्र का महत्व 

  • निरंतर सुधारों, सरल नियमों और स्थिर नीति वातावरण के कारण भारत वैश्विक निवेशकों के लिए शीर्ष गंतव्य बन गया है।
    • महाराष्ट्र ने 39% निवेश प्रवाह के साथ नेतृत्व किया, इसके बाद कर्नाटक और दिल्ली रहे।
      • सिंगापुर, मॉरीशस और अमेरिका शीर्ष FDI स्रोत रहे। 
  • विनिर्माण क्षेत्र आर्थिक विकास का प्रमुख चालक बनता जा रहा है, जो घरेलू मांग को बढ़ा रहा है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका को सुदृढ़ कर रहा है। 
  • भारत में विनिर्माण क्षेत्र अर्ध-कुशल और कुशल श्रमिकों के लिए प्रमुख रोजगार सृजनकर्ता है। 
  • हालिया आंकड़े कार्यबल भागीदारी में वृद्धि दिखाते हैं, विशेष रूप से महिलाओं के बीच, जिसमें कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात 52.2% है और महिला भागीदारी निरंतर बेहतर हो रही है। 
  • बेरोजगारी दर में कमी आई है, जो समावेशी और व्यापक रोजगार वृद्धि को दर्शाती है।

उपाय और नीतियाँ 

  • भारत अपने आगामी विनिर्माण उछाल को विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स, शहरी विकास और उद्यमिता में पूरक नीतियों के माध्यम से संचालित कर रहा है, जो प्रमुख पहलों द्वारा समर्थित हैं जो निवेश, नवाचार एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देती हैं। 
  • GST 2.0 सुधारों ने कर स्लैब को सरल बनाया है और प्रमुख वस्तुओं पर दरों में कमी की गई है, जिससे निर्माताओं एवं उपभोक्ताओं के लिए लागत कम हुई है, MSMEs को समर्थन मिला है, आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता बढ़ी है, तथा ऑटो व टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों को बल मिला है। 
  • राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन (NMM), जो बजट 2025-26 में शुरू किया गया, एक एकीकृत, मंत्रालयों के बीच समन्वित रणनीति प्रदान करता है जो भारत के नेट-ज़ीरो लक्ष्यों के अनुरूप टिकाऊ, क्लीन-टेक औद्योगिक विकास पर केंद्रित है, और भारत की वैश्विक विनिर्माण नेतृत्व को ऊंचा करने का लक्ष्य रखता है। 
  • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना, ₹1.97 लाख करोड़ के आवंटन के साथ, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और सोलर जैसे 14 प्रमुख क्षेत्रों को प्रोत्साहित करती है, जिससे निर्यात अधिशेष, रिकॉर्ड स्मार्टफोन निर्यात, सुदृढ़ निवेश एवं रोजगार सृजन हो रहा है। 
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) का उद्देश्य 2030 तक लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना और दक्षता बढ़ाना है, जो डिजिटल सिस्टम, मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी एवं लॉजिस्टिक्स पार्क जैसी अवसंरचना को एकीकृत करता है, और पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के अनुरूप है। 
  • स्टार्टअप इंडिया ने भारत के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया है, जिसमें 1.91 लाख मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स हैं, जिन्होंने 17.69 लाख से अधिक रोजगार सृजित किए हैं, और नवाचार व आर्थिक विकास को गति दी है। 
  • राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम स्मार्ट औद्योगिक शहरों का निर्माण कर रहा है, जिसमें मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी है, जो विनिर्माण और शहरीकरण को बढ़ावा देता है। 
  • यह ₹28,602 करोड़ के निवेश से नई परियोजनाओं को समर्थन देता है, जिससे भारत की वैश्विक विनिर्माण अपील बढ़ती है। 
  • केंद्रीय बजट 2025–26 ने भारत के विनिर्माण को ₹8,800 करोड़ (US$ 1.1 बिलियन) के पुनर्गठित स्किल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार से 2026 तक समर्थन दिया है। 
  • यह प्रमुख योजनाओं को एकीकृत करता है ताकि एक एकीकृत, उद्योग-संरेखित ढांचा तैयार किया जा सके जो आधुनिक उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मांग-आधारित, तकनीक-सक्षम कार्यबल विकसित करे।

भविष्य की राह

  • भारत 2047 तक $35 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है, जिसमें विनिर्माण को प्रमुख विकास चालक के रूप में देखा जा रहा है। 
  • सुधारों, प्रोत्साहनों और सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखलाओं द्वारा समर्थित यह क्षेत्र सुदृढ़ गति और लचीलापन दिखा रहा है। 
  • PLI योजना, राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन और कौशल विकास जैसी सरकारी पहलें औद्योगिक विकास के लिए स्पष्ट मार्ग प्रदान करती हैं। 
  • जैसे-जैसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं पुनर्गठित हो रही हैं, भारत के पास “विश्व की फैक्ट्री” से नवाचार और नेतृत्व के वैश्विक केंद्र में बदलने का अद्वितीय अवसर है।

Source :PIB

 

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