अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS)
पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार में
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) की 2025-2028 कार्यकाल की अध्यक्षता जीत ली है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS)
- यह वैश्विक संघ है, जिसमें 31 सदस्य देश, 20 राष्ट्रीय शाखाएँ और 15 अकादमिक अनुसंधान केंद्र शामिल हैं, जो लोक प्रशासन के वैज्ञानिक अनुसंधान में सहयोग करते हैं।
- प्रमुख सदस्य देशों में भारत, जापान, चीन, जर्मनी, इटली, कोरिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, स्विट्जरलैंड, मैक्सिको, स्पेन, कतर, मोरक्को और इंडोनेशिया आदि शामिल हैं।
- भारत 1998 से IIAS का सदस्य रहा है और इसे प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाता है।
- हालाँकि यह संयुक्त राष्ट्र (UN) से आधिकारिक रूप से संबद्ध निकाय नहीं है, फिर भी यह लोक प्रशासन के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
- यह संयुक्त राष्ट्र के साथ घनिष्ठ कार्य संबंध बनाए रखता है और संयुक्त राष्ट्र लोक प्रशासन विशेषज्ञ समिति (CEPA) और संयुक्त राष्ट्र लोक प्रशासन नेटवर्क (UNPAN) में भाग लेता है।
Source :TH
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)
पाठ्यक्रम :GS 2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार में
- मध्य पूर्व में जारी संकट भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) की पूर्णता में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)
- IMEC को भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान 2023 में लॉन्च किया गया था।
- यह एक प्रस्तावित गलियारा है, जो समुद्री, रेल और सड़क नेटवर्क के माध्यम से भारत को खाड़ी क्षेत्र से और खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ता है।
- इसका उद्देश्य भारत, यूरोप और मध्य पूर्व को यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन, इज़राइल और यूरोपीय संघ के माध्यम से एकीकृत करना है।
महत्त्व
- यह भारत की समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने और यूरोप और एशिया के बीच वस्तुओं की तेज़ आवाजाही में योगदान कर सकता है।
- यह लॉजिस्टिक्स लागत को 30% तक और परिवहन समय को 40% तक कम कर सकता है।
Source :TH
संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद् (ECOSOC)
पाठ्यक्रम: GS 2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार में
- हाल ही में भारत को संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद् (ECOSOC) के लिए 2026-28 अवधि के लिए निर्वाचित किया गया है।
आर्थिक और सामाजिक परिषद् (ECOSOC) के बारे में
- 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा स्थापित किया गया था और यह संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है।
- यह संयुक्त राष्ट्र का मुख्य निकाय है, जो आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर नीतियों के समन्वय और समीक्षा के लिए कार्य करता है तथा वैश्विक विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
- यह इन क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की गतिविधियों के लिए केंद्रीय मंच के रूप में कार्य करता है, सहायक एवं विशेषज्ञ निकायों की निगरानी करता है तथा स्थायी विकास पर परिचर्चा और नवाचार को बढ़ावा देता है।
- इसमें 54 सदस्य होते हैं, जिन्हें महासभा द्वारा तीन वर्ष की आच्छादित अवधि के लिए चुना जाता है।
Source :AIR
राष्ट्रीय पोलियो निगरानी नेटवर्क(NPSN)
पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
