पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध; वैश्विक समूह
संदर्भ
- बढ़ते संरक्षणवाद और वैश्विक व्यापार गठबंधनों के विघटन के इस दौर में, भारत को कम्प्रिहेन्सिव एंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फॉर ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (CPTPP) में शामिल होने पर पुनर्विचार करना चाहिए और आसियान (ASEAN) तथा यूरोपीय संघ (EU) के साथ अपने एकीकरण को गहरा करना चाहिए ताकि अपने आर्थिक भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।
वैश्विक व्यापार की स्थिति
- महामारी के बाद वैश्विक व्यापार में गति आई है, लेकिन लगातार महंगाई, शुल्क विवाद, और रूस-यूक्रेन तथा इज़राइल-ईरान जैसे संघर्षों ने व्यापार प्रवाह को बाधित किया है।
- बहुपक्षवाद की जगह अब क्षेत्रीयवाद ने ले ली है। देश अब आंतरिक नीतियों, घरेलू उत्पादन और आर्थिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए व्यापार गठबंधनों को पुनः परिभाषित कर रहे हैं।
भारत के लिए CPTPP का महत्व क्यों है?
- CPTPP में 11 प्रशांत रिम देश शामिल हैं, जैसे जापान, वियतनाम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया, जो वैश्विक GDP का लगभग 13% प्रतिनिधित्व करते हैं।
- भारत की CPTPP में भागीदारी से लाभ:
- बाजार विविधीकरण: अमेरिका और चीन जैसे सीमित क्षेत्रों पर निर्भरता कम करना।
- इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक उपस्थिति: चीन के प्रभाव वाले क्षेत्र में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करना (Act East नीति को बल देना)।
- सप्लाई चेन एकीकरण: उन्नत विनिर्माण और डिजिटल व्यापार नेटवर्क से जुड़ाव। हालाँकि, भारत को श्रम, पर्यावरण और बौद्धिक संपदा से संबंधित सख्त मानकों के अनुरूप बनना होगा—जो घरेलू सुधारों के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो सकते हैं।
- भारत, ASEAN और EU ASEAN देश वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में गहराई से जुड़े हैं, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स और विनिर्माण में।
- ASEAN के साथ संबंध मजबूत करने से:
- संपर्क में सुधार और व्यापार घाटा कम किया जा सकता है।
- भारत की क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला और डिजिटल व्यापार में भूमिका को समर्थन मिलेगा।
- भारत और ASEAN ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी विकसित की है, जिसमें व्यापार, संपर्क, डिजिटल परिवर्तन और समुद्री सुरक्षा शामिल हैं।
- ASEAN-भारत मुक्त व्यापार समझौता (AIFTA) 2010 से लागू है, और 2024 में $130 अरब से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार हुआ।
- भारत-EU मुक्त व्यापार समझौता (FTA): EU भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। एक औपचारिक FTA से उन्नत विनिर्माण, हरित प्रौद्योगिकी, डिजिटल सेवाओं और नवाचार के क्षेत्र में नए अवसर खुल सकते हैं।
CPTPP के बारे में – हस्ताक्षर: 2018, सैंटियागो, चिली – सदस्य: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर और वियतनाम – यह मूल TPP पर आधारित है लेकिन कुछ प्रावधानों को निलंबित करता है ताकि बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाया जा सके। – यह $13.5 ट्रिलियन से अधिक GDP वाले बाजार को कवर करता है। – वर्तमान अध्यक्ष (2025): ऑस्ट्रेलिया (थीम: सतत व्यापार और लचीली वृद्धि सुनिश्चित करना) उद्देश्य: – सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना (शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं को हटाकर) – सतत और समावेशी व्यापार को बढ़ावा देना (श्रम अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, और MSMEs को समर्थन) – इंडो-पैसिफिक में क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को प्रोत्साहित करना ASEAN के बारे में – सदस्य: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया – प्राथमिक उद्देश्य: राजनीतिक और आर्थिक सहयोग तथा क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना |
