पाठ्यक्रम: GS 3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- अगस्त 2025 में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 50% टैरिफ लगाया, जिसमें रूस से भारत के तेल खरीद से संबंधित 25% दंडात्मक शुल्क भी शामिल है।
वैश्विक प्रणाली में भारत की सुभेद्यता
- अप्रैल 2024 तक अमेरिका के टैरिफ औसतन 2–3% थे, लेकिन अब की वृद्धि एक बड़ा परिवर्तन दर्शाती है।
- टैरिफ में छूट के बदले अमेरिका अधिक बाजार पहुंच की मांग कर रहा है, विशेष रूप से कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए, जो भारतीय किसानों को हानि पहुँचा सकती है।
- अमेरिका का सहयोगी होने के बावजूद भारत को चीन की तुलना में अधिक टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है (अब चीन पर टैरिफ 30% तक घटा दिए गए हैं)।
- यह टैरिफ युद्ध वैश्विक व्यवस्था में भारत की सुभेद्य स्थिति को रेखांकित करता है।

चीन का प्रभाव
- चीन की प्रभुत्वशाली स्थिति उसके विशाल उत्पादन क्षमता और तकनीकी दक्षता से आती है।
- चीन वैश्विक वस्त्र निर्यात में 36.3% और मशीनरी/इलेक्ट्रिकल्स में 24.9% हिस्सेदारी रखता है; भारत क्रमशः 4.4% और 0.9% पर पीछे है।
- चीन पर प्रारंभिक 145% टैरिफ को राजनयिक संवाद के बाद कम किया गया।
भारत के लिए परिणाम
- तुलनात्मक हानि: भारतीय निर्यात (जैसे वस्त्र) अब वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अधिक टैरिफ का सामना कर रहे हैं, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता घट रही है।
- व्यापार घाटे का जोखिम: अमेरिका से निर्यात आय भारत के बाह्य संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है; टैरिफ इस प्रवाह को खतरे में डालते हैं।
- क्षेत्रीय संवेदनशीलता: वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी सेवाओं में रोजगारों और आय में गिरावट की आशंका है।
- निवेश पर प्रभाव: टैरिफ की अनिश्चितता वैश्विक कंपनियों को भारत में आपूर्ति श्रृंखला स्थानांतरित करने से रोक सकती है।
भारत की नीतिगत विकल्प
- अमेरिका से संवाद कर टैरिफ को पुनः संतुलित करना और रणनीतिक क्षेत्रों की रक्षा करना।
- WTO और क्षेत्रीय समूहों का उपयोग कर भेदभावपूर्ण व्यापार प्रथाओं को चुनौती देना।
- निर्यात-आधारित विकास से मांग-आधारित वृद्धि की ओर स्थानांतरित होना, बढ़ती मजदूरी एवं उपभोग के माध्यम से।
- मानव पूंजी और लचीलापन निर्माण हेतु सार्वजनिक व्यय को बढ़ाना।
- उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों (तकनीक, फार्मा, स्वच्छ ऊर्जा) में निवेश कर कम मजदूरी आधारित प्रतिस्पर्धा पर निर्भरता कम करना।
- युवाओं की भूमिका: अमेरिका में भारतीय प्रवासी शिक्षा, तकनीक और उद्यमिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके हैं तथा अमेरिका की तकनीकी एवं आर्थिक श्रेष्ठता में योगदान दिया है।
- भारतीय प्रतिभा को अमेरिकी रोजगारों या वीजा से वंचित करना दीर्घकालिक रूप से अमेरिका के हितों को हानि पहुँचा सकता है।
- सामाजिक विखंडन को रोकने के लिए अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करना आवश्यक है।
निष्कर्ष और आगे की राह
- एक मजबूत घरेलू बाजार, सशक्त युवा और नवाचार-आधारित विकास भारत की वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के विरुद्ध सबसे अच्छी रक्षा है।
- इसके लिए मजदूरी, आय और उच्च मूल्य, तकनीक-आधारित उद्योगों में निवेश में तीव्र वृद्धि की आवश्यकता है।
- भारत के 120 मिलियन युवा (15–29 वर्ष) ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान कर सकते हैं, अतः व्यावसायिक प्रशिक्षण, STEM शिक्षा और डिजिटल साक्षरता का विस्तार आवश्यक है।
- प्रवासी नेटवर्क का उपयोग तकनीकी हस्तांतरण और वैश्विक प्रभाव के लिए किया जाना चाहिए।
Source :TH
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