पाठ्यक्रम :GS2/स्वास्थ्य
समाचार में
- हालिया अध्ययनों के अनुसार, भारत में एंटीबायोटिक दवाओं का अनियंत्रित उपयोग एक छिपा हुआ खतरा बनता जा रहा है, जो आंत-मस्तिष्क अक्ष (gut-brain axis) को बाधित करता है—यह आंत माइक्रोबायोटा और मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।
एंटीबायोटिक्स
- ये ऐसी दवाएँ हैं जो बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं, बैक्टीरिया को मारकर या उनकी वृद्धि को रोककर।
- इन्हें मौखिक रूप से, त्वचा पर लगाने के लिए या इंजेक्शन के माध्यम से लिया जा सकता है। भारत वैश्विक स्तर पर एंटीबायोटिक्स के शीर्ष उपभोक्ताओं में शामिल है।
- विभिन्न प्रणालीगत और व्यवहारिक कारक इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं।
भारत में एंटीबायोटिक के अत्यधिक उपयोग के कारण
- बिना पर्ची के उपलब्धता: ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्रायः एंटीबायोटिक्स बिना डॉक्टर की पर्ची के बेची जाती हैं।
- स्व-चिकित्सा की प्रवृत्ति: जागरूकता की कमी और त्वरित समाधान की चाह के कारण इनका अंधाधुंध उपयोग होता है।
- अनियमित फार्मेसियाँ: कई फार्मेसियाँ कानूनी ढांचे के बाहर संचालित होती हैं और शक्तिशाली दवाएँ बिना निगरानी के वितरित करती हैं।
- आर्थिक प्रोत्साहन: सेवा-के-लिए-शुल्क मॉडल में मरीज की अपेक्षाओं को पूरा करने हेतु अधिक पर्चियाँ लिखी जाती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
- एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) को बढ़ावा देता है और आंत-मस्तिष्क अक्ष को बाधित करता है, जिससे आंत माइक्रोबायोटा में असंतुलन (डिसबायोसिस) उत्पन्न होता है।
- यह असंतुलन मानसिक स्वास्थ्य विकारों जैसे अवसाद, चिंता और संज्ञानात्मक गिरावट से जुड़ता जा रहा है।
- न्यूरोइन्फ्लेमेशन: आंत माइक्रोबायोम प्रमुख न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन, डोपामिन) के उत्पादन में सहायता करता है, और इसका विघटन मस्तिष्क कार्यों को सूजन, प्रतिरक्षा परिवर्तन और लाभकारी चयापचयों की कमी के माध्यम से प्रभावित करता है।
- NIMHANS और AIIMS के शोध इस आंत-मानसिक स्वास्थ्य संबंध को और अधिक प्रमाणित करते हैं।
निष्कर्ष और आगे की राह
- साइकोबायोटिक्स का उभरता क्षेत्र मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स के लाभों को उजागर करता है, फिर भी ग्रामीण भारत में सार्वजनिक जागरूकता कम बनी हुई है जबकि एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग व्यापक है।
- साइकोबायोटिक्स वे प्रोबायोटिक्स हैं जो एक विशेष मात्रा में सेवन करने पर सामान्य आंत बैक्टीरिया के साथ संपर्क के माध्यम से मेज़बान को मानसिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
- अतः एक बहुआयामी रणनीति आवश्यक है—जिसमें सार्वजनिक शिक्षा, नीतिगत सुधार, आंत स्वास्थ्य का नैदानिक एकीकरण, पारंपरिक किण्वित खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना, तथा स्थानीय माइक्रोबायोम अनुसंधान में निवेश शामिल हो।
Source :TH
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