भारत द्वारा सारनाथ को यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा देने के लिए नामांकित
पाठ्यक्रम: GS1/ इतिहास और संस्कृति
संदर्भ
- भारत ने “प्राचीन बौद्ध स्थल, सारनाथ” शीर्षक वाला एक डोज़ियर यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र को 2025–26 नामांकन चक्र के लिए प्रस्तुत किया है।
सारनाथ के बारे में
- स्थान: यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निकट स्थित है।
- ऐतिहासिक महत्व: सारनाथ वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना प्रथम उपदेश दिया था, जिसे धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त (धर्मचक्र प्रवर्तन सूत्र) के नाम से जाना जाता है। यह घटना बौद्ध संघ (संन्यासी समुदाय) की शुरुआत को चिह्नित करती है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: सारनाथ बोधगया, लुंबिनी और कुशीनगर के साथ चार सबसे पवित्र बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।
- यह बौद्ध शिक्षा और प्रचार का एक प्रमुख केंद्र रहा है, जो प्राचीन अंतरराष्ट्रीय तीर्थ मार्गों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से जुड़ा हुआ है।
- यह मौर्य, कुषाण और गुप्त वास्तुशैली के समन्वय को दर्शाता है।
सारनाथ के प्रमुख स्मारक और संरचनाएँ
- धामेक स्तूप: 500 ईस्वी में बुद्ध के प्रथम उपदेश की स्मृति में निर्मित।
- अशोक स्तंभ: सम्राट अशोक द्वारा स्थापित, जिस पर एक अभिलेख अंकित है; मूल रूप से सिंह शीर्षक से अलंकृत था, जो अब भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है।
- चौखंडी स्तूप: वह स्थान जहाँ बुद्ध ने अपने प्रथम शिष्यों से भेंट की थी, उसकी स्मृति में निर्मित।
- मूलगंध कुटी विहार: महाबोधि सोसाइटी द्वारा निर्मित आधुनिक मंदिर, जिसमें बुद्ध के जीवन को दर्शाने वाली भित्ति चित्र हैं।
- सारनाथ पुरातात्विक संग्रहालय: महत्वपूर्ण पुरावशेषों का संग्रह करता है, जिसमें अशोक का मूल सिंह शीर्ष भी शामिल है।
Source: DC
परीक्षा पे चर्चा 2025 को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित
पाठ्यक्रम: GS2/ शासन
संदर्भ
- प्रधानमंत्री की प्रमुख पहल ‘परीक्षा पे चर्चा’ (PPC) ने “एक महीने में नागरिक सहभागिता मंच पर सबसे अधिक लोगों के पंजीकरण” का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। 2025 में इसके 8वें संस्करण के दौरान MyGov मंच पर 3.53 करोड़ से अधिक पंजीकरण हुए।
परीक्षा पे चर्चा (PPC) के बारे में
- 2018 में शुरू किया गया, PPC एक वार्षिक कार्यक्रम है जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोर्ड परीक्षाओं से पहले छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ वार्ता करते हैं।
- इसका आयोजन शिक्षा मंत्रालय द्वारा भारत सरकार के नागरिक सहभागिता मंच, MyGov के सहयोग से किया जाता है।
- यह कार्यक्रम ‘एग्जाम वॉरियर्स’ पहल के अंतर्गत व्यापक आंदोलन का भाग है, जिसका उद्देश्य परीक्षा के तनाव को कम करना और समग्र शिक्षा को बढ़ावा देना है।
Source: AIR
रूस द्वारा मध्यम दूरी की परमाणु शक्ति (INF) संधि से अपना नाम वापस
पाठ्यक्रम :GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार में
- रूस ने मध्यम दूरी की परमाणु शक्ति (INF) संधि से आधिकारिक रूप से स्वयं को अलग कर लिया है।
मध्यम दूरी की परमाणु शक्ति संधि (INF)
- INF संधि पर दिसंबर 1987 में संयुक्त राज्य अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ ने हस्ताक्षर किए थे तथा 1 जून 1988 को लागू हुई थी।