संदर्भ
- भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिलकर राष्ट्रीय पोलियो निगरानी नेटवर्क (NPSN) को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे इसकी इकाइयों की संख्या 2024-25 में 280 से घटकर 2026-27 में 140 हो जाएगी।
राष्ट्रीय पोलियो निगरानी नेटवर्क (NPSN)
- 1997 में WHO द्वारा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के समन्वय में स्थापित किया गया।
- यह राष्ट्रव्यापी निगरानी प्रणाली है, जिसमें 200 से अधिक क्षेत्रीय निगरानी इकाइयाँ शामिल हैं।
- इसने भारत को 2014 में पोलियो मुक्त घोषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इसके बाद इसने खसरा, रुबेला, डिप्थीरिया, काली खाँसी और टेटनस (DPT) की निगरानी को भी अपने दायरे में शामिल किया।
| पोलियो क्या है? – पोलियो (पोलियोमाइलाइटिस) अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो पोलियोवायरस के कारण होती है। – यह मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है और इससे लकवा, विकलांगता या यहाँ तक कि मृत्यु तक हो सकती है। – पोलियो मुख्य रूप से मल-मुख मार्ग से फैलता है। – यह खाँसी या छींक के माध्यम से श्वसन बूंदों से भी फैल सकता है। – पोलियो का कोई इलाज नहीं है, इसे केवल टीकों के माध्यम से रोका जा सकता है। – तीन प्रकार के जंगली पोलियोवायरस (WPV) हैं: टाइप 1, टाइप 2 और टाइप 3। पोलियो उन्मूलन की स्थिति – उन्मूलन: टाइप 2 जंगली पोलियोवायरस को सितंबर 2015 में और टाइप 3 जंगली पोलियोवायरस को अक्टूबर 2019 में उन्मूलित घोषित किया गया। – अब केवल टाइप 1 जंगली पोलियोवायरस बना हुआ है। – WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र को 2014 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया और WHO अफ्रीकी क्षेत्र को 2020 में जंगली पोलियोवायरस मुक्त प्रमाणित किया गया। – भारत को मार्च 2014 में पोलियो मुक्त प्रमाणित किया गया और अब भी पोलियो मुक्त बना हुआ है। – WHO के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही दुनिया के दो ऐसे देश हैं, जहाँ पोलियो अब भी महामारी बना हुआ है। |
Source: TH
IISc के शोधकर्त्ताओं ने अत्यधिक थक्के बनने से रोकने के लिए नया नैनोजाइम विकसित किया
पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
संदर्भ
- भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्त्ताओं ने धातु आधारित नैनोजाइम विकसित किया है, जो फेफड़ों में थ्रोम्बोएम्बोलिज्म (PTE) और COVID-19 संबंधित रक्त के असामान्य थक्के की समस्या को दूर करने में सहायता करेगा।
रक्त का थक्का बनना (हीमोस्टेसिस) क्या है?
- परिचय:
- यह एक प्राकृतिक शारीरिक तंत्र है जिसमें प्लेटलेट्स और रक्त में उपस्थित प्रोटीन मिलकर रक्तस्राव को रोकने के लिए थक्का बनाते हैं, जब कोई रक्तवाहिका क्षतिग्रस्त होती है।
- इस प्रक्रिया की शुरुआत और नियंत्रण रासायनिक संकेतों या जैविक उत्तेजकों (जैसे कोलेजन और थ्रोम्बिन) द्वारा किया जाता है, जो प्लेटलेट्स को सक्रिय करते हैं और प्रोटीन की जटिल शृंखला प्रारंभ करते हैं।
- चिंता:
- नियंत्रित रक्त का थक्का बनना आवश्यक है, लेकिन असामान्य सक्रियता से थ्रोम्बोसिस हो सकता है, जिससे स्ट्रोक या हृदयाघात हो सकता है।
- PTE और COVID-19 जैसी बीमारियों में, ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने के कारण रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (ROS) का स्तर ऊँचा हो जाता है।
- ROS प्लेटलेट्स को अत्यधिक सक्रिय कर देता है, जिससे अत्यधिक थक्का निर्माण या थ्रोम्बोसिस हो सकता है।
IISc द्वारा विकसित नैनोजाइम
