पाठ्यक्रम :GS2/शासन
समाचार में
- कविंदर गुप्ता (पूर्व उपमुख्यमंत्री, जम्मू और कश्मीर) को लद्दाख का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। उन्होंने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बी.डी. मिश्रा का स्थान लिया है।
| अन्य संबंधित नियुक्तियाँ – पुसपति अशोक गजपति राजू, वरिष्ठ टीडीपी नेता और पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री, को गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। उन्होंने पी.एस. श्रीधरन पिल्लै का स्थान लिया। – असीम कुमार घोष, पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ भाजपा नेता, को हरियाणा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। उन्होंने बंडारू दत्तात्रेय का स्थान लिया। |
राज्यपाल : नियुक्ति और पात्रता
- राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच सेतु का कार्य करता है।
- अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होगा; एक ही व्यक्ति एक से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।

- अनुच्छेद 155: राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा उनके हस्ताक्षर और मुहर के तहत की जाती है।
- अनुच्छेद 156: राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर रहते हैं, हालांकि सामान्यतः उनका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है।
- पात्रता (अनुच्छेद 157 और 158):
- भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है।
- आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
- संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए।
- कोई अन्य लाभ का पद नहीं धारण करना चाहिए।
शक्ति और कार्य
- कार्यपालिका शक्तियाँ (अनुच्छेद 154)
- राज्य की कार्यपालिका शक्तियाँ राज्यपाल में निहित होती हैं और संविधान के अनुसार प्रयोग की जाती हैं।
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति करते हैं, और उनके परामर्श पर मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों की नियुक्ति तथा विभागों का आवंटन करते हैं।
- राज्य के महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करते हैं।
- अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं।
- विधायी शक्तियाँ
- राज्यपाल राज्य विधानमंडल का अभिन्न अंग होते हैं।
- अनुच्छेद 174: विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने या भंग करने की शक्ति।
- अनुच्छेद 175: सदन को संबोधित करने या संदेश भेजने की शक्ति।
- अनुच्छेद 176: प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र या आम चुनाव के बाद विशेष अभिभाषण देना अनिवार्य।
- किसी भी विधेयक को कानून बनने के लिए राज्यपाल की सहमति आवश्यक होती है।
- वे विधेयक को स्वीकृति दे सकते हैं, रोक सकते हैं, पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं या राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख सकते हैं।
- विधानसभा के अवकाश के दौरान, राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकते हैं, जिन्हें विधानसभा के पुनः सत्र शुरू होने के छह सप्ताह के अंदर अनुमोदित करना आवश्यक होता है।
- वित्तीय शक्तियाँ
- राज्य में कोई धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व अनुमति के बिना प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
- वार्षिक और अनुपूरक बजट राज्यपाल के नाम पर प्रस्तुत किए जाते हैं।
- राज्यपाल राज्य आकस्मिक निधि का नियंत्रण रखते हैं।
- न्यायिक शक्तियाँ (अनुच्छेद 161)
- राज्यपाल को क्षमा, दंडविराम, दंडस्थगन, दंडमुक्ति देने या सजा को निलंबित, कम या परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त है, बशर्ते वह राज्य की कार्यपालिका शक्तियों से संबंधित कानूनों के अंतर्गत हो।
Source :TH
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