ग्रीन लॉजिस्टिक्स: वस्तुओं के हरित आवागमन की पुनः कल्पना

पाठ्यक्रम: GS3/ऊर्जा; पर्यावरण

संदर्भ

  • वैश्विक लॉजिस्टिक्स क्षेत्र एक परिवर्तनशील बिंदु पर खड़ा है, जहाँ माल की आवाजाही को जलवायु लक्ष्यों, परिसंचरण (Circularity), और ऊर्जा दक्षता के साथ संरेखित करने की आवश्यकता है।

भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र

  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का आकार
    • भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 14% से अधिक योगदान देता है।
    • 22 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
    • भारत का लॉजिस्टिक्स बाजार $250 बिलियन का है, जिसकी वृद्धि दर 10-12% CAGR (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, 2024) है।
    • यह 2033 तक लगभग दोगुना होकर $428 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है।
  • रेल आधारित माल परिवहन पहल
    • भारत का लक्ष्य 2030 तक रेल माल परिवहन हिस्सेदारी को 27% (2023) से बढ़ाकर 45% करना है।
    • इसके लिए समर्पित माल ढुलाई गलियारे (DFC) विकसित किए जा रहे हैं। (भारतीय रेलवे, 2024)
  • इलेक्ट्रिक वाहन लॉजिस्टिक्स
    • FAME II नीति के अंतर्गत 2021-2024 के बीच इलेक्ट्रिक वाणिज्यिक वाहनों की स्वीकृति में 400% वृद्धि देखी गई। (नीति आयोग, 2024)
  • शहरी अंतिम-मील स्थिरता
    • भारत के शहरी लॉजिस्टिक्स से निकलने वाले 90% उत्सर्जन जीवाश्म ईंधन-आधारित अंतिम-मील डिलीवरी से आते हैं।
    • सूक्ष्म पूर्ति केंद्रों (Micro-Fulfillment Centers) के विस्तार ने कुछ शहरों में डिलीवरी संबंधित उत्सर्जन को 30% तक कम किया। (TERI रिपोर्ट, 2024)
  • कोल्ड चेन और IoT एकीकरण
    • भारत का कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 2027 तक $24 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है।
    • 50% वेयरहाउस IoT-सक्षम दक्षता उपकरणों को अपनाएँगे। (FICCI रिपोर्ट, 2024)

वैश्विक लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का अवलोकन

  • कार्बन उत्सर्जन में योगदान
    • माल परिवहन ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में लगभग 8% योगदान देता है।
    • सड़क माल परिवहन का 58% हिस्सा इस उत्सर्जन में आता है। (अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, 2024)
  • ग्रीन लॉजिस्टिक्स निवेश
    • वैश्विक सतत लॉजिस्टिक्स समाधानों में 2035 तक $1 ट्रिलियन से अधिक निवेश होने की संभावना है। (विश्व आर्थिक मंच, 2024)

लॉजिस्टिक्स क्षेत्र और पर्यावरणीय लागत

  • एमिकस ग्रोथ एडवाइजर्स रिपोर्ट के अनुसार, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र GHG उत्सर्जन और डीजल खपत में प्रमुख योगदानकर्ता है।
  • भारत के कुल GHG उत्सर्जन में 13.5% लॉजिस्टिक्स का योगदान है, जो मुख्य रूप से सड़क परिवहन द्वारा संचालित है।
  • सड़क पर वाहनों का केवल 3% ट्रक हैं, लेकिन वे परिवहन से संबंधित CO₂ उत्सर्जन का एक-तिहाई और देश के डीजल का 40% खपत करते हैं।

भारत में ग्रीन लॉजिस्टिक्स

  • ग्रीन लॉजिस्टिक्स का अर्थ है लॉजिस्टिक्स गतिविधियों में पर्यावरणीय सोच का समावेश, जो राष्ट्रीय और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों का समर्थन करता है।
  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, ग्रीन लॉजिस्टिक्स भारत की लॉजिस्टिक्स लागत को वर्तमान GDP के 14% से घटाकर 8% कर सकता है।
  • साथ ही, 2030 तक परिवहन संबंधित उत्सर्जन को 35% तक कम कर सकता है।
  • यह भारत के पंचामृत एजेंडा के तहत 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की प्रतिबद्धता का समर्थन करता है।
  • एमिकस रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीन लॉजिस्टिक्स केवल EVs को अपनाने या CO₂ उत्सर्जन को कम करने तक सीमित नहीं है। इसमें लॉजिस्टिक्स संचालन का मौलिक पुनःनिर्माण आवश्यक है, जैसे:
  • आपूर्ति श्रृंखला डिज़ाइन की पुनर्कल्पना
  • कॉर्पोरेट रणनीति में स्थिरता को समाहित करना
  • रेखीय (Linear) से परिसंचारी (Circular) व्यापार मॉडल में स्थानांतरण

सतत लॉजिस्टिक्स के लिए प्रमुख रणनीतियाँ

  • स्वच्छ ईंधन और वाहन: EVs और LNG-संचालित ट्रकों को अपनाएँ।
  • मोडल शिफ्ट: सड़क से रेल परिवहन में माल स्थानांतरित करें, समर्पित माल ढुलाई गलियारों (DFC) का उपयोग करके उत्सर्जन को कम करें।
  • एआई-संचालित योजना: ईंधन खपत और डिलीवरी समय कम करने के लिए AI-आधारित मार्ग और लोड अनुकूलन उपकरणों का उपयोग करें।
  • ग्रीन वेयरहाउसिंग: सौर ऊर्जा संचालित स्थायी गोदाम विकसित करें, जिनमें कुशल प्रकाश व्यवस्था और जल पुनर्चक्रण प्रणाली हो।

