संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 2030 तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की वित्तीय पूर्ति के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों में तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया है।
पृष्ठभूमि:
विश्व आर्थिक अस्थिरता, संघर्ष और व्यापार बाधाओं जैसी कई संकटों का सामना कर रही है, जिससे SDG की प्रगति धीमी हो रही है।
विकासशील देश प्रति वर्ष $1.4 ट्रिलियन से अधिक की राशि ऋण भुगतान में व्यय कर रहे हैं, जिससे वे विकास में निवेश करने में असमर्थ हो रहे हैं।
हाल ही में भारत के उच्चतम न्यायालय ने मुफ्त राशन वितरण प्रणाली को लेकर चिंताएँ व्यक्त की हैं, इसकी दीर्घकालिक स्थिरता और आर्थिक नीतियों पर प्रभाव पर प्रश्न उठाए हैं।
विकास परिप्रेक्ष्य: आर्थिक स्थिरता
सर्वोच्च न्यायालय की चिंताएँ: न्यायालय ने देखा कि राज्य केंद्र से खाद्य अनाज खरीदते हैं और उन्हें मुफ्त में वितरित करते हैं, लेकिन इसका वित्तीय भार अंततः करदाताओं पर पड़ता है।
2025 की स्थिति: न्यायालय ने यह भी सवाल किया कि क्या भारत अभी भी 2011 के समान गरीबी स्तर से जूझ रहा है, जब पिछली जनगणना आयोजित की गई थी।
मुंबई में आयोजित WAVES शिखर सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री ने भारत के भविष्य के जीडीपी वृद्धि, नवाचार और समावेशी विकास के लिए रचनात्मक अर्थव्यवस्था को एक महत्त्वपूर्ण कारक बताया।
समाचार की अधिक जानकारी:
प्रधानमंत्री ने भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) की स्थापना की घोषणा की। यह राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र युवाओं को कौशल प्रशिक्षण और मीडिया, एनीमेशन, गेमिंग और कंटेंट निर्माण में नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया जा रहा है।
इसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा उद्योग संगठनों FICCI और CII के साथ साझेदारी में स्थापित किया जा रहा है।
भारत में निजी सदस्य विधेयक (Private Member’s Bill) प्रणाली, जो प्रगतिशील कानूनों को प्रस्तुत करने की क्षमता रखती है, वर्षों से धीरे-धीरे कमजोर होती गई है। इसका कारण लगातार व्यवधान, स्थगन और सरकारी कार्यों को प्राथमिकता देना है।