रेड सी/लाल सागर केबल व्यवधान के मध्य जल के नीचे के क्षेत्र में जागरूकता की आवश्यकता

पाठ्यक्रम: GS3/ आंतरिक सुरक्षा

संदर्भ

  • हाल ही में रेड सी में पनडुब्बी संचार केबलों में आई बाधाओं ने भारत की “अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस” (UDA) को सुदृढ़ करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर किया है। UDA का अर्थ है महासागरों और समुद्रों के नीचे की गतिविधियों की निगरानी, पहचान एवं मूल्यांकन की क्षमता।

भारत के लिए UDA क्यों महत्वपूर्ण है?

  • राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता: चीन की “अंडरवाटर ग्रेट वॉल” परियोजना, जिसमें समुद्री तल सेंसर एवं मानव रहित वाहन शामिल हैं, ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में निगरानी को बढ़ाया है।
    • हिंद महासागर में चीन की बढ़ती पनडुब्बी उपस्थिति भारत की सुरक्षा गणना के लिए खतरा बन रही है।
  • महत्वपूर्ण अवसंरचना की सुरक्षा: पनडुब्बी फाइबर-ऑप्टिक केबल भारत के अधिकांश अंतरराष्ट्रीय डेटा को वहन करती हैं, जिसमें वित्तीय लेन-देन, क्लाउड सेवाएँ और रक्षा संचार शामिल हैं।
    • ये केबल तोड़फोड़, दुर्घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील हैं।
  • समुद्री रणनीति: भारत की 11,098.81 किमी लंबी तटरेखा, 1,382 द्वीप और 2.37 मिलियन वर्ग किमी EEZ उन्नत अंडरवाटर निगरानी की मांग करते हैं।
    • UDA समुद्री मार्गों, चोकपॉइंट्स और तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
  • आर्थिक सुरक्षा: भारत की ब्लू इकोनॉमी के लक्ष्य, अपतटीय ऊर्जा, समुद्री खनन, और समुद्र के नीचे पाइपलाइनों को प्राकृतिक एवं मानव निर्मित व्यवधानों से सुरक्षा की आवश्यकता है।

भारत की पनडुब्बी केबल तकनीकी कमियाँ

  • कानूनी सुरक्षा की कमी: भारत के पास अपनी क्षेत्रीय जल सीमाओं और EEZ में पनडुब्बी केबलों की सुरक्षा के लिए परिभाषित कानूनी तंत्र नहीं है।
    • ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के विपरीत, जहाँ UNCLOS के अंतर्गत “केबल प्रोटेक्शन ज़ोन” निर्धारित हैं, भारत ने ऐसे ज़ोन अभी तक निर्धारित नहीं किए हैं, जिससे केबलें आकस्मिक या दुर्भावनापूर्ण क्षति के प्रति असुरक्षित हैं।
  • संचालनात्मक तैयारी: भारत के पास स्वदेशी केबल मरम्मत जहाजों की कमी है और रखरखाव के लिए विदेशी जहाजों पर निर्भर है।
    • यह कमी केबल क्षति के पश्चात पुनर्स्थापित में महत्वपूर्ण देरी का कारण बनती है।
  • निगरानी की कमी:
    • पनडुब्बी केबल नेटवर्क की वास्तविक समय निगरानी के लिए भारत के पास न्यूनतम अवसंरचना है, जिससे व्यवधानों की समय पर पहचान और प्रतिक्रिया में जोखिम बढ़ता है।

भारत द्वारा उठाए गए कदम

  • डीप ओशन मिशन (DOM) को आगे बढ़ाना: भारत का ₹4,077 करोड़ का DOM मिशन तीव्रता से प्रगति कर रहा है, जिसमें समुद्रयान परियोजना शामिल है।
    • स्वदेशी रूप से निर्मित Matsya-6000 सबमर्सिबल, जो 6,000 मीटर की गहराई तक पहुँचने में सक्षम है, 2027 में मानवयुक्त मिशन के लिए निर्धारित है।
    • हाल ही में 5.5 किमी गहराई तक संचार सक्षम करने वाले अंडरवाटर हाइड्रोफोन का परीक्षण गहरे समुद्री इंजीनियरिंग में एक बड़ी उपलब्धि है।
  • रणनीतिक साझेदारियों का लाभ उठाना: ऑस्ट्रेलिया के साथ उन्नत टोइड-एरे ध्वनिक प्रणालियों पर सहयोग और अमेरिका के साथ स्वायत्त प्रणाली उद्योग गठबंधन (ASIA) के अंतर्गत स्वायत्त अंडरवाटर तकनीकों पर साझेदारी भारत के इंडो-पैसिफिक में सुदृढ़ अंडरवाटर निगरानी के प्रयास को दर्शाती है।
  • स्वदेशी समुद्री अवसंरचना: INS निस्तार का कमीशनिंग, जिसमें 80% स्वदेशी सामग्री है, यह दर्शाता है कि अनुसंधान, अन्वेषण और रक्षा आवश्यकताओं को आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से पूरा किया जा रहा है।
  • संसाधन सुरक्षा और ऊर्जा अन्वेषण: राष्ट्रीय डीप वाटर अन्वेषण मिशन (समुद्र मंथन) का शुभारंभ भारत के विशाल EEZ में अपतटीय तेल और गैस भंडार को लक्षित करके आर्थिक एवं सुरक्षा हितों को एकीकृत करता है।

आगे की राह

  • भारतीय स्वामित्व वाले केबल मरम्मत जहाजों और समर्पित पनडुब्बी रखरखाव बेड़े की स्थापना:
    • इससे विदेशी जहाजों पर निर्भरता कम होगी।
    • वास्तविक समय ध्वनिक और सेंसर ग्रिड में निवेश से व्यवधानों की समय पर पहचान संभव होगी।
  • तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाना:
    • स्वदेशी मानव रहित अंडरवाटर वाहन (UUVs), एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणालियाँ और उन्नत सोनार तकनीकों के विकास को तीव्र किया जाए ताकि क्षमता अंतर को समाप्त किया जा सके।
  • AI-संचालित सोनार डेटा विश्लेषण, सैटेलाइट-लिंक्ड सेंसर और पूर्वानुमान मॉडलिंग को अपनाना:
    • इससे हिंद महासागर क्षेत्र में वास्तविक समय की स्थिति जागरूकता को सुदृढ़ मिलेगी।

Source: ORF

 

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