- नैनोजाइम: कृत्रिम नैनो सामग्री, जो एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम की नकल कर ROS को नियंत्रित करती है।
- उद्देश्य: प्लेटलेट्स की अधिक सक्रियता को रोकना और खतरनाक थक्कों के निर्माण को रोकना।
- संश्लेषण: रेडॉक्स-एक्टिव नैनो सामग्री को नियंत्रित रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा संश्लेषित किया गया।
- परीक्षण:मानव प्लेटलेट्स पर विभिन्न प्रकार के नैनोजाइम का परीक्षण किया गया।
- गोलाकार वैनाडियम पेंटॉक्साइड (V₂O₅) नैनोजाइम सबसे प्रभावी पाया गया।
Source: TH
भारत का स्टेनलेस स्टील उद्योग
पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- ग्लोबल स्टेनलेस स्टील एक्सपो 2025 में उद्योग जगत के नेताओं ने राष्ट्रीय स्टेनलेस स्टील नीति की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे विनिर्माण, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सके।
परिचय
- वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में स्टेनलेस स्टील की खपत लगभग 4.8 मिलियन टन तक पहुँच गई, जो वर्ष-दर-वर्ष 8% की वृद्धि है।
- पिछले पाँच वर्षों में खपत 84% बढ़ी, जो FY 2020-21 में 2.61 मिलियन टन थी।
- प्रति व्यक्ति खपत भी 2.5 किलोग्राम से बढ़कर 3.4 किलोग्राम हो गई।
नई नीति की आवश्यकता
- वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टेनलेस स्टील उत्पादक होने के बावजूद, भारत को अपनी घरेलू खपत के लगभग 30% के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
- FY25 में आयात लगभग 1.73 मिलियन टन रहा।
- घरेलू उत्पादन क्षमता लगभग 7.85 मिलियन टन प्रति वर्ष है, लेकिन वर्तमान उपयोग दर केवल 60% है, जो काफी कम उपयोग की संभावना को दर्शाता है।
स्टेनलेस स्टील क्या है?
- स्टेनलेस स्टील एक मिश्र धातु (Alloy) है, जिसमें मुख्य रूप से लोहे और कम से कम 10.5% क्रोमियम होता है, साथ ही निकेल, मोलिब्डेनम, कार्बन और अन्य तत्त्व मिलाए जाते हैं।
- मुख्य गुण:
- जंग-प्रतिरोधी: क्रोमियम एक पतली ऑक्साइड परत बनाता है, जो स्टील को जंग से बचाती है।
- मजबूत और सतत : इसमें उच्च तन्य शक्ति होती है और यह उच्च तापमान में भी अपनी मजबूती बनाए रखता है।
- प्रमुख उपयोग:
- निर्माण: पुल, बाहरी आवरण, छत, और संरचनात्मक समर्थन।
- रसोई सामग्री: कटलरी, सिंक, बर्तन और कुकवेयर।
- चिकित्सा उपकरण: सर्जिकल उपकरण, इम्प्लांट्स और अस्पताल फर्नीचर।
Source: TH
रामसर सूची में दो नए रामसर स्थल जोड़े गए
पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- विश्व पर्यावरण दिवस 2025 (जो प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है और 1973 से संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के नेतृत्व में आयोजित किया जाता है) के अवसर पर राजस्थान के दो नए वेटलैंड—खीचन और मेनार को नए रामसर स्थलों के रूप में नामित किया गया। इसके साथ ही भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 91 हो गई।
- अब राजस्थान में चार रामसर स्थल हैं, जबकि तमिलनाडु अभी भी भारत में सबसे अधिक (20 स्थल) वाला राज्य बना हुआ है।
वेटलैंड क्या हैं?
- रामसर कन्वेंशन के अनुसार वेटलैंड की परिभाषा:
- “मार्श, फेन, पीटलैंड या जल क्षेत्र, चाहे प्राकृतिक हों या कृत्रिम, स्थायी या अस्थायी, स्थिर या प्रवाहित जल, स्वच्छ, खारे या लवणीय जल के रूप में। इसमें समुद्री जल क्षेत्र भी शामिल हैं, जिनकी गहराई कम ज्वार के समय छह मीटर से अधिक नहीं होती।”
- मानव निर्मित वेटलैंड: मछली और झींगा तालाब, कृषि सिंचित भूमि, नमक पैन, जलाशय, बजरी खदान, सीवेज फार्म और नहरें।
रामसर कन्वेंशन क्या है?