- इसके अंतर्गत दोनों देशों को 1 जून 1991 की कार्यान्वयन समय सीमा तक अपनी भूमि से प्रक्षेपित की जाने वाली बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों को समाप्त करना था, जो 500 से 5,500 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती थीं।
- यह संधि दशकों तक यूरो-अटलांटिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण रही और इसने 1980 के दशक में यूरोप के लिए ख़तरा बने परमाणु हथियारों की एक पूरी श्रेणी को समाप्त कर दिया।
| क्या आप जानते हैं? – रूस ने विशेष रूप से फिलीपींस में अमेरिका की टाइफ़ोन मिसाइल प्रणाली की तैनाती और ऑस्ट्रेलिया में मिसाइल अभ्यास को अस्थिरता उत्पन्न करने वाले कदम बताया। – अमेरिका 2019 में ही रूस पर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इस संधि से अलग हो चुका था, जिसका रूस ने खंडन करते हुए दावा किया था कि अमेरिका प्रतिबंधित मिसाइल प्रणालियाँ विकसित कर रहा है। – यह नवीनतम कदम रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है, विशेष रूप से राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने की घोषणा के पश्चात् । |
Source :Air
पैन 2.0 परियोजना
पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
समाचार
- आयकर विभाग ने पैन 2.0 परियोजना के लिए मध्यम आकार की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी LTIMindtree लिमिटेड का चयन किया है।
पैन 2.0 परियोजना के बारे में
- “पैन 2.0 परियोजना” भारतीय आयकर विभाग द्वारा एक प्रमुख ई-गवर्नेंस पहल है, जिसे स्थायी खाता संख्या (PAN) प्रणाली के आधुनिकीकरण और संवर्धन के लिए शुरू किया गया है। इस परियोजना को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 25 नवंबर, 2024 को मंजूरी दी थी।
- इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य सभी पैन और कर कटौती एवं संग्रहण खाता संख्या से संबंधित सेवाओं को एकीकृत करना है—जो वर्तमान में ई-फाइलिंग पोर्टल, UTIITSL और प्रोटीन ई-गवर्नेंस जैसे विभिन्न पोर्टलों पर उपलब्ध हैं—एक एकल, एकीकृत ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर।
- पैन 2.0 को नए पैन आवंटन, अद्यतन और सुधार सहित सभी सेवाओं के लिए पूरी तरह से कागज़ रहित, प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली के रूप में डिज़ाइन किया गया है।
- यह परियोजना संवेदनशील करदाता जानकारी की सुरक्षा के लिए “पैन डेटा वॉल्ट सिस्टम” बनाएगी और पैन कार्ड पर गतिशील क्यूआर कोड सहित उन्नत सुरक्षा उपाय लागू करेगी।
Source: LM
CISF की संख्या में वृद्धि के लिए केंद्रीय मंजूरी
पाठ्यक्रम :GS3/सुरक्षा एजेंसियां
समाचार में
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में भविष्य के औद्योगिक केंद्रों की संभावना को देखते हुए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF ) के लिए 58,000 अतिरिक्त कर्मियों की भर्ती को मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF)
- यह CISF अधिनियम, 1968 के अंतर्गत स्थापित संघ का एक सशस्त्र बल है।
- इसका गठन 1969 में 3,129 कर्मियों के साथ हुआ था और 1 अप्रैल, 2025 तक इसके कर्मियों की संख्या बढ़कर 1.88 लाख हो गई है।
- CISF में 12 रिजर्व बटालियन और 8 प्रशिक्षण संस्थान जैसी 74 अन्य इकाइयाँ शामिल हैं।
- CISF एकमात्र ऐसा बल है जिसके पास एक अनुकूलित और समर्पित अग्निशमन विंग है।
अधिकार
- CISF का कार्य परिसर, कर्मचारियों, संपत्ति और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा से संबंधित है।
- यह अंतरिक्ष विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग, हवाई अड्डों, दिल्ली मेट्रो, बंदरगाहों, ऐतिहासिक स्मारकों एवं पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, बिजली, कोयला, इस्पात और खनन जैसे क्षेत्रों सहित रणनीतिक तथा महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा करता है।
