भोजन का अधिकार और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ संघर्ष

पाठ्यक्रम: GS2/ शासन, GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • भारत में भोजन के अधिकार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की अकुशलता के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे आवश्यक खाद्यान्नों तक न्यायसंगत पहुँच में बाधा उत्पन्न हो रही है।

भारत में खाद्य असुरक्षा

  • वैश्विक भूख सूचकांक (GHI) 2024 में 127 देशों में भारत ने 105वाँ स्थान प्राप्त किया है, जो इसे भूख के स्तर के लिए “गंभीर” श्रेणी में रखता है।
  • विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति 2023 रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में लगभग 224 मिलियन लोगों ने 2021-2022 में मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का अनुभव किया।

भोजन के अधिकार की मान्यता

  • भोजन के अधिकार को मानव अधिकारों पर सार्वभौमिक घोषणा और आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध (ICESCR) में मान्यता दी गई है।
  • भारत में, पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज बनाम भारत संघ मामले में भोजन के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई थी।

PDS  प्रणाली क्या है?

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) भारत में एक खाद्य सुरक्षा प्रणाली है जो गरीबों को रियायती मूल्यों पर भोजन और अन्य वस्तुएँ वितरित करती है।
    • सार्वजनिक वितरण प्रणाली केन्द्र और राज्य सरकारों की संयुक्त उत्तरदायित्व है।
  • केंद्र सरकार भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से खाद्यान्न की खरीद, भंडारण, परिवहन और राज्यों को आवंटन करती है।
  • राज्य सरकारें बुनियादी स्तर पर इस प्रणाली का प्रबंधन करती हैं, जिसमें राज्य के अंदर खाद्यान्न का आवंटन, पात्र परिवारों की पहचान और राशन कार्ड जारी करना शामिल है।

PDS प्रणाली की चुनौतियाँ

  • खाद्यान्न का दुरुपयोग: खाद्यान्न का एक बड़ा भाग परिवहन के दौरान लीक हो जाता है या कालाबाजारी में संलिप्त हो जाता है।
  • बायोमेट्रिक सत्यापन के कारण बहिष्करण: कई व्यक्ति मासिक राशन प्राप्त करने से वंचित हो जाते हैं, क्योंकि आधार-आधारित सत्यापन के दौरान बायोमेट्रिक मिलान न होने के कारण उनके नाम PDS रोल से हटा दिए जाते हैं।
  • उचित मूल्य की दुकानों (FPS) में भ्रष्टाचार, जैसे खाद्यान्नों का कम वजन करना, घटिया गुणवत्ता वाले सामान बेचना, या अधिक कीमत वसूलना, प्रणाली की प्रभावशीलता को कमजोर करता है।
  • अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं के कारण खाद्यान्न खराब हो जाता है और नष्ट हो जाता है।

सुधार और आधुनिकीकरण के प्रयास

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013: भारत की दो-तिहाई आबादी को सब्सिडी वाले खाद्यान्न का कानूनी अधिकार प्रदान करने के लिए अधिनियमित किया गया।
  • उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2015 जारी किया गया।
    • इसमें केन्द्र और राज्यों के लिए जिम्मेदारियाँ तय की गईं तथा शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की गई।
  • डिजिटल राशन कार्ड: डिजिटल राशन कार्ड और आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण की शुरूआत का उद्देश्य नकली और डुप्लिकेट राशन कार्डों को समाप्त करना है।
  • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT): कुछ क्षेत्रों में DBT लागू किया गया है, जहाँ खाद्यान्न प्रदान करने के बजाय लाभार्थियों के बैंक खातों में प्रत्यक्षतः धन हस्तांतरित किया जाता है।
  • संपूर्ण कम्प्यूटरीकरण: पारदर्शिता में सुधार, लीकेज को न्यूनतम करने तथा वितरण को अधिक कुशल बनाने के लिए PDS प्रणाली को कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है।
  • खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता निगरानी: सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत उपलब्ध कराए गए खाद्यान्नों के गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं।

आगे की राह

  • बुनियादी ढाँचे का विस्तार: परिचालन के बढ़ते पैमाने को समर्थन देने के लिए भंडारण और परिवहन सुविधाओं को सुदृढ़ करना।
  • तकनीकी एकीकरण: वास्तविक समय पर नज़र रखने और अकुशलताओं को कम करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं ब्लॉकचेन का लाभ उठाएँ।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के हितधारकों को जवाबदेह बनाने तथा भ्रष्टाचार और लीकेज जैसे मुद्दों का समाधान करने के लिए सामाजिक लेखा परीक्षा एवं लोक शिकायत निवारण तंत्र को लागू करना।

Source: TH

 

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