ग्रीन लॉजिस्टिक्स प्रौद्योगिकियों की तुलनात्मक प्रभावशीलता

प्रौद्योगिकीक्षमतासीमाएँसर्वोत्तम उपयोग के मामले
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)शून्य टेलपाइप उत्सर्जन, कम परिचालन लागतसीमित रेंज, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमीशहरी और छोटी दूरी की डिलीवरी
हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रकलंबी रेंज, तेज़ ईंधन भरने की क्षमताउच्च लागत, सीमित हाइड्रोजन उपलब्धतालंबी दूरी का माल परिवहन, भारी-शुल्क परिवहन
स्वायत्त डिलीवरी सिस्टमरूट ऑप्टिमाइजेशन, श्रम लागत में कमीनियामक बाधाएँ, उच्च प्रारंभिक निवेशअंतिम-मील डिलीवरी, वेयरहाउस लॉजिस्टिक्स
एआई और मशीन लर्निंगपूर्वानुमान विश्लेषण, मार्ग और इन्वेंट्री अनुकूलनगुणवत्तापूर्ण डेटा और एकीकरण की आवश्यकतानेटवर्क-व्यापी लॉजिस्टिक्स योजना
IoT सेंसरवास्तविक समय ट्रैकिंग, स्थिति निगरानीडेटा अधिभार, साइबर सुरक्षा चिंताएँकोल्ड चेन, उच्च-मूल्य वाले सामान
ब्लॉकचेनपारदर्शिता, धोखाधड़ी की रोकथाम, ट्रेसबिलिटीऊर्जा-गहन, अपनाने में बाधाएँनैतिक सोर्सिंग, सीमा शुल्क दस्तावेज़ीकरण
डिजिटल फ्रेट प्लेटफॉर्मपेपरलेस व्यापार, तेज़ सीमा शुल्क निकासीहितधारकों की सहमति की आवश्यकतासीमापार लॉजिस्टिक्स, बंदरगाह संचालन
वैकल्पिक ईंधन (LNG, बायोफ्यूल्स)डीजल की तुलना में कम उत्सर्जन, मौजूदा इंजन के साथ अनुकूलन योग्यअभी भी CO₂ उत्सर्जित करते हैं, आपूर्ति श्रृंखला जटिलतासमुद्री और भारी-शुल्क ट्रकिंग

भारत की पहल

  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति-2022: इसका उद्देश्य मल्टीमॉडल परिवहन, डिजिटलीकरण एवं स्वचालन को बढ़ावा देकर लागत-कुशल, लचीला और सतत लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
  • पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान: इसका उद्देश्य मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के माध्यम से हरित लॉजिस्टिक्स और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करते हुए औद्योगिक उत्पादकता को बढ़ाना है।
  • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP): इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स संचालन की वास्तविक समय, एंड-टू-एंड दृश्यता के लिए विभिन्न मंत्रालयों से 30 से अधिक डिजिटल प्रणालियों को समेकित करना है।
  • रेलवे-आधारित माल ढुलाई पहल: सरकार वायु प्रदूषण को कम करने और प्रति वर्ष लगभग 100,000 टन कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कोयला लॉजिस्टिक्स को रेलवे-आधारित प्रणालियों की ओर स्थानांतरित कर रही है।
    • भारत पीएम गतिशक्ति के तहत छह ग्रीन फ्रेट कॉरिडोर विकसित कर रहा है, जिसमें कम उत्सर्जन वाले ट्रकिंग और रेल-आधारित लॉजिस्टिक्स को प्राथमिकता दी जा रही है।
  • राज्य नीतियों में ग्रीन लॉजिस्टिक्स: कई राज्यों ने अपनी नीतियों में ग्रीन लॉजिस्टिक्स को एकीकृत किया है, जो पर्यावरण के अनुकूल लॉजिस्टिक्स पार्क, स्मार्ट लॉजिस्टिक्स समाधान और सड़क परिवहन पर निर्भरता को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
  • मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क : भारतमाला परियोजना के तहत विकसित ये पार्क कार्गो एकत्रीकरण को बढ़ाते हैं, हैंडलिंग लागत को कम करते हैं और वेयरहाउसिंग दक्षता को बढ़ावा देते हैं।

आगे की राह: विकसित भारत 2047 के लिए उत्प्रेरक के रूप में रसद

  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का हरित परिवर्तन केवल उत्सर्जन को कम करने के बारे में नहीं है – यह भारत के विकास मॉडल को फिर से परिभाषित करने के बारे में है। यह सक्षम बनाता है:
    • लागत-प्रभावी, स्वच्छ परिवहन के माध्यम से समावेशी विकास
    • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता
    • भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] सतत लॉजिस्टिक्स लागत-दक्षता और उपभोक्ता मांग, सामर्थ्य एवं पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को संतुलित करते हुए वैश्विक व्यापार को कैसे पुनर्परिभाषित कर सकता है?
 

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