- यह कुछ निजी क्षेत्र की इकाइयों, दिल्ली में प्रमुख सरकारी भवनों और Z+, Z, X और Y श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले वीआईपी व्यक्तियों की भी सुरक्षा करता है।
Source :TH
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदूषण बोर्डों को पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की अनुमति
पाठ्यक्रम :GS3/पर्यावरण
समाचार में
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगा सकते हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
- दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने उच्च न्यायालय के उस निर्णय को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि उसे जल अधिनियम, 1974 की धारा 33A और वायु अधिनियम, 1981 की धारा 31A के अंतर्गत क्षतिपूर्ति लगाने का अधिकार नहीं है।
- उच्च न्यायालय ने माना कि ऐसी क्षतिपूर्ति दंड के समान है, और इसलिए इसे केवल संबंधित अधिनियमों के अध्याय VII एवं VI में वर्णित विशिष्ट प्रक्रियाओं के माध्यम से ही लागू किया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय की हालिया टिप्पणियाँ
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को जल अधिनियम की धारा 33A और वायु अधिनियम की धारा 31A के अंतर्गत पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाने और प्रदूषकों से बैंक गारंटी मांगने का कानूनी अधिकार है, जो एक निवारक (पूर्व-प्रभावी) उपाय है।
- न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि ये कार्यवाही दंडात्मक नहीं बल्कि उपचारात्मक हैं, और इन्हें निष्पक्ष, पारदर्शी एवं गैर-मनमाने ढंग से लागू किया जाना चाहिए।
- न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी क्षतिपूर्ति उन दंडों से भिन्न है जैसे जुर्माना या कारावास, जो अधिनियमों के अन्य अध्यायों में वर्णित हैं।
- इस निर्णय में “प्रदूषक भुगतान करे” सिद्धांत को अपनाया गया, जिसमें कहा गया कि क्षतिपूर्ति लगाने के लिए वास्तविक पर्यावरणीय क्षति आवश्यक नहीं है—हानि की संभावना ही पर्याप्त है।
| केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) – यह एक वैधानिक संगठन है, जिसकी स्थापना सितंबर 1974 में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत की गई थी। – इसके अतिरिक्त, CPCB को वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत अधिकार और कार्य सौंपे गए। – यह पर्यावरण और वन मंत्रालय को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत तकनीकी सेवाएं प्रदान करता है। – CPCB का प्रमुख कार्य विभिन्न राज्यों के क्षेत्रों में जल प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और न्यूनीकरण द्वारा नदियों एवं कुओं की स्वच्छता को बढ़ावा देना है, तथा देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार करना तथा वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण या न्यूनीकरण करना है। – CPCB सभी केंद्र शासित प्रदेशों के लिए राज्य बोर्ड के रूप में कार्य करता है तथा दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) के संबंध में अपने सभी अधिकार और कार्य दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को सौंप चुका है। |
Source :TH
एशियाई विशालकाय कछुआ
पाठ्यक्रम: GS3/समाचार में प्रजातियाँ
संदर्भ
- एशियाई विशालकाय कछुआ, मुख्य भूमि एशिया का सबसे बड़ा कछुआ, नागालैंड के ज़ेलियांग सामुदायिक अभ्यारण्य में पुनः लाया गया है।
