नासा-इसरो निसार उपग्रह

पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी

संदर्भ 

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी एमके-II रॉकेट के जरिए निसार उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा।

निसार उपग्रह

  • निसार एक पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह है जिसका संक्षिप्त नाम नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार है।
  • इसे राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 2014 में हस्ताक्षरित एक साझेदारी समझौते के अंतर्गत संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
  • इसे 747 किलोमीटर की ऊँचाई और 98.4º के झुकाव पर एक ध्रुवीय सूर्य-समकालिक प्रातः-सायं कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा।
  • निसार एल-बैंड और एस-बैंड नामक दो माइक्रोवेव बैंडविड्थ क्षेत्रों में रडार डेटा एकत्र करने वाला पहला उपग्रह मिशन है।
    • एस-बैंड पेलोड इसरो द्वारा और एल-बैंड पेलोड अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा बनाया गया है।

पृथ्वी की सतह की निगरानी

  • निसार प्रणाली में एक दोहरी आवृत्ति, पूर्णतः ध्रुवमितीय रडार शामिल है, जिसका इमेजिंग क्षेत्र 150 मील (240 किमी) से अधिक है।
  • यह डिज़ाइन प्रत्येक 12 दिनों में संपूर्ण वैश्विक कवरेज की अनुमति देता है, जिससे शोधकर्ता समय-श्रृंखला इंटरफेरोमेट्रिक इमेजरी बना सकते हैं और पृथ्वी की बदलती सतह का व्यवस्थित रूप से मानचित्रण कर सकते हैं।
    • यह बहुत उच्च रिज़ॉल्यूशन में विभिन्न पहलुओं की निगरानी कर सकता है।
  • 90 दिनों की कमीशनिंग अवधि के बाद, मिशन नासा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एल-बैंड रडार के साथ कम से कम तीन पूर्ण वर्षों तक वैज्ञानिक संचालन करेगा।
    • इसरो को एस-बैंड रडार के साथ पाँच वर्षों तक संचालन की आवश्यकता है।

NISAR कैसे कार्य करता है?

  • NISAR दो प्रकार के सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) प्रणालियों को जोड़ता है:
    • L-बैंड SAR (1.257 GHz) लंबी-तरंगदैर्ध्य वाली रेडियो तरंगों का उपयोग करता है जो घनी वनस्पतियों और यहाँ तक कि मृदा में भी प्रवेश कर सकती हैं, जिससे यह जंगलों के नीचे भूमि के विरूपण का अवलोकन करने के लिए आदर्श है।
    • S-बैंड SAR (3.2 GHz) छोटी-तरंगदैर्ध्य वाली रेडियो तरंगों का उपयोग करता है जो फसलों, जल सतहों और शहरी बुनियादी ढाँचे जैसी सतही बारीकियों का पता लगाने में अधिक प्रभावी हैं।
  • उपग्रह पोलरिमेट्रिक रडार तकनीक का भी उपयोग करता है, जिसमें क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों ध्रुवीकरणों में रडार सिग्नल भेजना और प्राप्त करना शामिल है।
    • उपग्रह संचालन और कमांडिंग का प्रबंधन इसरो द्वारा किया जाएगा, जबकि नासा कक्षा संचालन योजना और रडार संचालन योजना प्रदान करेगा।
NISAR कैसे कार्य करता है

मिशन के उद्देश्य

  • निसार टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों को सटीक रूप से माप सकता है। इसलिए, इस उपग्रह से भूवैज्ञानिक, कृषि और जल-संबंधी अनेक अवलोकन प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • यह जल-तनाव, जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दों, पैटर्न के माध्यम से कृषि परिवर्तन, उपज, मरुस्थलीकरण और महाद्वीपीय गतिविधियों का वार्षिक जल चक्र गतिविधियों के संदर्भ में सटीक अध्ययन कर सकता है।
  • निसार का डेटा विश्व भर के लोगों को प्राकृतिक संसाधनों और खतरों के बेहतर प्रबंधन में सहायता कर सकता है, साथ ही वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और गति को बेहतर ढंग से समझने के लिए जानकारी भी प्रदान कर सकता है।

Source: TH

 

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