पाठ्यक्रम :GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
समाचार में
- भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से छात्रों से हैम रेडियो के माध्यम से संवाद किया। यह संवाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से हुआ और इसका उद्देश्य छात्रों को विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति प्रेरित करना था।
हैम रेडियो क्या है?
- हैम रेडियो को अमैच्योर रेडियो के नाम से भी जाना जाता है।
- यह एक लाइसेंस प्राप्त रेडियो सेवा है जो रेडियो तरंगों के माध्यम से संचार स्थापित करती है।
- इसका उपयोग मुख्यतः शैक्षिक उद्देश्यों, आपातकालीन संचार और तकनीकी प्रशिक्षण के लिए किया जाता है।
- इसमें एक ट्रांससीवर, एंटीना, और निर्धारित फ्रीक्वेंसी का उपयोग कर दो लाइसेंस प्राप्त ऑपरेटरों के बीच संवाद स्थापित किया जाता है।
- संचार स्थानीय, वैश्विक, और अंतरिक्ष आधारित हो सकता है।
- भारत में 12 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति हैम रेडियो चला सकता है, बशर्ते उसके पास वैध लाइसेंस हो।
- यह लाइसेंस इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है।
अंतरिक्ष में हैम रेडियो का उपयोग
- हैम रेडियो का प्रथम बार 1983 में स्पेस शटल पर उपयोग हुआ था, जब अंतरिक्ष और पृथ्वी के बीच संवाद स्थापित किया गया था।
- ISS पर ARISS (Amateur Radio on the International Space Station) नामक प्रणाली है, जो छात्रों और अंतरिक्ष यात्रियों के बीच संवाद को संभव बनाती है।
- यह परियोजना अमेरिका, रूस, कनाडा, जापान एवं यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियों और हैम रेडियो संगठनों द्वारा समर्थित है।
- डॉकिंग जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों के दौरान रेडियो को बंद कर दिया जाता है ताकि कोई हस्तक्षेप न हो।
Axiom-4 मिशन में हैम रेडियो का उपयोग
- Axiom-4 मिशन के दौरान भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री अपने-अपने देशों से दो बार संवाद करेंगे।
- यह संवाद तब होगा जब ISS पृथ्वी के क्षितिज के ऊपर से गुजरेगा — 5 से 8 मिनट की छोटी खिड़की में।
- शुभांशु शुक्ला ने 4 जुलाई को 3:47 बजे IST पर भारत के छात्रों से संवाद किया।
- यह संपर्क K6DUE टेलीब्रिज स्टेशन (मैरीलैंड, USA) के माध्यम से UR राव सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरु से स्थापित किया गया था3।
महत्व और उपयोगिता
- हैम रेडियो एक विश्वसनीय और स्थिर संचार माध्यम है, विशेष रूप से आपात स्थितियों में।
- जब पारंपरिक संचार प्रणाली (जैसे मोबाइल नेटवर्क) विफल हो जाती हैं, तब हैम रेडियो जीवन रक्षक बन जाता है।
- भारत में यह तकनीक 2001 के भुज भूकंप, 2004 की सुनामी, और 2013 की उत्तराखंड बाढ़ जैसी आपदाओं में उपयोग की गई थी4।
STEM शिक्षा में योगदान
- यह संवाद कार्यक्रम ARISS के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के प्रति प्रेरित करना है।
- यह कार्यक्रम छात्रों को सीधे अंतरिक्ष यात्रियों से संवाद करने का अवसर देता है, जिससे वे अंतरिक्ष विज्ञान को वास्तविक रूप में समझ पाते हैं
Source :IE
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संक्षिप्त समाचार 05-07-2025