पाठ्यक्रम: GS2/ शिक्षा
संदर्भ
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के 80वें चरण के अंतर्गत अप्रैल–जून 2025 में किए गए समग्र मॉड्यूलर सर्वेक्षण (CMS: शिक्षा) से यह प्रकटीकरण हुआ है कि निजी स्कूलों में प्रति बच्चे व्यय सरकारी स्कूलों की तुलना में लगभग नौ गुना अधिक है।
सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएँ
- सरकारी स्कूलों में प्रमुख नामांकन: कुल नामांकनों में से 55.9% सरकारी स्कूलों में हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात अधिक है, जहाँ दो-तिहाई (66.0%) छात्र नामांकित हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 30.1% है।

- प्रति छात्र औसत व्यय: वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में स्कूल शिक्षा पर परिवारों द्वारा किया गया औसत व्यय सरकारी स्कूलों में ₹2,863 था, जबकि गैर-सरकारी स्कूलों में यह ₹25,002 था।
- कोर्स फीस भुगतान: केवल 26.7% सरकारी स्कूलों के छात्रों ने कोर्स फीस का भुगतान किया, जबकि गैर-सरकारी स्कूलों में यह आंकड़ा 95.7% था।
- परिवार से वित्तीय सहायता: भारत में 95% छात्रों ने बताया कि उनकी शिक्षा का प्रमुख स्रोत अन्य घरेलू सदस्य हैं।
- निजी कोचिंग की प्रवृत्ति: लगभग एक-तिहाई छात्र (27.0%) वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में निजी कोचिंग ले रहे हैं या ले चुके हैं। यह प्रवृत्ति शहरी क्षेत्रों (30.7%) में ग्रामीण क्षेत्रों (25.5%) की तुलना में अधिक है।
इस प्रवृत्ति के कारण
- ग्रामीण–शहरी अंतर: ग्रामीण परिवार सामर्थ्य के कारण सरकारी स्कूलों पर निर्भर हैं, जबकि शहरी परिवार प्रायः निजी स्कूलों को प्राथमिकता देते हैं।
- गुणवत्ता की धारणा: माता-पिता सामान्यतः बेहतर शिक्षण मानकों, अधोसंरचना और अंग्रेज़ी माध्यम के कारण निजी स्कूलों को पसंद करते हैं।
- अप्रभावी शिक्षण परिणाम: सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता और जवाबदेही की चुनौतियाँ माता-पिता को निजी संस्थानों की ओर प्रेरित करती हैं।
- शैडो एजुकेशन पर निर्भरता: कोचिंग पर बढ़ती निर्भरता कक्षा में प्रभावी शिक्षण की सीमाओं को दर्शाती है।
सरकारी पहल
- समग्र शिक्षा अभियान (SSA): यह पूर्व-प्राथमिक से कक्षा XII तक के स्कूल शिक्षा क्षेत्र के लिए एक समग्र योजना है।
- यह योजना तीन पूर्ववर्ती केंद्र प्रायोजित योजनाओं – सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) – को समाहित करती है।
- PM SHRI स्कूल: आधुनिक अधोसंरचना और शिक्षण पद्धति के साथ 14,500 स्कूलों का विकास आदर्श संस्थानों के रूप में।
- शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009: 6–14 वर्ष के बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा, जिसमें निजी स्कूलों में वंचित वर्गों के लिए 25% आरक्षण।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: बुनियादी साक्षरता, शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल एकीकरण और समान पहुंच पर ध्यान केंद्रित।
- डिजिटल पहल: DIKSHA, SWAYAM और PM e-Vidya जैसे प्लेटफॉर्म संसाधन अंतर को पाटने के लिए।
आगे की राह
- सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार: आधुनिक अधोसंरचना, डिजिटल शिक्षण उपकरण और सतत शिक्षक प्रशिक्षण में निवेश कर सार्वजनिक शिक्षा में विश्वास पुनर्स्थापित करना।
- शिक्षण परिणामों पर ध्यान: नीति का बल नामांकन संख्या से हटाकर साक्षरता, गणना कौशल और उच्च स्तरीय क्षमताओं में सुधार पर देना।
- सस्ती निजी भागीदारी: कम लागत वाले निजी स्कूलों और सार्वजनिक–निजी भागीदारी को गुणवत्ता मानकों के साथ प्रोत्साहित करना।
- ग्रामीण–शहरी अंतर को पाटना: ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के लिए विशेष योजनाएँ, जिनमें डिजिटल कनेक्टिविटी, योग्य शिक्षक और पर्याप्त अधोसंरचना शामिल हों।
- अभिभावक एवं समुदाय की भागीदारी: स्कूल प्रबंधन समितियों और जागरूकता अभियानों को सुदृढ़ कर बुनियादी स्तर पर सरकारी स्कूलों की स्वामित्व भावना विकसित करना।
- डेटा-आधारित शासन: नियमित सर्वेक्षणों को नीति निर्माण में एकीकृत करना ताकि प्रगति की निगरानी और सुधार किया जा सके।
Source: PIB