पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
प्रसंग
- पाकिस्तान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी फैलाकर भारत की सैन्य कार्रवाई और तैयारियों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने के उद्देश्य से मनोवैज्ञानिक युद्ध में लिप्त है।
- इसके अतिरिक्त, PIB फैक्ट-चेक इकाई ने बड़े पैमाने पर प्रसारित फर्जी वीडियो और दावों की समीक्षा की, जो कथित तौर पर पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल से उत्पन्न हुए हैं।
मनोवैज्ञानिक युद्ध
- मनोवैज्ञानिक युद्ध में प्रचार और अन्य मनोवैज्ञानिक अभियानों का योजनाबद्ध उपयोग शामिल होता है, ताकि विपक्षी समूहों की राय, भावनाओं, दृष्टिकोण और व्यवहार को प्रभावित किया जा सके।
- प्रचार: सार्वजनिक धारणा को आकार देने या भ्रम उत्पन्न करने के लिए पक्षपाती या भ्रामक जानकारी फैलाना। प्रायः एक पक्ष को महिमामंडित करने और शत्रु को बदनाम करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- भय और धमकी: भय उत्पन्न करने और मनोबल गिराने के लिए धमकियाँ, अत्यधिक शक्ति का प्रदर्शन या अफवाहें।
- गलत जानकारी और धोखा: इरादों, ताकत या स्थान के बारे में विरोधियों को गुमराह करने के लिए झूठी जानकारी प्रदान करना।
- निर्णय लेने में बाधा: नेतृत्व को भ्रमित करने या कमान की शृंखला को बाधित करने के लिए मनोवैज्ञानिक अभियान (PSYOPs)।
रणनीति और उपकरण
- पत्रक और प्रसारण:: दुश्मन के क्षेत्र में प्रचार फैलाने के लिए उपयोग किया जाता है।
- साइबर PSYOPs: सोशल मीडिया का दुरुपयोग, फर्जी समाचार या हैकिंग के जरिए भय या विभाजन उत्पन्न करना।
- अफवाहें और कानाफूसी: सूक्ष्म और कठिन-से-पहचाने जाने वाले दुष्प्रचार के माध्यम से विश्वास को कमजोर करना।
- फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन: ऐसे कार्य करना जिससे यह प्रतीत हो कि उन्हें किसी अन्य समूह द्वारा अंजाम दिया गया है।
ऐतिहासिक उदाहरण
- द्वितीय विश्व युद्ध: मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी पर पत्रक गिराए ताकि सैनिकों का मनोबल गिराया जा सके।
- शीत युद्ध: अमेरिका और सोवियत संघ ने वैश्विक धारणा को प्रभावित करने के लिए व्यापक प्रचार अभियानों का उपयोग किया।
- युद्ध क्षेत्र से परे आधुनिक अनुप्रयोग व्यापार: आक्रामक विपणन या कॉर्पोरेट गलत सूचना का उपयोग कर प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर करना।
- राजनीति: विरोधियों को बदनाम करना, मीडिया के माध्यम से जनमत में संशोधन करना।
- व्यक्तिगत संबंध: विषाक्त रिश्तों में गैसलाइटिंग या भावनात्मक संशोधन।
आगे की राह
- प्रेस सूचना ब्यूरो की फैक्ट-चेकिंग टीम, PIB Fact Check, सोशल और मुख्यधारा के प्लेटफार्मों पर प्रसारित हो रही भ्रामक सामग्री की पहचान करने और सत्यापन करने के लिए सक्रिय हुई है।
- सरकार ने जनता को केवल आधिकारिक नोटिस, हेल्पलाइन नंबर और पुष्टि किए गए राहत अपडेट पर विश्वास करने की सलाह दी है।
- लोगों से भी आग्रह किया गया है कि वे अपुष्ट पोस्ट को आगे न बढ़ाएँ, क्योंकि झूठे दावे सोशल मीडिया पर लगातार फैल रहे हैं।
Source: BS