बहुपक्षवाद का अन्य महत्व
- निर्यात प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: भारत के निर्यात को उच्च लॉजिस्टिक लागत और सीमित मूल्य श्रृंखला एकीकरण से चुनौती मिलती है।
- CPTPP और भारत-EU FTA जैसे उच्च-मानक व्यापार ढांचे से:
- उच्च आय वाले बाजारों तक पहुँच बढ़ेगी
- घरेलू सुधारों को प्रोत्साहन मिलेगा (मानक, श्रम, बौद्धिक संपदा अधिकार)
- MSME की भूमिका: भारत के 40% निर्यात में योगदान देने वाले MSMEs को व्यापक बाजार पहुँच से सबसे अधिक लाभ होगा।
भारत के सामने चुनौतियाँ
- वर्तमान व्यापार परिदृश्य: भारत को अब अधिक खंडित व्यापार प्रणाली का सामना करना पड़ रहा है।
- रणनीति:
- अमेरिका के साथ द्विपक्षीय लाभ सुरक्षित करना
- व्यापार-हितैषी भागीदारों के साथ जुड़ाव तेज करना
- हालिया FTA: भारत की पारंपरिक व्यापार-संदेह की नीति अब अधिक खुली हो रही है (ऑस्ट्रेलिया, UAE, UK के साथ समझौते)।
- रणनीतिक कदम:
- CPTPP में औपचारिक आवेदन देना
- जापान और कोरिया जैसे बाजारों के साथ मेल बैठाना
- घरेलू नियमों में सुधार कर वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना
- भारतीय निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना
- नियामक और मानक चुनौतियाँ:
- CPTPP और EU के व्यापार ढाँचे श्रम अधिकार, पर्यावरण सुरक्षा और बौद्धिक संपदा में उच्च अनुपालन की माँग करते हैं।
- भारत के घरेलू नियम अक्सर इन मानकों से पीछे हैं, जिसके लिए कानूनी और संस्थागत सुधार आवश्यक हैं।
- घरेलू उद्योगों की सुरक्षा:
- भारत के MSMEs, कृषि और विनिर्माण क्षेत्र को डर है कि यदि शुल्क घटाए गए तो वे सस्ते आयात से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं।
- यही कारण था कि भारत ने RCEP से हटने का निर्णय लिया था और CPTPP को लेकर भी सतर्क है।
- शुल्क और गैर-शुल्क बाधाएँ:
- भारत के उच्च शुल्क और जटिल सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ वार्ता में बाधा बन सकती हैं।
- EU विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, वाइन और डेयरी जैसे क्षेत्रों में अधिक बाजार पहुँच चाहता है—जो भारत के लिए संवेदनशील क्षेत्र हैं।
- भू-राजनीतिक संवेदनशीलताएँ:
- चीन के प्रभाव को लेकर भारत की रणनीतिक सोच CPTPP जैसे मंचों में जटिलता उत्पन्न करती है।
- CPTPP में शामिल होना भारत को पश्चिमी सहयोगियों और इंडो-पैसिफिक भागीदारों के बीच संतुलन साधने की चुनौती देगा।
आगे की राह
- संतुलित पुनः प्रवेश रणनीति: CPTPP को चरणबद्ध वार्ता ढाँचे के साथ पुनः मूल्यांकन करना (सेवाएँ, IP, डिजिटल व्यापार पर ध्यान)।
- घरेलू मानकों को उन्नत करना: लॉजिस्टिक्स, परीक्षण और गुणवत्ता अवसंरचना में निवेश करना ताकि EU और CPTPP मानकों को पूरा किया जा सके।
- MSME क्लस्टरों के लिए अंतरराष्ट्रीय अनुपालन हेतु क्षमता निर्माण योजनाएँ शुरू करना।
- EU और ASEAN के साथ FTA वार्ता को पुनर्जीवित करना: EU के साथ डिजिटल संप्रभुता, हरित कर व्यवस्था जैसे मुद्दों पर संतुलित शर्तें तय करना।
- ASEAN-भारत FTA के कार्यान्वयन में सुधार करना ताकि गैर-शुल्क बाधाओं को दूर किया जा सके।
- रणनीतिक साझेदारियों का लाभ उठाना: QUAD, IPEF और BIMSTEC जैसे मंचों का उपयोग कर सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला और मानकों को संरेखित करना।
- व्यापार रणनीति को भू-राजनीतिक लक्ष्यों के साथ समन्वित करना।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] वैश्विक व्यापार में आए परिवर्तनों को दृष्टिगत रखते हुए, क्या आपको लगता है कि भारत को ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (CPTPP) के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौते में शामिल होने पर पुनर्विचार करना चाहिए तथा आसियान के साथ एकीकरण को गहरा करना चाहिए? संभावित चुनौतियों पर प्रकाश डालें। |
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