अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप

पाठ्यक्रम: GS1/ भूगोल

संदर्भ

  • हाल ही में अफगानिस्तान में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप में 800 से अधिक लोगों की मृत्यु और 2,000 से अधिक लोग घायल हुए। इसका कारण सतह के पास कम गहराई और कमजोर भवन संरचनाएं थीं।

भूकंप क्या है? 

  • भूकंप पृथ्वी की सतह के अंदर होने वाले कम्पन के कारण उत्पन्न होने वाली हलचल है, जब दो ब्लॉक एक भ्रंश के साथ एक दूसरे के ऊपर से खिसकते हैं।
  • इस अचानक हुई गति से संचित प्रत्यास्थ तनाव ऊर्जा मुक्त होती है, जो भूकंपीय तरंगों के रूप में फैलती है और भूमि कम्पन करती है। 
  • पृथ्वी की सतह के नीचे वह स्थान जहाँ से भूकंप शुरू होता है उसे “हाइपोसेंटर” कहते हैं, और ठीक उसके ऊपर पृथ्वी की सतह पर स्थित स्थान को “एपिसेंटर” कहते हैं। 
  • भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग किया जाता है, जबकि दृश्य क्षति के आधार पर तीव्रता को मर्कल्ली स्केल से मापा जाता है।

अफगानिस्तान में भूकंप के कारण 

  • हिमालय एवं हिंदू कुश पर्वत तथा उनके उपत्यकाएं, जहाँ यह प्रभावित क्षेत्र स्थित है, यूरेशियन और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटों के बीच चल रहे घर्षण के कारण भूकंपीय रूप से सक्रिय हैं।
अफगानिस्तान-में-भूकंप-के-कारण
  • भारतीय प्लेट की उत्तर दिशा में लगभग 5 सेमी प्रति वर्ष की गति से हो रही चाल अत्यधिक दबाव उत्पन्न करती है, जिससे अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तरी भारत में कई भ्रंश रेखाएं बनती हैं। 
  • हालिया भूकंप का एपिसेंटर सतह के बहुत पास, लगभग 8 किमी गहराई पर था, जिससे सतह पर प्रभाव अधिक तीव्र हुआ।
भूकंप

भूकंप का प्रभाव 

  • भूकंप से बड़ी संख्या में जनहानि होती है, विशेषकर इमारतों के गिरने, भूस्खलन, सुनामी और कंपन से लगी अग्नि के कारण। 
  • लोगों का विस्थापन, सामुदायिक संरचनाओं की हानि और मानसिक आघात इसके सामान्य परिणाम हैं। 
  • अफगानिस्तान के मामले में भूकंप कम गहराई पर आया, जिससे भूमि का कंपन और क्षति अधिक हुई। 
  • कमज़ोर निर्माण: ग्रामीण क्षेत्रों में मृदा की ईंटों और पत्थरों से बने भवन, बिना किसी इंजीनियरिंग मानकों के, गिरने की आशंका वाले थे।
भूकंपीय तरंगें 
– भूकंप से उत्पन्न ऊर्जा तरंगें जो पृथ्वी की परतों से होकर गुजरती हैं और भूमि करती है, उन्हें भूकंपीय तरंगें कहते हैं। 
– ये मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं: भूगर्भीय तरंगे और धरातलीय तरंगे। 
1. भूगर्भीय तरंगे: ये तरंगें पृथ्वी के आंतरिक भागों से होकर गुजरती हैं। ये तीव्र होती हैं और भूकंप के दौरान धरातलीय तरंगों से पूर्व पहुँचती हैं।
2. धरातलीय तरंगे पृथ्वी की सतह पर चलती हैं और भूगर्भीय तरंगे की तुलना में धीमी होती हैं, लेकिन इनकी अम्प्लीट्यूड अधिक होने के कारण ये सबसे अधिक हानि करती हैं।
भूगर्भीय तरंगे के प्रकार 
1. P-तरंगे (प्राथमिक तरंगे): ये सबसे तीव्र भूकंपीय तरंगें होती हैं और सर्वप्रथम सिस्मोग्राफ द्वारा दर्ज की जाती हैं। 
(a). ये संपीडन या अनुदैर्ध्य रूप में गति करती हैं। P-तरंगे ठोस, तरल और गैस सभी माध्यमों से गुजर सकती हैं। 
2. S-तरंगे (द्वितीयक तरंगे): ये अनुप्रस्थ रूप में गति करती हैं, जिसमें कण तरंग की दिशा के लंबवत गति करते हैं। 
(a). s-तरंगें केवल ठोस पदार्थों के माध्यम से ही यात्रा कर सकती हैं, क्योंकि द्रव और गैसें अपरूपण प्रतिबल का समर्थन नहीं करती हैं।

Source: DTE

 

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