- रामसर कन्वेंशन विश्व के सबसे प्राचीन अंतर-सरकारी समझौतों में से एक है, जिसे सदस्य देशों ने अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के वेटलैंड के पारिस्थितिक स्वरूप को संरक्षित करने के लिए हस्ताक्षरित किया।
- 2 फरवरी 1971 को रामसर, ईरान में हस्ताक्षरित किया गया और 1975 में लागू हुआ।
- भारत 1982 में रामसर कन्वेंशन का हस्ताक्षरी बना।
राजस्थान में नव-नामित रामसर स्थल
- मेनार वेटलैंड, उदयपुर:
- स्वच्छ जल का मानसूनी वेटलैंड परिसर, जिसमें शामिल हैं:
- तीन तालाब: ब्रह्म तालाब, ढांढ तालाब और खेड़ा तालाब।
- मौसमी कृषि भूमि, जो मानसून के दौरान जलमग्न हो जाती है।
- जैव विविधता: सफेद पूँछ वाला गिद्ध, लंबी चोंच वाला गिद्ध, भारतीय उड़ने वाली लोमड़ी।
- स्वच्छ जल का मानसूनी वेटलैंड परिसर, जिसमें शामिल हैं:
- खीचन वेटलैंड (फलोदी), जोधपुर:
- उत्तरी थार रेगिस्तान में स्थित, जिसमें शामिल हैं:
- रात्रि नदी (नदी), विजयसागर तालाब (झील), नदी किनारे क्षेत्र और झाड़ियाँ।
- जैव विविधता: यह 150+ पक्षी प्रजातियों का संरक्षण करता है और प्रवासी डेमोइसेल क्रेनों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें से 22,000+ पक्षी प्रत्येक सर्दियों में यहाँ आते हैं।
- उत्तरी थार रेगिस्तान में स्थित, जिसमें शामिल हैं:
Source: PIB
एक्सपोसोमिक्स
पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- अध्ययनों से पता चलता है कि एक्सपोज़ोमिक्स आगामी पीढ़ी की वैज्ञानिक रूपरेखा है, जो स्वास्थ्य जोखिमों का व्यापक रूप से आकलन करने और समेकित रोकथाम रणनीतियाँ तैयार करने में सहायक हो सकती है।
एक्सपोज़ोमिक्स क्या है?
- एक्सपोज़ोमिक्स उन सभी पर्यावरणीय कारकों के अध्ययन को संदर्भित करता है, जिनका एक व्यक्ति गर्भाधान से मृत्यु तक अनुभव करता है और जो उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
- यह जीनोमिक्स का पूरक है, क्योंकि अकेले आनुवंशिकी अधिकांश पुरानी बीमारियों के जोखिम के 50% से कम की व्याख्या कर सकती है।
- इसमें उन्नत तकनीकी उपकरण शामिल हैं, जैसे रीयल-टाइम सेंसर, बायोमॉनिटरिंग नमूनों का रासायनिक विश्लेषण और AI-संचालित डेटा माइनिंग।
भारत को एक्सपोज़ोमिक्स की आवश्यकता क्यों है?
- भारत वैश्विक पर्यावरणीय रोग भार के 25% का योगदान करता है।
- पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य (OEH) जोखिमों के कारण भारत में लगभग 30 लाख मृत्यु होती हैं।
- हृदय रोग, स्ट्रोक, COPD, मधुमेह और क्रोनिक किडनी रोग जैसी गैर-संचारी बीमारियाँ (NCDs) पर्यावरणीय कारकों से गहरे रूप से जुड़ी होती हैं।
Source: TH
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