साझा मूल्य, आपसी समझ: भारत-फ्रांस संबंध

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सन्दर्भ

  • भारत एवं फ्रांस आपसी सम्मान, साझा मूल्यों और वैश्विक चुनौतियों पर सहयोग पर आधारित एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं, जिसकी पुष्टि प्रधानमंत्री मोदी की हालिया फ्रांस यात्रा के दौरान हुई।

भारत-फ्रांस संबंध

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • भारत और फ्रांस के बीच राजनयिक संबंध 1947 से ही हैं जब फ्रांस ने भारत की स्वतंत्रता को मान्यता प्रदान की थी।
  • इस संबंध में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया, जिसकी परिणति 1998 में रणनीतिक साझेदारी की स्थापना के रूप में हुई।
  • फ्रांस उन पहले पश्चिमी देशों में से था, जिन्होंने भारत के परमाणु परीक्षणों के पश्चात् उसका समर्थन किया तथा उसे एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता दी।

व्यापार और आर्थिक साझेदारी:

  • फ्रांस यूरोपीय संघ में भारत का 11वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 2023 में 12 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगा।
  • एयरबस, डसॉल्ट, रेनॉल्ट और मिशेलिन जैसी फ्रांसीसी कंपनियों का भारत में महत्त्वपूर्ण परिचालन है, जबकि TCS, इन्फोसिस और विप्रो जैसी भारतीय IT कंपनियाँ फ्रांस में मजबूत उपस्थिति बनाए हुए हैं।
  • 14वें भारत-फ्रांस CEOs फोरम में प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में निवेश बढ़ाने पर जोर दिया।

रक्षा सहयोग:

  • रक्षा औद्योगिक रोडमैप: इसका उद्देश्य सैन्य हार्डवेयर का सह-डिजाइन और सह-विकास करना है।
  • उन्नत तोपखाना एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: उन्नत हथियार, संयुक्त सैन्य अभ्यास (जैसे, वरुण) और रक्षा प्रौद्योगिकी साझाकरण पर सहयोग।
  • फ्रांस-भारत रक्षा स्टार्टअप उत्कृष्टता (FRIND-X): HORIZON 2047 और भारत-फ्रांस रक्षा औद्योगिक रोडमैप के अंतर्गत पहल।
  • राफेल लड़ाकू विमान: भारत ने 2016 के सौदे के अंतर्गत  36 राफेल जेट खरीदे, हाल ही में राफेल-M जेट को भारत के विमान वाहक से संचालित करने के लिए समझौता किया गया, जिसकी डिलीवरी 2029 तक निर्धारित की गई है।
  • स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियाँ: फ्रांस ने स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के निर्माण में भारत की सहायता की है तथा परियोजना 75 के अंतर्गत एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) के एकीकरण की योजना बनाई है, साथ ही भविष्य की P75-AS पनडुब्बियों में संभावित एकीकृत लड़ाकू प्रणाली (ICS) को भी शामिल करने की योजना बनाई है।

अंतरिक्ष सहयोग:

  • इसरो और CNES उपग्रह प्रक्षेपण और संयुक्त अनुसंधान पर सहयोग करते हैं, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में वृद्धि होती है।

सामरिक एवं भू-राजनीतिक सहयोग:

  • स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए साझा दृष्टिकोण; चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए नौसैनिक सहयोग को मजबूत किया।
  • फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सीट और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) में भारत की सदस्यता के लिए भारत के प्रयास का समर्थन करता है।
  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): यूरोपीय बाजार तक पहुँच, तकनीकी सहयोग और चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का मुकाबला करने के लिए G-20 शिखर सम्मेलन में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

ऊर्जा एवं जलवायु सहयोग:

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA): विश्वभर में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 2015 में भारत और फ्रांस द्वारा सह-स्थापित।
  • महाराष्ट्र के जैतापुर में परमाणु रिएक्टर सहित परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं पर सहयोग।
  • लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) और उन्नत मॉड्यूलर रिएक्टर (AMRs) के लिए समझौते।
  • फ्रांस हाइड्रोजन ऊर्जा और सतत शहरी विकास में निवेश करके भारत की नवीकरणीय ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करता है।
  • भारत-फ्रांस हिंद-प्रशांत त्रिकोणीय विकास सहयोग: हिंद-प्रशांत क्षेत्र के तीसरे देशों में जलवायु और सतत् विकास लक्ष्य केंद्रित परियोजनाओं को समर्थन देता है।

आतंकवाद प्रतिरोध एवं वित्तीय सुरक्षा:

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित व्यक्तियों और संगठनों को नामित करके आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त प्रयास।
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) मानकों के प्रति प्रतिबद्धता और आतंक के लिए धन नहीं (NMFT) पहल में भागीदारी।

स्वास्थ्य अवसंरचना:

  • डिजिटल स्वास्थ्य, रोगाणुरोधी प्रतिरोध और भारत-फ्रांस जीवन विज्ञान सिस्टर इनोवेशन हब के अंतर्गत स्वास्थ्य पेशेवरों के आदान-प्रदान में सहयोग।
  • जैव प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए सेलुलर एवं आणविक प्लेटफार्म केंद्र (C-CAMP) सहयोग।

सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान:

  • फ्रांस भारतीय छात्रों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बना हुआ है, जहां वर्तमान में 10,000 से अधिक छात्र अध्ययन कर रहे हैं।
  • सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए मार्सिले में भारत का महावाणिज्य दूतावास खोलना।
  • भारत-फ्रांस प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी समझौते (MMPA) के अंतर्गत युवा पेशेवर योजना (YPS)।

भारत-फ्रांस संबंधों में चिंताएँ

  • व्यापार एवं आर्थिक घर्षण:
    • मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का अभाव: फ्रांस महत्वाकांक्षी यूरोपीय संघ-भारत व्यापार समझौते का समर्थन करता है, लेकिन टैरिफ, श्रम कानूनों और पर्यावरणीय धाराओं पर मतभेदों के कारण प्रगति में विलंब हुई है।
    • कृषि एवं डेयरी विवाद: फ्रांस भारत की संरक्षणवादी नीतियों को एक बाधा के रूप में देखता है, विशेष रूप से डेयरी और वाइन बाजार पहुँच के संबंध में। भारत IT सेवाओं और कुशल श्रम गतिशीलता पर कम प्रतिबंध चाहता है।
    • डिजिटल कराधान और डेटा संरक्षण: फ्रांस की डिजिटल कर नीतियाँ भारतीय IT फर्मों को प्रभावित करती हैं, जबकि भारत के डेटा स्थानीयकरण नियम फ्रांसीसी व्यवसायों के लिए चिंता उत्पन्न करते हैं।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण मुद्दे:
    • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में बाधाएँ: भारत के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर बल दे रहे हैं, जबकि फ्रांस विशेष रूप से सैन्य प्रौद्योगिकी के मामले में सतर्क बना हुआ है।
    • परियोजना कार्यान्वयन में विलंब: भारत-फ्रांस रक्षा परियोजनाओं, विशेषकर नौसैनिक सहयोग में विलंब हो रहा है, जिससे लागत में वृद्धि की चिंता बढ़ गई है।
  • भू-राजनीतिक चुनौतियाँ:
    • रूस-यूक्रेन युद्ध: भारत का तटस्थ रुख फ्रांस के पश्चिमी समर्थक दृष्टिकोण के विपरीत है, जिसका प्रभाव रक्षा व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा पर पड़ रहा है।
    • बहुपक्षीय सहयोग के मुद्दे: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार, जलवायु परिवर्तन नीति और ऊर्जा परिवर्तन पर मतभेदों पर बातचीत की आवश्यकता है।
    • संरक्षणवाद और वीज़ा मुद्दों में वृद्धि: कठोर कार्य और अध्ययन वीज़ा नियम व्यावसायिक गतिशीलता को प्रभावित करते हैं।
    • चीन कारक और हिंद-प्रशांत रणनीति: फ्रांस चीन के साथ संबंधों को संतुलित करता है, कभी-कभी भारत के गहन होते क्वाड और ऑकस संबंधों के साथ टकराव होता है।

निष्कर्ष और आगे की राह

  • यद्यपि भारत और फ्रांस के बीच मजबूत, समय-परीक्षित संबंध हैं, फिर भी भू-राजनीतिक मतभेद, रक्षा प्रौद्योगिकी मुद्दे एवं व्यापार घर्षण के लिए कूटनीतिक दूरदर्शिता तथा व्यावहारिक समाधान की आवश्यकता है।
  • रक्षा सहयोग, आर्थिक सहयोग और बहुपक्षीय समन्वय को मजबूत करना महत्त्वपूर्ण है।
  • दोनों देश क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में हैं।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[Q] भारत और फ्रांस के बीच ऐतिहासिक और रणनीतिक साझेदारी के मद्देनजर, दोनों देश संभावित चुनौतियों का समाधान करते हुए रक्षा, व्यापार एवं जलवायु कार्रवाई जैसे क्षेत्रों में अपनी साझा समझ और सहयोग को और कैसे गहरा कर सकते हैं?