पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- भारत सरकार ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया है कि वह अमेरिका से आयातित उत्पादों पर लगभग 724 मिलियन डॉलर के प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाने का प्रस्ताव रख रही है।
परिचय
- यह कदम अमेरिका द्वारा 3 मई 2025 से भारत से आयातित यात्री वाहनों, हल्के ट्रकों और कुछ ऑटो पार्ट्स पर 25% एड वेलोरम शुल्क लगाने के निर्णय के बाद उठाया गया है।
- भारत ने प्रस्तावित किया है कि वह अमेरिका से आने वाले चयनित उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर WTO के अंतर्गत दी गई व्यापार रियायतों को निलंबित करेगा।
अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क की पृष्ठभूमि
- ये शुल्क 2018 में राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर स्टील (25%) और एल्युमिनियम (10%) पर लगाए गए थे।
- 2025 में ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका ने देश-विशिष्ट और उत्पाद-विशिष्ट छूटों को समाप्त कर दिया, जिससे भारत सीधे प्रभावित हुआ।
- अमेरिका ने भारत के साथ परामर्श करने से मना कर दिया, यह कहते हुए कि ये “राष्ट्रीय सुरक्षा उपाय” हैं, न कि WTO के “सुरक्षा उपाय” (safeguards)।
WTO का सुरक्षा उपाय समझौता
- अनुच्छेद 12.3: कोई भी देश यदि सुरक्षा उपाय लागू करना चाहता है, तो उसे पहले प्रभावित सदस्य देशों से परामर्श करना आवश्यक है।
- अनुच्छेद 12.5: यदि कोई सदस्य बिना परामर्श के सुरक्षा उपाय लागू करता है, तो दूसरा सदस्य देश रियायतें निलंबित करने की मंशा WTO को सूचित कर सकता है।
भारत की स्थिति
- भारत का कहना है कि अमेरिका द्वारा उठाए गए कदम GATT 1994 और WTO के सुरक्षा उपाय समझौते के अनुरूप नहीं हैं।
- चूंकि अमेरिका ने अनिवार्य परामर्श नहीं किया, इसलिए भारत को प्रतिशोधात्मक कार्रवाई का अधिकार है।
- भारत ने कहा कि वह अपने व्यापार पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव के बराबर रियायतें निलंबित करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
- भारत WTO के माल व्यापार परिषद और सुरक्षा समिति को अपनी कार्रवाई की जानकारी देगा।
संभावित प्रभाव
- द्विपक्षीय व्यापार: अमेरिका के इस कदम से प्रभावित व्यापार का अनुमानित मूल्य $2.9 बिलियन है।
- भारत $723.75 मिलियन की प्रतिपूर्ति प्रतिशोधात्मक शुल्कों के माध्यम से करना चाहता है।
- व्यापार समझौता: यह अधिसूचना ऐसे समय आई है जब भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत अंतिम चरण में है।
- विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत की सौदेबाज़ी की ताकत को बढ़ाने का प्रयास हो सकता है, खासकर जब भारत अमेरिका से इन शुल्कों को हटाने की मांग कर रहा है।
- WTO नियम और सुधार: यह विवाद इस व्यापक परिचर्चा को भी शुरू करता है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लगाए गए शुल्क वास्तव में WTO के सुरक्षा उपायों के अंतर्गत आते हैं या नहीं।
निष्कर्ष
- यह प्रस्ताव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।
- विशेषज्ञों का मानना है कि WTO को दी गई भारत की अधिसूचना एक कानूनी और रणनीतिक कदम है, जो यह संकेत देती है कि भारत अमेरिका के ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर लगाए गए शुल्कों के खिलाफ सख्त दृष्टिकोण अपनाने को तैयार है
Source: TH
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