- एशियाई विशालकाय कछुओं को जंगलों का छोटा हाथी भी कहा जाता है।
- ये वन भूमि को स्वच्छ रखने के लिए सफाई करने के अतिरिक्त, बीज प्रसार और वन पुनर्जनन में भी सहायता करते हैं।
- आवास: उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय पर्वतीय सदाबहार वन।
- वितरण: पूर्वोत्तर भारत (विशेषकर अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, असम) में पाया जाता है।
- म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, बांग्लादेश और इंडोनेशिया में भी पाया जाता है।

- खतरे:
- आवास विनाश;
- स्थानीय उपभोग के लिए संग्रहण;
- पालतू और खाद्य व्यापार के लिए संग्रहण।
- संरक्षण प्रयास:
- बंदी प्रजनन और आश्वासन बस्तियाँ;
- पुनर्स्थापन प्रयास;
- क्षेत्र सर्वेक्षण।
- IUCN स्थिति: गंभीर रूप से संकटग्रस्त।
Source: TH
राइसोटोप परियोजना
पाठ्यक्रम: GS3/संरक्षण
संदर्भ
- दक्षिण अफ्रीका की एक विश्वविद्यालय ने एक अद्वितीय प्रकार से एक एंटी-पॉचिंग अभियान शुरू किया – गैंडे के सींगों में रेडियोधर्मी समस्थानिक (रेडियोआइसोटोप्स) का इंजेक्शन देकर।
परिचय
- राइज़ोटोप प्रोजेक्ट: विटवाटरसरैंड विश्वविद्यालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सहयोग से राइज़ोटोप प्रोजेक्ट औपचारिक रूप से शुरू किया गया।
- पांच गैंडों को दक्षिण अफ्रीका के वाटरबर्ग बायोस्फीयर रिज़र्व में रेडियोधर्मी समस्थानिक इंजेक्शन दिए गए।
- आवश्यकता : दक्षिण अफ्रीका, जो विश्व की सबसे बड़ी गैंडे की जनसंख्या का आवास है, ने विगत दशक में 10,000 से अधिक गैंडों को शिकारियों के हाथों खो दिया।
- विधि :रेडियोधर्मी समस्थानिक या रेडियोआइसोटोप्स किसी तत्व का अस्थिर रूप होता है जो विकिरण उत्सर्जित करता है ताकि वह अधिक स्थिर रूप में परिवर्तित हो सके।
- यह विकिरण ट्रेस किया जा सकता है और सामान्यतः जिस पदार्थ पर यह पड़ता है उसमें परिवर्तन करता है।
- गैंडे के सींगों को एक गैर-आक्रामक विधि से कम मात्रा के रेडियोधर्मी समस्थानिक से टैग किया जाता है, जिससे उन्हें सीमा, बंदरगाह और हवाई अड्डों पर रेडिएशन मॉनिटर्स द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है।
- महत्त्व: यह विधि गैंडों के लिए हानिरहित है और सीमा शुल्क एजेंटों को तस्करी किए गए सींगों का पता लगाने में सक्षम बनाती है।
Source: IE
अग्निशोध
पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
संदर्भ
- भारतीय सेना ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास के सहयोग ‘अग्निशोध’ – भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ (IARC) की स्थापना IIT मद्रास परिसर में की है।
परिचय
- यह पहल भारतीय सेना के व्यापक परिवर्तन ढांचे का भाग है, जो सेना प्रमुख (COAS) द्वारा प्रस्तुत परिवर्तन के पाँच स्तंभों द्वारा निर्देशित है।
- परिवर्तन के पाँच स्तंभों में तकनीकी समावेशन, संरचनात्मक परिवर्तन, मानव संसाधन विकास और तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाना शामिल है।
- ‘अग्निशोध’ विशेष रूप से इन स्तंभों में से एक – आधुनिकीकरण और तकनीकी समावेशन – को आगे बढ़ाता है।
- नया अनुसंधान केंद्र IIT मद्रास रिसर्च पार्क और उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी विकास केंद्र (AMTDC) जैसे संस्थानों के साथ सहयोग करेगा, जिसका उद्देश्य प्रयोगशाला स्तर की नवाचारों को तैनाती योग्य तकनीकों में बदलना है।
- यह सैन्य कर्मियों को उभरते क्षेत्रों में कौशल विकसित करने में भी सहायता करेगा, जिनमें एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस संचार और मानव रहित हवाई प्रणालियाँ शामिल हैं।
Source: AIR
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